थर्ड जेंडर के पहले सरपंच के हौसले, किया रिश्वतखोरी मिटाने का वादा

Written by अकबर शेख | Published on: October 24, 2017
भारत के इतिहास में पहली बार थर्ड जेंडर का कोई शख्स सरपंच बना है। महाराष्ट्र के सोलापुर देहात में मालशिरस तहसिल में तरंगफल नामक गांव ने ये इतिहास रचा हैं। इस कारण से ये गांव चर्चा में आया है।

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ज्ञानेश्वर कांबले के साथ सबरंग इंडिया के संवाददाता अकबर शेख
 
भारत में जेंडर न्याय की दृष्टि से इसे बहुत बड़ी छलांग माना जा रहा है क्योंकि थर्ड जेंडर को लेकर समाज अब भी सहज नहीं है और उनके मानवाधिकारों और गरिमा और प्रतिष्ठा की लड़ाई अब तक मेनस्ट्रीम में नहीं आ पाई है.
 
ऐसे में महाराष्ट्र के देहाती अंचल में नागरिकों ने थर्ड जेंडर का सरपंच चुनकर एक साहसिक और न्यायपूर्ण पहल की है।
 
ज्ञानेश्वर कांबले ने खुले तौर पर सबका शुक्रिया अदा किया। उन्होंने कह कि, “मैं इस लोकशाही का और संविधान का कर्जदार हूं कि हमें आज इन्सान समझा गया ,और उन सब गांव वालों का शुक्रिया अदा करता हूं कि उन्होंने मुझे हक दिया। इस काबिल समझा। नहीं तो हम लोगों को देखके ही लोग मुँह फेर लेते हैं।“
 
उन्होंने कहा कि, “गांव ने मुझपर विश्वास दिया हैं तो मैं उसमें खरा उतरूंगी, देखती हूँ कैसे काम होते नहीं, और कौन रिश्वत मांगता हैं? मेरे गांव को आदर्श गांव बनाना है।“
 
ज्ञानेश्वर कांबले ने अपनी दास्तान सुनाई, “बचपन में जब मुझे मुझे एहसास हुआ कि मैं आम लडकों जैसा नहीं हूँ तो पहले मुझे धमकाया गया, फिर समझाया, मगर सच्चाई कहां छुपती हैं। घर के लोगों को शर्मिंदा महसूस होता था। मुझे जलील होकर गांव से बाहर जाना पड़ा। पास के गाँव में यल्लामा देवी की भीक्षा मांगकर जिंदा थी , मैंने जिंदगी के 16 साल भीख मांग के निकाले हैं। मैंने लोगों की गरीबी देखी हैं, रिश्वतखोरी से तंग लोग देखे हैं।  तो फिर से गांव लौटी, हिम्मत जुटाई।

“मुझे बहुत बुरा लगता था भीख मांगना। जब किसी दुकान या चौराहे पर जाती तो लोग मुँह फेर लेते थे। बहुत बुरा लगता था, मगर लोगों ने हम जैसों के लिये काम ही क्या रखा है? मैंने हमेशा लोगों का भला चाहा और मांगा हैं। ये लड़ाई हमारे हक की लड़ाई हैं, और हमें जीत मिलने तक जारी रखनी है। मैं एक बुनियाद ढाल चुकी हूं, इसे सबका साथ चाहिए।“
 
अपने काम के बारे में वो कहते हैं, “मैं भ्रष्टाचार करके किसके लिये कमाना हैं? सिर्फ अच्छे समाज की मिसाल बनाना है।“
 
इलाके के सभी लोगों ने उनको बधाई दी।

अकबर शेख, महाराष्ट्र के एक किसान हैं, मूलतः मराठी में लिखते हैं

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