बात पिछले साल की है, जब शायरा बानो द्वारा दाखिल अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को अवैध करार दिया था। खबर टीवी से लेकर अखबार और सोशल मीडिया पर खूब छाई हुई थी।
आज उसकी पत्नी मुझे बैंक में दिख गयी तो उससे हुआ संवाद याद आ गया।
उस दिन वह अकेले दिखा। मैंने पूछा- क्यों भाई साब, आज अकेले ?
वह बोला- नहीं, आपकी भाभी अंदर बैंक में हैं।
उसकी पत्नी का नाम नीशू है पर वह नहीं चाहता कि कोई उसे नीशू कहके बुलाये। इसलिए अपनी पत्नी का परिचय दोस्तों के सामने 'तुम्हारी भाभी' जैसे मैजिकल शब्द से करवाता है।
मुझे पता था कि पहुँचते ही वह अपना अमूल्य 35 सेकंड हालचाल पूछने पर खर्च करेगा फिर पॉलिटिक्स पर आ जायेगा फिर मोदी पुराण तबतक सुनाएगा जबतक की मेरी भाभी बैंक से बाहर नहीं आ जाती। मैंने आज होशियारी दिखानी चाही और जैसे कोई घाघ नेता किसी मुद्दे से जनता का ज्ञान हटाने के लिए नया मुद्दा उछाल देता है ठीक वैसे ही करने की असफल कोशिश करते हुए मैंने कहा- महंगाई कितनी बढ़ गयी है न !!
वह बोला- महंगाई गयी घास चरने, मोदी जी का मास्टर स्ट्रोक देखो, तीन तलाक झटके में खत्म कर दिया।
मुझे झटका लगा। इतना बड़ा झटका मुझे तब भी नहीं लगा था जब नोटबंदी के दौरान लगातार दो दिन मेरा नंबर आते ही बैंक का शटर गिर जाया करता था और नो कैश का बोर्ड लग जाता था।
मैंने उसकी तरफ हारे हुए खिलाड़ी की तरह देखते हुए पूछा था- फैसला तो सुप्रीम कोर्ट का है, फिर मास्टरस्ट्रोक मोदी जी का कैसा ?
वह मेरी नादानी पर हंस पड़ा। वह बोला- भाई, तुम आम आदमी की दिक्कत यही है। मुझे बताओ, सरकार किसकी ?
मैंने उसके द्वारा पूछे गए अबतक के सबसे सरल सवाल का जवाब 'मोदी जी की' कहकर दिया। वह फिर हंस पड़ा और बोला- फिर आने वाले फैसले किसके हुए ?
मैं उसके माइंड की दाद देने से अपने आप को रोक नहीं सका था। फिर मुझे मालेगांव ब्लास्ट के आरोपी कर्नल पुरोहित याद आ गए जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने हाल में जमानत दी थी। मैंने उसको याद दिलाते हुए कहा- और कर्नल पुरोहित ?
वह बोला- अरे पुरोहित को मारो गोली, सरकार के तीन तलाक पर आए फैसले का स्वागत करो ?
मैंने हाँ में सिर हिला दिया। उसका चेहरा चमक उठा था जैसे मैं गंजा था और उसनें मुझेे कंघी बेच दी हो।
कुछ देर साम्प्रदायिकता पर चर्चा होती रही फिर चाय आ गयी। मैंने चाय को चुस्की लेते हुए उसकी तरफ देखा और कहने लगा- अगस्त बहुत बुरा बीता, देश के लिए कुछ अच्छा नहीं रहा। रेल हादसे बहुत हुए इसी दौरान। गोरखपुर में बच्चे मरे, देश के कई हिस्से बढ़ की चपेट में हैं। आपको नहीं लगता कि इन सब मे कुछ हद तक सरकार की नाकामयाबी झलकती है ?
सामने से एक लड़की गुजरी। काला चश्मा उसकी सुंदरता में चार चांद लगा रहा था। उनकी निगाह उसके पूरे बदन का भ्रमण करने के बाद गर्दन के नीचे के हिस्से पर आकर रुक गयी। वे चाय की चुस्की को भूल उसकी तरफ देखते रहे और मेरे द्वारा गिनाई गयी देश की समस्याओं और सरकार की नाकामयाबी के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में कहा था - वाह क्या माल है।
मेरी आँखें उनकी आंखों को देखती रहीं। मन में आया कि कह दें- आप भाभी को भी ऐसे ही कपड़े पहनाएंगे तो वो भी ऐसे ही दिखेंगी। पर कभी कभी बिगाड़ के डर से ईमान की बात को ठेंगा दिखाना ज्यादा बेहतर होता है।
भाभी बैंक से बाहर आ चुकी थीं। उनकी गोद में कोई सोलह महीने का बच्चा लड़का था। सर पर हाफ घूंघट और वे साड़ी में लिपटी हुई थीं। वे हमारे करीब आकर रुक गयीं। मैंने उन्हें नमस्ते किया। सिर्फ नमस्ते। क्योंकि 'नमस्ते भाभी जी' कहना अच्छा नहीं लगता और मैं यदि हेलो नीशू या गुड मॉर्निंग नीशू कहता तो उनके पति को अच्छा नहीं लगता।
निशू की तारीफ ये की वे गरीब घर की बेटी हैं। बारहवीं साइन्स से किया था। चार लोग क्या कहेंगे इस डर से उनका B.Sc नहीं हो पाया। देश की आधी आबादी चार लोगों का शिकार है। चार लोगों का मानना है कि लड़कियां तबतक ही पढ़ सकती हैं जबतक उनकी शादी नहीं हो जाती। नीशू को ऑफिस में जॉब मिल रहा था लेकिन मेरे दोस्त का मानना है कि पति के रहते पत्नी यदि काम करे तो उसकी मर्दानगी पर धब्बा है।
मैंने नीशू से पूछा- आपके लिए चाय लाऊं।
उसनें ना में सिर हिला दिया। क्योंकि वह जानती है सड़क पर खड़ी होकर वह चाय पीयेगी तो घर के संस्कार पर धब्बा लगेगा और घर जाकर पति को जवाब देना पड़ेगा।
नीशू के दो बेटे और थे जो घर पर थे। तीसरा गोद में था। मुझे वे बताने लगे- तुम्हारी भाभी प्रेगनेंट है। खाते से आधारकार्ड लिंक करवाने आये हैं। सरकार की योजना है कि बेटी पैदा हुई तो पैसे मिलते हैं।
मैंने कहा- फिर क्या सोचे हैं ? इस बार बेटी हो जाये तो अच्छा है।
वे बोले- सब कहने की बातें हैं।
फिर उन्होंने गर्व से मेरी तरफ देखते हुए कहा था- मर्द के घर सिर्फ बेटे पैदा होते हैं। पर क्या भरोसा, लड़की ही हो जाये। इसीलिए आधार कार्ड लिंक करवाना उचित समझा।
मैं कभी नीशू की तरफ देखता था कभी उससे लटके बच्चे की तरफ। फिर दिमाग घूमकर तीन तलाक वाले फैसले पर जा टिकता था जिसके आने से वे इतने खुश थे।