तीन तलाक मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार(30 मार्च) को अहम फैसला सुनाते हुए मामले को पांच जजों की संवैधानिक पीठ को सौंप दिया। अब इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ 11 मई से रोजाना सुनवाई शुरू करेगी।
सुनवाई के दौरान संवैधानिक पीठ मुस्लिम समुदाय के अंदर होने वाले तीन तलाक, ‘निकाह हलाला’ जैसी प्रथाओं का संवैधानिक आधार पर विश्लेषण करेगी। इस मामले पर चार दिनों तक लगातार सुनवाई होगी। इस दौरान अदालत तीन तलाक के सभी पहलुओं पर विचार करेगी। अदालत ने कहा कि यह मसला बहुत गंभीर है और इसे टाला नहीं जा सकता।
गुरुवार को सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस जगदीश सिंह खेहर ने कहा इस मामले में सिर्फ कानूनी पहलुओं पर ही सुनवाई होगी। सभी पक्षों के एक-एक शब्दों पर अदालत गौर करेगी। उन्होंने कहा कि अदालत कानून से अलग नहीं जा सकती।
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने तीन तलाक और बहुविवाह को असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि वह मुस्लिम महिलाओं के पक्ष में है। वहीं, मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने सुनवाई का विरोध करते हुए कहा कि कोर्ट धर्म से जुडे मसलों को संविधान की कसौटी पर नहीं कस सकता।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि कोर्ट पर्सनल लॉ को दोबारा रिव्यू नहीं कर सकती उसे नहीं बदला जा सकता। कोर्ट पर्सनल लॉ में दखल नहीं दे सकती। मौलिक अधिकार व्यक्ति के खिलाफ लागू नहीं किए जा सकते।
वहीं, कई मुस्लिम महिला संगठनों तथा तीन तलाक की पीडितों ने कहा है कि तीन तलाक बेहद गलत और महिलाओं के खिलाफ है। जबकि केंद्र सरकार ने तीन तलाक और बहुविवाह को असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि वह मुस्लिम महिलाओं के पक्ष में है।
Courtesy: Janta Ka Reporter
सुनवाई के दौरान संवैधानिक पीठ मुस्लिम समुदाय के अंदर होने वाले तीन तलाक, ‘निकाह हलाला’ जैसी प्रथाओं का संवैधानिक आधार पर विश्लेषण करेगी। इस मामले पर चार दिनों तक लगातार सुनवाई होगी। इस दौरान अदालत तीन तलाक के सभी पहलुओं पर विचार करेगी। अदालत ने कहा कि यह मसला बहुत गंभीर है और इसे टाला नहीं जा सकता।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि कोर्ट पर्सनल लॉ को दोबारा रिव्यू नहीं कर सकती उसे नहीं बदला जा सकता। कोर्ट पर्सनल लॉ में दखल नहीं दे सकती। मौलिक अधिकार व्यक्ति के खिलाफ लागू नहीं किए जा सकते।
वहीं, कई मुस्लिम महिला संगठनों तथा तीन तलाक की पीडितों ने कहा है कि तीन तलाक बेहद गलत और महिलाओं के खिलाफ है। जबकि केंद्र सरकार ने तीन तलाक और बहुविवाह को असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि वह मुस्लिम महिलाओं के पक्ष में है।
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