अनिश्चितकालीन उपवास का छठा दिन, लगातार उपवास पर बैठे नर्मदा घाटी के 11 लोग और मेधा पाटकर

Published on: August 4, 2017
नर्मदा घाटी के लोगो ने पुनर्वास भू-अर्जन कार्यालय को घेरा, पुनर्वास से जुड़े सवालों पर अधिकारियों की चुप्पी आम आदमी पार्टी से संसद भगवंत मान और राष्ट्रीय प्रवक्ता आलोक अग्रवाल सहित 50 लोगों ने दिया समर्थन, पुनर्वास स्थलों का किया दौरा



बडवानी, मध्यप्रदेश | 01 अगस्त, 2017
: नर्मदा घाटी में अनिश्चितकालीन उपवास का आज छठा दिन है और अभी भी 12 नर्मदा घाटी के लोग और मेधा पाटकर अनवरत बिना सम्पूर्ण और नयायपूर्ण पुनर्वास के सरकार द्वारा गैर क़ानूनी डूब का विरोध करते हुए उपवास पर बैठे हैं।

देश के उच्चतम न्यायलय ने नर्मदा बचाओ आन्दोलन की याचिका को मंजूरी देते हुए 8 अगस्त 2017 को सुनवाई की तारीख दी है। लेकिन बिना किसी जांच के मध्य प्रदेश सरकार ने यह ज़ाहिर कर कि नर्मदा बचाओ आन्दोलन की याचिका उच्चतम न्यायलय ने ख़ारिज कर दी है, यह साबित कर दिया कि सरकार की नीयत ही नहीं है लोगो का न्यायपूर्वक पुनर्वास करने की। बस कैसे भी लाखों लोगों को बसे बसाये गाँवो में से हटा कर टिन शेड में विस्थापित कर, नर्मदा का पानी कोको-कोला जैसी कंपनियों तक पहुँचाना सरकार का मकसद है।



नर्मदा घाटी के लोगों ने आज बड़वानी पुनर्वास भू-अर्जन कार्यालय का घेराव किया। इसमें एस डी एम व भूअर्जन अधिकारियो के सामने पुनर्वास को ले कर कई सवाल किये गए। लोगो ने अपनी बात रखते हुए कहा कि आज तक हमारा सपूंर्ण पुनर्वास नहीं हुआ है अतः हम बिना पुनर्वास  नर्मदा किनारा नहीं छोड़ेगे। आज भी हम मूलगाव में बसे हुए है, हमको आज तक आजीविका का साधन भी नहीं मिला है, कई को घर प्लाट भी नहीं मिला है, सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी पालन नहीं हुआ है, पुनर्वास स्थालो पर मूलभूत सुविधाए बाकी है।

देवराम कनेरा ने कहा कि आज तक पुनर्वास सरकार के द्वारा नहीं किया गया है। 25 गाँव के प्रतिनिधियो ने अपनी समस्याओ के बारे में सवाल किये। हमारा पुनर्वास नर्मदा अवार्ड के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार व राज्य की पुनर्वास नीति अनुसार किया जाना चाहिए। साथ ही यह भी कहा कि नर्मदा बचाओ आन्दोलन की याचिका को उच्चतम न्यायलय ने मंजूरी देते हुए पहली तारीख 8 अगस्त की दी है। जब तक उच्चतम न्यायलय द्वारा कोई निर्णय नहीं लिया जाता तब तक सरकार को गाँव खाली करवाने की गैर क़ानूनी प्रक्रिया को इसी समय रोक देना चाहिए।

आज आम आदमी पार्टी से पंजाब के सांसद श्री भगवंत मान जी और राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री आलोक अग्रवाल जी अन्य 50 पार्टी के लोगों के साथ अनिश्चितकालीन उपवास स्थल, चिखल्दा में अपना समर्थन देने आये। सेमल्दा और एकलबारा पुनर्वास स्थलों का दौरा भी किया।

आलोक अग्रवाल ने कहा कि नर्मदा बचाओ आन्दोलन देश का एकमात्र ऐसा आन्दोलन है जिसने विकास की परिभाषा को बदला है और कहा है कि जो विकास लोगों के नाम पर हो, वो विकास लोगों के अधिकारों से ऊपर नहीं है। मध्य प्रदेश सरकार उच्चतम न्यायालय के आदेश की झूठी व्याख्या कर गुजरात की गुलामी कर रहा है। 32 साल का राजनैतिक इतिहास बताता है कि आज तक जो भी सत्ता में बैठा है उसने हमेशा विस्थापितों को धोखा ही दिया है। शिवराज सिंह चौहान ने नर्मदा घाटी के विकास पर 6 पन्ने का विज्ञापन दिया था। अगर वे कहते हैं कि पूर्ण पुनर्वास हो गया है तो पुनर्वास स्थलों की फोटो विज्ञापन में दे कर दिखाएँ। आम आदमी पार्टी पग पग पर आपके साथ है और पहली गोली और पहली लाठी खाने वाले हम ही होंगे। नर्मदा बचाओ आन्दोलन की लड़ाई ने यही साबित किया है कि सत्य की हमेशा जीत होती है।

पंजाब के सांसद भगवंत मान जी ने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार द्वारा कागजों में बहुत योजनायें चलाई जा रही हैं लेकिन वास्तविकता में कुछ भी नहीं है। सरकार ने पुनर्वास के नाम पर जो टिन के डब्बे बनाये हैं  उसमे गाँव में बसे हुए बड़े बड़े परिवार कैसे रहेंगे, उनके मवेशी कहाँ रहेंगे, क्या इसके बारे में शिवराज सिंह चौहान ने कुछ सोचा है ? सड़क के नाम पर चुनाह और पानी और नालियां तो सिर्फ कागजों में है। ज़रा 4 घंटे बिता कर दिखाएँ, मै चुनौती देता हूँ। उच्चतम न्यायाय द्वारा दी गई 31 जुलाई की अंतिम तारीख जिसके दम पर सरकार घाटी में दमन कर रही है, वो आखिरी तारीख लोगों के लिए नहीं, सरकार के पूर्ण पुनर्वास करने की आखिरी तारीख है।



मंदसौर में किसानो ने अपनी फसल के दाम मांगे और शांतिपूर्वक धरना दिया तो उन पर गोली चला दी। जिन किसानो की मेहनत का अन्न खाते हैं उन्हें ही शिवराज सिंह चौहान ने गोली खिला दी। लोकतंत्र में सरकार नहीं, लोग बड़े होते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी  कहते है, सबका साथ सबका विकास लेकिन नर्मदा में होता सबका विनाश और उनका विकास है। नर्मदा घाटी के अच्छे दिन कब आयंगे ?

शिवराज सिंह सरकार गरीबों और दलितों पर अत्याचार कर रही है, किसानो को मार रही है और नर्मदा घाटी के लोगों की जल हत्या कर रही है, यह कैसा लोकतंत्र है ? एक तरफ बेटी बचाओ, बेटी पढाओ का नारा लगाते हैं, नर्मदा घाटी की हजारों बेटियों को कैसे भूल गए ?

लोगों की शक्ति को कमज़ोर समझने की भूल ना करे यह सरकार, लोगों की एकता ने बड़े बड़े तख़्त हिलाए हैं। यह मुद्दा मानवता का मुद्दा है, लोगों के अधिकारों का मुद्दा है, आपकी आवाज़ को संसद तक पहुचाएंगे।

किसान संघर्ष समिति व जन आन्दोलनों के राष्ट्रीय समन्वय के राष्ट्रीय संयोजक डॉ सुनीलम ने नर्मदा घाटी के संघर्षरत लोगो को अपना समर्थन देते हुए कहा कि झूठ व भ्रष्टाचार की नीव पर चल रही सरकार लाखों लोगों की एकता और संघर्ष के सामने बहुत कमज़ोर है। देश भर के जन आन्दोलनों के समर्थन के साथ साथ देश भर की राजनितिक पार्टियों का भी साथ है।       

देश भर में नर्मदा घाटी के लोगों के संघर्ष और लड़ाई के समर्थन में हुए निम्नलिखित प्रदर्शन:-

·         कोज़िकोड़े, केरल में दिया गया धरना |

·         थ्रीसूर, केरल के जन आन्दोलनों ने आज 1 दिन का उपवास रख अपना समर्थन ज़ाहिर किया |

·         भुवनेश्वर, उड़ीसा में एक दिन का उपवास

·         CPIM ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में नर्मदा घाटी के संघर्ष को समर्थन

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