एससी, एसटी छात्रों के साथ सामाजिक आधार पर भेदभाव से बचें विश्वविद्यालय: यूजीसी

Written by sabrang india | Published on: July 1, 2019
नई दिल्ली: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सभी विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि उनके पदाधिकारी और फैकल्टी सदस्य अनुसूचित जाति और जनजाति के छात्रों के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव करने से बचें।

यूजीसी ने विश्वविद्यालयों से कहा है कि वे अपनी वेबसाइट पर एक पेज बनाएं जहां इससे जुड़ी शिकायतें दर्ज कराई जा सकें और ऐसी किसी भी शिकायत पर तुरंत कार्रवाई हो। यूजीसी के इस निर्देश से आरक्षित वर्ग से आने वाले छात्रों को इंटरव्यू में कम मार्क्स मिलने जैसे भेदभाव में कमी आने की संभावना है। 

यूजीसी के सचिव रजनीश जैन ने कुलपतियों को लिखे पत्र में कहा है, ‘विश्वविद्यालय और कॉलेजों को यह सुनिश्चत करना चाहिए कि कोई भी पदाधिकारी या फैकल्टी सदस्य किसी भी समुदाय या श्रेणी के छात्रों के खिलाफ भेदभाव ना करे। उन्हें अनुसूचित जाति और जनजाति छात्रों के साथ उनके सामाजिक स्तर के कारण भेदभाव करने से बचना चाहिए।’

जैन ने कहा, ‘गलती करने वाले पदाधिकारियों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई हो। विश्वविद्यालय ऐसी शिकायतों से निपटने के लिए समिति का गठन भी कर सकता है। पदाधिकारियों को बेहद संवेदनशीलता के साथ ऐसी शिकायतों का निपटारा करना चहिए और इस संबंध में कार्रवाई रिपोर्ट 30 दिन के भीतर यूजीसी को भेजी जानी चाहिए।’

बता दें कि विश्वविद्यालयों में अकसर एससी/ओबीसी के छात्रों को वायवा में कम नंबर दिए जाने की शिकायत मिलती रही हैं। आरक्षित वर्ग के छात्रों के रिटेन और इँटरव्यू में काफी फर्क आता है। रिटेन टेस्ट में अच्छे नंबर लाने वाले छात्र अकसर इंटरव्यू में फेल कर दिए जाते हैं जिसके कारण उनका दाखिला होने में भी काफी परेशानी होती है। 

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