नर्मदा घाटी के लोगों ने विस्थापन और पुनर्वास की प्रक्रिया की जांच करने आये केंद्रीय जल आयोग के 4 सदस्यीय दल का किया घेराव

केंद्रीय जल आयोग के सदस्य, एस.के हल्दर ने माना कि जब 8 साल मे नही हो पाया पुनर्वास तो 2 महीने मे होना असंभव 
आश्वासन देकर भी नही आये एस.के हल्दर पिछौडी गाँव की बसावट का दौरा करने





बड़वानी, 9 जून : नर्मदा जल विवाद न्यायाधिकरण, राज्य सरकार के नीतियों और सुप्रीम कोर्ट के 8 फ़रवरी के फैसले के अनुसार नर्मदा घाटी में  में चल रहे विस्थापन और पुनर्वास की प्रक्रिया की जांच करने और बसावटों की स्थिति जांचने के लिए केंद्रीय जल आयोग के सदस्यों के  6 दल, 7 जून से 9 जून तक घाटी के पुनर्वास स्थलों का दौरा कर रहे थे| लेकिन इसकी जानकारी गाँव व बसावट वालों को नहीं दी गयी है और ना ही इस सम्बन्ध में लोगों से बातचीत की जा रही है। आज एक दल जिसमें केंद्रीय जल आयोग के सदस्य एस.के हलदर, नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण के सदस्य राजेश मिश्रा सहित 4 सदस्यों का दल बड़वानी जिले के गांवों का दौरा करने पंहुचा जिसकी जानकारी मिलते ही आस पास के गांवों की महिलाएं, युवा तथा पुरुष उनसे इस विषय पर सवाल करने के लिए पहुच गए । लोगों द्वारा प्रश्न पूछे जाने पर बताया गया की ये दल बसावटों की वर्त्तमान स्थिति के मॉडल (बिजली, पानी, सड़क आदि) का ब्यौरा लेकर 11 जून तक अपनी रिपोर्ट नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण में जमा करेगी ।  एस.के हलदर ने लोगों की बातें सुनी और यह भी स्वीकार किया की बसावट स्थल अभी भी पुनर्वास के लिए तैयार नहीं हैं और साथ ही यह भी माना की 31 जुलाई से पहले पुनर्वास करना संभव नहीं है ।  उन्होंने कहा कि  जो काम 8 वर्षों  में पूरा नहीं हो पाया,  इतने कम समय में पूरा होना मुश्किल होगा । एस.के हलदर ने बताया की उनका कार्य  नदियों के जलप्रवाह को मापना तथा कितनी दूर तक डूब आ सकती है यह जांचने का है ,इस पर गाँव वालों ने पूछा कि यदि आप यह सभी ब्यौरा तैयार करते हैं तो बैक वाटर में आ रहे गांवों को डूब से बाहर कैसे कर दिया गया? और बाढ़ निर्धारित सीमा के 3-4 मीटर दूर तक कैसी आ जाती है?  तो इस पर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया और कहा कि हमारी रिपोर्ट फाइनल रिपोर्ट नहीं होगी इसके बाद कुछ और अधिकारी भी गांवों की स्थिति देखने आ सकते हैं । 


नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण (NCA) के सदस्य राजेश मिश्रा से पूछा गया कि 17 मई को हुयी बैठक में क्या निर्णय लिए गए? बार- बार पूछे जाने पर भी राजेश मिश्रा द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया । आखिर में बस यह कहकर वह निकल गए कि इसका जवाब सर (एस के हलदर) देंगे । इसके बाद मीडिया द्वारा सवाल किये जाने पर राजेश मिश्रा वहां से भाग गए ।  


एस.के हल्दर से उनके terms of reference और उनके कार्यों के बारे में जानकारी माँगने पर इस बात पर सहमति बनी की घाटी के कुछ प्रतिनिधि इस दल के साथ गाँव में जायेंगे तथा ग्रामवासियों से बातचीत करके गाँव/ बसाहट की स्थिति के बारे में ताजा स्थिति का संज्ञान लेंगे । केंद्रीय दल ने बताया कि वह सबसे पहले सेगांव के बोरलाई-II गाँव में जा रहे हैं, नर्मदा घाटी के 3-4 प्रतिनिधि भी वहां पहुच सकते हैं इसके बाद सभी ग्रामवासियों के साथ वे पिछोड़ी गाँव जायेंगे । घाटी के प्रतिनिधि जब सेगांव पहुचे तो पता चला कि  केंद्रीय जल आयोग का यह दल सेगाँव गया ही नहीं और दिये गए समय पर पिछोड़ी भी नहीं पंहुचा । 





अधिकारीयों द्वारा लोगों को झूठा आश्वासन दिया गया और भ्रमित किया गया । पहले तो प्रतिनिधि संवाद करने को तैयार नहीं होते और जब तैयार होते हैं तो इस तरह की दोहरी राजनीति से लोगों में अविश्वास पैदा करते हैं । सरकार का पैसा खर्च करने के बाद भी जांच निष्पक्ष होनी चाहिए| इसमें विस्थापितों को भी पूर्व सुचना देनी चाहिए और पूरी प्रक्रिया सही तरीके से होनी चाहिए|      


देवराम कनेरा     राहुल यादव        भगीरथ धनगर      कमला यादव         
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