दंतेवाड़ा. शुक्रवार 13 सितम्बर 2019 को छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा ज़िले में किरंदुल थाना के अंतर्गत आने वाले गुमियापाल गाँव में एक घटना घटी. पुलिस ने कहा कि ये नक्सली मुठभेड़ की घटना है और इस मुठभेड़ में दो माओवादी मारे गए हैं जिनपर पांच-पांच लाख रुपये का ईनाम था. पुलिस ने ये भी कहा कि मारे गए दोनों माओवादी भाजपा विधायक भीमा मंडावी की हत्या में भी शामिल थे.
मारे गए ग्रामीणों का नाम पोदिया और लच्छु मंडावी है. बस्तर पुलिस पर फ़र्ज़ी मुठभेड़ के कई आरोप लगते रहे हैं. गुमियापाल के ग्रामीणों का कहना है कि पोदिया और लच्छु के मामले में पुलिस सरासर झूठ कह रही है. उन्होंने कहा कि दोनों मृतक नक्सली नहीं बल्कि गाँव के ही रहने वाले सामान्य लोग थे.
ग्रामीणों का हाल जाने बगैर छप जाती हैं ख़बरें
पुलिस ने हमेशा की तरह प्रेस रिलीज़ जारी की और मीडिया ने बगैर कोई जांच-पड़ताल किए "पुलिस की बड़ी सफलता, दो ईनामी नक्सली ढेर" सरीखे शीर्षकों के साथ ख़बर प्रकाशित कर दी. दूसरा पक्ष तब सामने आया जब चार सदस्यीय जांचदल ने गाँव का दौरा कर ग्रामीणों से बातचीत की. जांचदल में सोनी सोरी, बेला भाटिया, लिंगाराम कोड़ोपी और मड़कम हिड़में शामिल थे.
अब भी लापता है अजय तेलाम
गुमियापाल से लौटकर जाँचदल ने प्रेस रिलीज़ भी जारी की है. गाँववालों ने जाँचदल को बताया कि इस पूरे इलाके में मुठभेड़ जैसी कोई घटना हुई ही नहीं है. एक ग्रामीण ने कैमरे के सामने कहा कि शाम के समय पोदिया और लच्छु समेत हम पांच दोस्त बैठे खाना-पीना कर रहे थे तभी 15-20 पुलिस वाले आए और मारपीट करने लगे. पोदिया और लच्छु को पुलिस ने गोलियों से मार डाला, दो लोग जैसे-तैसे भाग गए और एक अन्य अजय तेलाम को पुलिस अपने साथ ले गई.
अजय तेलाम की माँ रोज़ थाने के चक्कर लगा रही है पर उसे अजय के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है जबकि कानूनन, गिरफ़्तार किए गए व्यक्ति को 24 घंटों के अंदर मजिस्ट्रेट के समाश प्रस्तुत करना होना है.
अडानी का विरोध करने वालों को मार रही पुलिस
इन सब बातों के आलावा ग्रामीणों ने एक बहुत महत्वपूर्ण बात ये बताई कि मारे गए दोनों ग्रामीण, नंदराज इलाके की बैलाडीला पहाड़ी पर अडानी की कंपनी के दोहन का विरोध करने वाले आन्दोलन में बहुत सक्रिय थे. नंदराज आन्दोलन में शामिल गुड्डी नाम के एक युवक को भी पुलिस ने इसी तरह गोलियों से मार दिया था.
आपको बता दें कि बैलाडीला की एक पहाड़ी (डिपॉज़िट 13), जिसमें 250 मिलियन टन लौह अयस्क होने का अनुमान है, इसे 25 साल के लिए अडानी इंटरप्राइजेस लिमिटेड को लीज़ पर दिया गया था. साल 2015 में वन विभाग ने लोगों के विरोध के बावजूद इसे पर्यावरण क्लियरेंस दे दिया था. बैलाडीला और आसपास के कई गाँवों से बीस हज़ार से भी ज़्यादा ग्रामीणों ने कई दिनों तक इसके ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन किया था. हाल ही के दिनों में माओवादी बताकर मारे गए लोग इस आन्दोलन में सक्रिय रूप से शामिल थे.
मानव अधिकार कार्यकर्ता हिमांशु कुमार ने अपनी फ़ेसबुक पोस्ट में पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि...
" कल रात पोदिया और उसके साथी को पुलिस ने गोली से उड़ा दिया
यह दोनों आदिवासी युवा छत्तीसगढ़ के बैलाडीला में अडाणी का विरोध कर रहे थे
इससे पहले इनके साथी गुड्डी को भी पुलिस ने गोली से उड़ा दिया था
गुड्डी ने अडाणी के लोगों द्वारा पेड़ काटना बंद करवा दिया था
अडाणी ने बैलाडीला की नंद राज पहाड़ी पर 2000 पेड़ काट डाले थे
गुड्डी ने पेड़ काटने वाले लोगों को वहां से भगा दिया था
इसके बाद पुलिस ने जाकर गुड्डी को गोली से उड़ा दिया
सोनी सोरी जब दंतेवाड़ा के एसपी अभिषेक पल्लव से मिलने गई
तभी अभिषेक पल्लव ने कह दिया था कि मैं गुड्डी के साथी पोदिया को भी गोली से उड़ा दूंगा
सोनी सोरी ने फ्रंटलाइन की महिला पत्रकार को पहले ही बता दिया था कि एसपी अब पोदिया की हत्या करेगा
और कल रात एसपी ने पोदिया को गोली से उड़वा दिया
जो आदिवासी आपके बच्चों की सांसें बचाने के लिए इस देश के जंगलों को बचा रहे हैं
बड़े पूंजीपतियों से पैसा लेकर पुलिस अधिकारी उन आदिवासियों को गोली से उड़ा रही है
आपको बताया जा रहा है कि यही विकास है
लेकिन इसमें तो सिर्फ अडाणी का विकास होगा
बस्तर के आदिवासी मारे जाएंगे
और आपके बच्चे बिना ऑक्सीजन के तापमान बढ़ने से मारे जाएंगे
लेकिन खेल देखिए
आप आदिवासी के मरने पर आवाज नहीं उठाएंगे
और आप अडाणी के पक्ष में बोलेंगे
पुलिस की जय जयकार करेंगे
आप अपने बच्चे का गला खुद घोटेंगे
और इसे विकास तथा राष्ट्रवाद से जोड़ कर पुलिस और अडाणी की जय बोलते रहेंगे
आदिवासियों ने सोनी सोरी और बेला भाटिया को गांव बुलाया है
वे लोग पोदिया और उसके साथी की मौत की हत्या की एफआईआर कराने की कोशिश करेंगे
हम जानते हैं पुलिस एफआईआर. नहीं करेगी
इस मामले को कोर्ट में ले जाया जाएगा
लेकिन बहुत सारे मामले पहले भी कोर्ट में ले जाए गए
न्याय तो वहां से भी नहीं मिला
इस समय आदिवासी ही खतरे में नहीं है
आप भी खतरे में है
आपका लोकतंत्र संविधान विकास सब खतरे में है
लेकिन आप समझ नहीं रहे हैं."
गुमियापाल गए जाँचदल के कहे अनुसार और कैमरे पर वहां के ग्रामीणों ने जो कहा उसके अनुसार ये फ़र्ज़ी मुठभेड़ का मामला है. जाँचदल ने कहा है कि इस सम्बन्ध में FIR दर्ज कर इसकी जाँच की जानी चाहिए. जाँचदल ने ये भी मांग की है कि अजय तेलाम को (अजय को 5 दिन पहले पुलिस उठा ले गई थी) जल्द से जल्द मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जाए और प्रदेश में चल रही फ़र्ज़ी मुठभेड़ की घटनाओं को रोकने ज़रूरी कदम उठाए जाएं.
मारे गए ग्रामीणों का नाम पोदिया और लच्छु मंडावी है. बस्तर पुलिस पर फ़र्ज़ी मुठभेड़ के कई आरोप लगते रहे हैं. गुमियापाल के ग्रामीणों का कहना है कि पोदिया और लच्छु के मामले में पुलिस सरासर झूठ कह रही है. उन्होंने कहा कि दोनों मृतक नक्सली नहीं बल्कि गाँव के ही रहने वाले सामान्य लोग थे.
ग्रामीणों का हाल जाने बगैर छप जाती हैं ख़बरें
पुलिस ने हमेशा की तरह प्रेस रिलीज़ जारी की और मीडिया ने बगैर कोई जांच-पड़ताल किए "पुलिस की बड़ी सफलता, दो ईनामी नक्सली ढेर" सरीखे शीर्षकों के साथ ख़बर प्रकाशित कर दी. दूसरा पक्ष तब सामने आया जब चार सदस्यीय जांचदल ने गाँव का दौरा कर ग्रामीणों से बातचीत की. जांचदल में सोनी सोरी, बेला भाटिया, लिंगाराम कोड़ोपी और मड़कम हिड़में शामिल थे.
अब भी लापता है अजय तेलाम
गुमियापाल से लौटकर जाँचदल ने प्रेस रिलीज़ भी जारी की है. गाँववालों ने जाँचदल को बताया कि इस पूरे इलाके में मुठभेड़ जैसी कोई घटना हुई ही नहीं है. एक ग्रामीण ने कैमरे के सामने कहा कि शाम के समय पोदिया और लच्छु समेत हम पांच दोस्त बैठे खाना-पीना कर रहे थे तभी 15-20 पुलिस वाले आए और मारपीट करने लगे. पोदिया और लच्छु को पुलिस ने गोलियों से मार डाला, दो लोग जैसे-तैसे भाग गए और एक अन्य अजय तेलाम को पुलिस अपने साथ ले गई.
अजय तेलाम की माँ रोज़ थाने के चक्कर लगा रही है पर उसे अजय के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है जबकि कानूनन, गिरफ़्तार किए गए व्यक्ति को 24 घंटों के अंदर मजिस्ट्रेट के समाश प्रस्तुत करना होना है.
अडानी का विरोध करने वालों को मार रही पुलिस
इन सब बातों के आलावा ग्रामीणों ने एक बहुत महत्वपूर्ण बात ये बताई कि मारे गए दोनों ग्रामीण, नंदराज इलाके की बैलाडीला पहाड़ी पर अडानी की कंपनी के दोहन का विरोध करने वाले आन्दोलन में बहुत सक्रिय थे. नंदराज आन्दोलन में शामिल गुड्डी नाम के एक युवक को भी पुलिस ने इसी तरह गोलियों से मार दिया था.
आपको बता दें कि बैलाडीला की एक पहाड़ी (डिपॉज़िट 13), जिसमें 250 मिलियन टन लौह अयस्क होने का अनुमान है, इसे 25 साल के लिए अडानी इंटरप्राइजेस लिमिटेड को लीज़ पर दिया गया था. साल 2015 में वन विभाग ने लोगों के विरोध के बावजूद इसे पर्यावरण क्लियरेंस दे दिया था. बैलाडीला और आसपास के कई गाँवों से बीस हज़ार से भी ज़्यादा ग्रामीणों ने कई दिनों तक इसके ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन किया था. हाल ही के दिनों में माओवादी बताकर मारे गए लोग इस आन्दोलन में सक्रिय रूप से शामिल थे.
मानव अधिकार कार्यकर्ता हिमांशु कुमार ने अपनी फ़ेसबुक पोस्ट में पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि...
" कल रात पोदिया और उसके साथी को पुलिस ने गोली से उड़ा दिया
यह दोनों आदिवासी युवा छत्तीसगढ़ के बैलाडीला में अडाणी का विरोध कर रहे थे
इससे पहले इनके साथी गुड्डी को भी पुलिस ने गोली से उड़ा दिया था
गुड्डी ने अडाणी के लोगों द्वारा पेड़ काटना बंद करवा दिया था
अडाणी ने बैलाडीला की नंद राज पहाड़ी पर 2000 पेड़ काट डाले थे
गुड्डी ने पेड़ काटने वाले लोगों को वहां से भगा दिया था
इसके बाद पुलिस ने जाकर गुड्डी को गोली से उड़ा दिया
सोनी सोरी जब दंतेवाड़ा के एसपी अभिषेक पल्लव से मिलने गई
तभी अभिषेक पल्लव ने कह दिया था कि मैं गुड्डी के साथी पोदिया को भी गोली से उड़ा दूंगा
सोनी सोरी ने फ्रंटलाइन की महिला पत्रकार को पहले ही बता दिया था कि एसपी अब पोदिया की हत्या करेगा
और कल रात एसपी ने पोदिया को गोली से उड़वा दिया
जो आदिवासी आपके बच्चों की सांसें बचाने के लिए इस देश के जंगलों को बचा रहे हैं
बड़े पूंजीपतियों से पैसा लेकर पुलिस अधिकारी उन आदिवासियों को गोली से उड़ा रही है
आपको बताया जा रहा है कि यही विकास है
लेकिन इसमें तो सिर्फ अडाणी का विकास होगा
बस्तर के आदिवासी मारे जाएंगे
और आपके बच्चे बिना ऑक्सीजन के तापमान बढ़ने से मारे जाएंगे
लेकिन खेल देखिए
आप आदिवासी के मरने पर आवाज नहीं उठाएंगे
और आप अडाणी के पक्ष में बोलेंगे
पुलिस की जय जयकार करेंगे
आप अपने बच्चे का गला खुद घोटेंगे
और इसे विकास तथा राष्ट्रवाद से जोड़ कर पुलिस और अडाणी की जय बोलते रहेंगे
आदिवासियों ने सोनी सोरी और बेला भाटिया को गांव बुलाया है
वे लोग पोदिया और उसके साथी की मौत की हत्या की एफआईआर कराने की कोशिश करेंगे
हम जानते हैं पुलिस एफआईआर. नहीं करेगी
इस मामले को कोर्ट में ले जाया जाएगा
लेकिन बहुत सारे मामले पहले भी कोर्ट में ले जाए गए
न्याय तो वहां से भी नहीं मिला
इस समय आदिवासी ही खतरे में नहीं है
आप भी खतरे में है
आपका लोकतंत्र संविधान विकास सब खतरे में है
लेकिन आप समझ नहीं रहे हैं."
गुमियापाल गए जाँचदल के कहे अनुसार और कैमरे पर वहां के ग्रामीणों ने जो कहा उसके अनुसार ये फ़र्ज़ी मुठभेड़ का मामला है. जाँचदल ने कहा है कि इस सम्बन्ध में FIR दर्ज कर इसकी जाँच की जानी चाहिए. जाँचदल ने ये भी मांग की है कि अजय तेलाम को (अजय को 5 दिन पहले पुलिस उठा ले गई थी) जल्द से जल्द मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जाए और प्रदेश में चल रही फ़र्ज़ी मुठभेड़ की घटनाओं को रोकने ज़रूरी कदम उठाए जाएं.