अनिल अंबानी से जुड़े मामले के आदेश में छेड़छाड़ करने पर सुप्रीम कोर्ट के दो अधिकारी बर्खास्त

Written by गिरीश मालवीय | Published on: February 14, 2019
नई दिल्ली। जिस वक्त सुप्रीम कोर्ट में अनिल अंबानी कोर्ट में एसी न होने की शिकायत कर रहे थे लगभग तभी सुप्रीम कोर्ट अपने दो कर्मचारियों को अंबानी से जुड़े एक जुडिशियल ऑर्डर में छेड़छाड़ के आरोप में बर्खास्त कर रहा था।

सुप्रीम कोर्ट ने असिस्टेंट रजिस्ट्रार के पद पर कार्यरत मानव शर्मा और तपन कुमार चक्रवर्ती पर यह ऐक्शन लिया। ये दोनों कोर्ट मास्टर हैं। कोर्ट मास्टर की ओपन कोर्ट या जजों के चैंबर्स में दिए गए सभी फैसलों को लिखने में भूमिका होती है।

दरअसल टेलिकॉम कंपनी एरिक्सन रिलायंस कम्युनिकेशन द्वारा 550 करोड़ रुपये का भुगतान न करने के बाद अवमानना के मामले में अनिल अंबानी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची है।

इस केस में जस्टिस आरएफ नरिमन और जस्टिस विनीत सरन ने अपने आदेश में अंबानी को कोर्ट कार्यवाही के दौरान निजी तौर पर मौजूद रहने कहा गया। हालांकि, वेबसाइट पर अपलोड आदेश में NOT शब्द के न होने से ऐसा संकेत गया कि अंबानी को निजी तौर पर पेश होने से छूट मिली है।

10 जनवरी को एरिक्सन के प्रतिनिधियों ने इस गड़बड़ी की ओर ध्यान दिलाया, जिसके बाद संशोधित आदेश अपलोड हुआ। इसके बाद, अंबानी इस मामले में 12 और 13 फरवरी को कोर्ट में पेश हुए थे।

चीफ जस्टिस रंजन गोगाई ने जुडिशियल ऑर्डर में छेड़छाड़ किए जाने के संकेत मिलने के बाद दोनों अधिकारियों को बर्खास्त करने के आदेश पर हस्ताक्षर किए।

यह घटना बताती है कि पैसे की ताकत कितनी है कुछ दिनों पहले सुप्रीम कोर्ट के फैसले में रॉफेल मामले से जुड़ा 'टाइपो' विवाद का केंद्र था। उस फैसले में कोर्ट ने तो यहाँ तक कह दिया था कि सरकार ने CAG के साथ राफेल की कीमतों का विवरण साझा किया है और CAG अपनी रिपोर्ट को पहले ही अंतिम रूप दे चुके हैं और उसे संसद की लोक लेखा समिति से साझा किया जा चुका है। जबकि यह रिपोर्ट कल संसद के सामने रखी गयी हैं।

राहुल गाँधी ने उस वक़्त भी कहा था कि 'अब बहुत टाइपो एरर निकलेंगे। अभी तो शुरुआत हुई टाइपो एरर की। अभी एक के बाद एक टाईपो एरर निकलेंगे'। दुर्भाग्य से यह बात सच साबित हो रही है सर्वोच्च अदालत में किस तरह से न्याय का मजाक बना दिया जाता है यह घटना इसी बात का जीता जागता उदाहरण है।

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