केंद्र के खिलाफ 13 बैंकों ने खटखटाया हाईकोर्ट का दरवाजा, 38000 करोड़ रूपये के सर्विस टैक्स की मांग

Written by Sabrangindia Staff | Published on: July 19, 2019
केंद्र सरकार के खिलाफ 13 बैंकों ने दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया है। कोर्ट के समक्ष सरकार की उस मांग का विरोध किया है जिसमें बैंकों से 38,000 करोड़ रुपये के सर्विस टैक्स की मांग की गई है। बैंकों का दावा है कि सरकार ने सर्विस टैक्स पर एक मनमाना निर्णय लिया है, जो बैंकों से उन पर लगाए गए जुर्माने को कई गुना करके संबंधित बैंकों के पास रखे गए खातों से वसूल किया जा रहा है।



जनसत्ता डॉट कॉम के रिपोर्ट के मुताबिक, इन बैंकों में भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, यस बैंक, एचडीएफसी, हांगकांग और शंघाई जैसे बैंक शामिल हैं। बैंकों ने एकसाथ मिलकर केंद्र के खिलाफ याचिका दायर की है। न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने सुनवाई के बाद केंद्र सरकार, सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज, गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स काउंसिल और अन्य अथॉरिटीज को नोटिस जारी कर इस पर जवाब मांगा है।

बता दें कि सर्विस टैक्स ग्राहकों के बचत और चालू खातों में न्यूनतम औसत बैलेंस (एमएबी) और न्यूनतम मासिक बैलेंस (एएमबी) और औसत त्रैमासिक बैलेंस (एक्यूबी) में निर्धारित बैलेंस न रखने के लिए वसूला जा रहा है। याचिकाकर्ताओं ने इस फैसले को धारा 66 ई(ई) की संवैधानिकता का उल्लंघन करार दिया है। उन्होंने इसे अस्पष्ट और मनमाना, फैसला करार देते हुए चुनौती दी है।


सरकार के इस फैसले से एचडीएफसी बैंक पर सबसे ज्यादा 18,000 करोड़ रुपए की पेनल्टी का बोझ बढ़ेगा। बैंकों का मानना है कि सरकार के इस फैसले से ग्राहकों पर भी विपरीत प्रभाव पड़ रहे हैं। मालूम हो कि मद्रास हाई कोर्ट में भी इसी तरह की याचिका दायर की गई है। तीन बैंकों ने मिलकर मदुरई बेंच के समक्ष याचिका दायर की है।

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