महिला दिवस पर नर्मदा घाटी महिला मंच की स्थापना

Written by Sabrangindia Staff | Published on: March 9, 2020
करीबन 500 महिला और पुरुषों ने मिलकर रैली निकालकर आंतराष्ट्रीय महिला दिवस से एक दिन पूर्व अपनी सोच, संकल्प और मांगें घोषित करते हुए सफल कार्यक्रम चलाया। शहीद स्तंभ पर फूल चढाते हुए उसपर लिखे नाम पढ़कर उऩ्होंने कहा कि आजादी आंदोलन के शहीदों की एकता से हमें सीखना चाहिए। उन नामों में शरीक, जो कि हिन्दू या मुसलमान नहीं, मात्र देशभक्ति से प्रेरित थे। इनमें ख्वाजा बदिस्म, भीमा नायक के साथ, तुलसीराम भी थे! शहीदों आपके सपनों को मंजिल तक पहुंचाएंगे के नारे गूंजे।



महिलाओं ने रैली के द्वारा बड़वानी में आवाज उठाते हुए झंडा चौक में आकर पंडाल भर दिया! सेंचुरी श्रमिकों के संघर्ष से निकले लोग गीत में साथी थे! उपस्थितों में बड़वानी, धार जिले की किसान, मजदूर, मछुआरा, आदिवासी महिलाएं शामिल थीं। उनमें डूब से विस्थापित लेकिन पुनर्वसित न होते हुए टीन शेड रह रही महिलाएं भी थीं। सनोबर बी मन्सूरी और कमला यादव ने संचालन करते हुए, सबका स्वागत किया।

इसके अलावा बड़वानी, धरमपुरी और मानवर से पधारीं शाहीन बाग़ की महिलाएं, करिश्मा जैसी वक्ता और कवयित्री युवती और शमीम खाला व रझिया आपा का भी स्वागत किया गया। नारी शक्ति के समर्थन में मनावर के इक्बाल भाई और बड़वानी के डॉ. पटेल, गुरदीप सिंह तथा राजन मंडलोई और मंदसौर के किसान नेता भी उपस्थित रहे!

कार्यक्रम की मुख्य अतिथियों में मीनाक्षी नटराजन, भूतपूर्व सांसद, मंदसौर तथा अखिल भारतीय महिला फेडरेशन की जुझारू कार्यकर्ती सारिका बहन भी शामिल थीं! इंदौर से गरीब बस्तियों में कार्यरत सिस्टर निशा भी पधारी थीं। सर्वधर्म समभाव के साथ इन तीनों ने आवाज उठायी, जिनमें एकता के साथ ही महिलाओं की ताकत और नारीवादी विचारधारा सशक्त करने का ऐलान था!



कार्यक्रम की शुरुआत में सभी अतिथियों और नर्मदा घाटी की महिला प्रतिनिधियों ने नर्मदा घाटी महिला मंच का बैनर खोलकर उसकी स्थापना जाहिर की!            

इस मौके पर सारिका जी ने कहा, CAA–NPR–NRC की चाल महिला विरोधी है क्योंकि इससे महिलाओं पर, कागजात न होने से, सबसे अधिक अत्याचार हो रहा है और होगा जरूर! सारिका ने आज की आर्थिक दुरवस्था से जोड़कर महिलाओं को श्रमिक के नाते अपने अधिकारों को बचाने के लिए कहा, कि हमारा व आपके बेटो बेटीयों का रोजगार जैसे मुद्दे पर प्रबोधन जरूरी है! उन्होंने कहा कि इतिहास में इस कानून को वोटबैंक के लिए चलायी चाल के रूप में नकारना और कोई आंदोलन जीवटता से चलाकर मंजिल तक पहुंचना स्त्रियों ने ही हासिल किया है। सारिका ने महिला दिवस का इतिहास बताकर नर्मदा घाटी को जागृत किया।

मंदसौर की भूतपूर्व सांसद तथा आज की कांग्रेस के घोषणा–पत्र पर अमल संबंधी निगरानी समिति की सदस्या मीनाक्षी नटराजन ने नर्मदा घाटी की महिलाओं का 35 सालों के संघर्ष के लिए अभिनंदन किया। उन्होंने पैदल चलकर डूब क्षेत्र, पहाड़ और निमाड़ को भी न केवल देखा बल्कि वहाँ की दिक्कतें और प्राकृतिक बर्बादी को जाँचकर अपनी रिपोर्ट  मुख्यमंत्री के समक्ष दर्ज करते हुए, जनता के पक्ष में हस्तक्षेप भी किया है। इसी आधार पर मीनाक्षी ने लोगों को संपूर्ण पुनर्वास में महिलाओं के मुद्दे मध्यप्रदेश शासन के समक्ष पेश करके सुलझाने के बारे में आश्वासित किया। उन्होंने कहा कि “महिलाओं की जीवटता आज काले कानून को नकारने के लिए भी जरूरी है। नर्मदा और शाहीन बाग जैसे आंदोलन ही जातपात को तोड़ते हैं! संविधान के मूल्यों को ही मानकर महिलाओं को अपनी ताकत आगे बढ़ाना जरूरी है। बाबा साहब ने न केवल दलित बल्कि हिन्दू महिलाओं को भी अधिकार दिया है। हम उसे हासिल करके ही रहेंगे!”

धरमपुरी की शाहीन बाग़ से पधारी युवती करिश्मा ने अपना करिश्मा फैलाया। अपने ऐलान भरे वक्तव्य में उसने महिलाओं से आग्रह किया कि वे अपनी बेटियों को पढ़ायें। उसने कहा कि शाहीन बाग़ और नर्मदा जैसे जनआंदोलन महिलाओं को सशक्त करते हैं, संबल देते हैं। महिलाओं की जीवटता का सम्मान करते हुए उसने उनसे संविधान बचाने के आज के आंदोलन में शरीक होकर अपने अधिकार हासिल करने का तथा NPR, NRC में शामिल न होने का, कागज नहीं दिखाने का ऐलान भी किया।

जयस संगठन की महिला नेत्री सीमा वास्कले, संगीता और करुणा बहन ने मंच से आदिवासी युवती और महिलाओं को अपने दम पर राजनीति सहित हर क्षेत्र में बढने के लिए प्रोत्साहित किया! सीमा बहन ने बाजारी, व्यापारी ताकतों से महिलाओं को फसाने की साजिशों से बचने कहा तथा पुरुषों को न केवल महिला दिवस पर बल्कि हर वक्त महिलाओं को सम्मान और कार्य में सहयोग देने तथा उनका सहभाग लेने का ऐलान भी किया।

नर्मदा घाटी की ओर से कमला यादव, सरस्वती बहन, श्यामा मछुआरा, और सनोबर बी मन्सूरी ने तथा सेंचुरी के श्रमिकों की तरफ से मनीषा ताई पाटील ने अपने-अपने मुद्दों पर जैसे महिलाओं के अधिकार सहित पुनर्वास, रोजगार, मछुआरों का जलाशय पर अधिकार की बात विस्तृत रूप से पेश की। मध्यप्रदेश शासन को केंद्र और गुजरात से लड़कर भी सरदार सरोवर का जलस्तर 122 मीटर पर रखने की बात करने का आग्रह किया।

श्यामा मछुआरा ने कड़ड़ाते वक्तव्य में कहा कि मछुआरों को भी आजादी चाहिए। मछुआरा महिलाएं हमारा जलाशय ठेकेदारों को देने की खिलाफत करेंगी। हमारे पास माँ नर्मदा का कोई पट्टा नहीं है! हम यहीं पैदा हुए हैं और प्रकृति हमारी है तो इसी के साथ जीएंगे और मरेंगे! सरस्वती बहन ने नर्मदा घाटी की महिलाओं के साथ, टीनशेड में रखकर, खातेदार महिलाओं के हक को नकारकर हो रहे अन्याय को उजागर करके राज्य और केंद्र सरकार को चेतावनी दी।

शराबबंदी की बात हर वक्ता ने उठायी और कहा कि शराब से केवल नशा नहीं, हिंसा भी होती है। गांव गांव में, घर घर में महिलाओं का शराब विरोधी आक्रोश होते हुए, मध्यप्रदेश सरकार महिलाओं के लिए शराब की ख़ास दुकानें नहीं खोल सकती! शिवराज शासन में शराब की दुकाने नर्मदा किनारे से हटाने की घोषणा खोखली ठहरी अब कमलनाथ सरकार शराब को बढ़ावा देगी या व्यापार बंद करेंगे, यह हम महिलाएं देखेंगी।

मनीषा ताई पाटील ने महिलाओं को रोजगार के लिए आक्रोश प्रकट किया। कंपनियों की मनमानी से श्रमिक परिवारों की महिला और बच्चों पर कहर छाया जाता है इसलिए रोजगार बचाने, कंपनी के पूंजीपतियों से अपनी मेहनत का हिसाब केवल पूंजी या VRS से न लेते हुए, श्रमिकों के मालिक बनने के लिए जारी सत्याग्रह की हकीकत और उसमें महिलाओं का योगदान सामने रखा।

मेधा पाटकर जी ने देशभर में एक ओर उकसायी गयी हिंसा और दुसरी ओर मातृत्व की देन अहिंसा के बीच के संघर्ष को स्पष्ट किया। आसाम से दिल्ली तक चल रहा हिंसा और दमन का नाट्य देखकर CAA, NPR और NRC के विरोध की जरूरत सबको समझने की जरूरत व्यक्त की!

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