उच्च शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण खत्म करने की कोशिश नाकाम, विरोध के बाद UGC और शिक्षा मंत्रालय ने सफाई दी

Written by sabrang india | Published on: January 29, 2024
उच्च शिक्षण संस्थानों में टीचिंग और नॉन-टीचिंग पदों पर आरक्षण को खत्म करने की मोदी सरकार की साजिश नाकाम हो गई है। यूजीसी के एक मसौदा निर्देश में आरक्षित सीटों पर भर्ती न होने पर उन्हें जनरल सीटों में तब्दील करने का प्रस्ताव था, जिसपर बवाल के बाद शिक्षा मंत्रालय ने बैकफुट पर आते हुए बयान जारी किया है। 


 
दरअसल, यूजीसी के एक मसौदा निर्देश में आरक्षित कैटेगरी की सीटें खाली रहने पर अनारक्षित घोषित करने का प्रस्ताव था। यह मसौदा निर्देश सामने आते ही विवाद शुरू हो गया। विश्वविद्यालयों से लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म तक इसका विरोध शुरू होने के बाद अब शिक्षा मंत्रालय ने एक स्पष्टीकरण जारी किया है। रविवावर को जारी स्पष्टीकरण में मंत्रालय ने कहा कि किसी भी पद को अनारक्षित नहीं किया जाएगा। शिक्षा मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों (शिक्षकों के संवर्ग में आरक्षण) अधिनियम, 2019 के अनुसार शिक्षक संवर्ग में सीधी भर्ती के सभी पदों के लिए केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण प्रदान किया जाता है।’’

मंत्रालय ने कहा, ‘इस अधिनियम के लागू होने के बाद, किसी भी आरक्षित पद का आरक्षण समाप्त नहीं किया जाएगा। शिक्षा मंत्रालय ने सभी केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों (सीईआई) को 2019 अधिनियम के अनुसार रिक्तियों को भरने के निर्देश दिए हैं।’

UGC के ड्राफ्ट में क्या है?

ड्राफ्ट की गाइडलाइन में कहा गया है कि उच्च शिक्षा संस्थानों में SC, ST और OBC के पर्याप्त उम्मीदवार नहीं होने की स्थिति में सीटों को गैर-आरक्षण की प्रक्रिया का पालन करके डी-रिजर्व किया जा सकता है। इसके बाद इन सीटों को सामान्य वर्ग के लिए खोला जाए। ड्राफ्ट में आरक्षित रिक्त पदों में कमी और बैकलॉग की भी बात कही गई है और कहा गया है कि विश्वविद्यालयों को जल्द से जल्द दूसरी बार भर्ती बुलाकर रिक्तियों को भरने का प्रयास करना चाहिए।

प्रमोशन के मामले में यदि रिजर्व रिक्रूटमेंट के खिलाफ प्रमोशन के लिए पर्याप्त संख्या में SC और ST उम्मीदवार उपलब्ध नहीं हैं, तो ऐसी रिक्तियों को अनारक्षित किया जा सकता है और अन्य वर्ग के उम्मीदवारों से भरा जा सकता है। डी-रिजर्वेशन के प्रस्ताव पर UCG और शिक्षा मंत्रालय की अथॉरिटी ने सहमति जताई थी।
 
यूजीसी के चेयरमैन ने भी दी सफाई

मामले पर विवाद बढ़ने के बाद यूजीसी के चेयरमैन प्रोफेसर एम जगदीश कुमार ने भी स्पष्ट किया कि अतीत में केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों (सीईआई) में आरक्षित श्रेणी के पद का आरक्षण रद्द नहीं किया गया है और ऐसा कोई आरक्षण समाप्त नहीं किया जाने वाला है। उन्होंने भी पोस्ट किया, ‘यह स्पष्ट किया जाता है कि अतीत में केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षित श्रेणी के पदों का कोई आरक्षण समाप्त नहीं हुआ है और ऐसे कोई आरक्षण समाप्त नहीं होने जा रहा है।’’ उन्होंने कहा कि सभी उच्च शैक्षणिक संस्थानों के लिए यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि आरक्षित श्रेणी के सभी पूर्व में रिक्त पद (बैकलॉग) ठोस प्रयासों से भरे जाएं।



UGC ने 27 दिसंबर 2023 को जारी की थी गाइडलाइन
 
नीति लागू करने के लिए UGC ने 27 दिसंबर 2023 को गाइडलाइन जारी की थी। इस पर पब्लिक ओपिनियन देने के लिए 28 जनवरी तक का दिया गया था।
ड्राफ्ट की गाइडलाइन में कहा गया था कि उच्च शिक्षा संस्थानों में SC, ST और OBC के पर्याप्त उम्मीदवार नहीं होने की स्थिति में सीटों को गैर-आरक्षण की प्रक्रिया का पालन करके डी-रिजर्व किया जा सकता है। इसके बाद इन सीटों को सामान्य वर्ग के लिए खोला जाए।

कांग्रेस बोली- दलित पिछड़ों का आरक्षण खत्म करने की साजिश

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी ड्राफ्ट की गाइडलाइन पर सवाल खड़ा किया है। उन्होंने रविवार (28 जनवरी) को कहा कि उच्च शिक्षा संस्थानों में SC, ST और OBC के रिजर्वेशन को खत्म किए जाने की साजिश की जा रही है।

जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट में लिखा- मोदी सरकार दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों के लिए केवल दिखावे की राजनीति कर रही है। कुछ वर्ष पहले RSS प्रमुख मोहन भागवत ने आरक्षण की समीक्षा करने की बात कही थी। अब उच्च शिक्षा संस्थानों में SC, ST और OBC को मिलने वाले आरक्षण को खत्म करने की साजिश हो रही है। UGC का यह प्रस्ताव मोहन भागवत की मंशा के अनुरूप है और स्पष्ट रूप से दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों के साथ अन्याय है।

उन्होंने आगे कहा कि पिछले दिनों जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न दिए जाने पर राहुल गांधी ने कहा था कि देश को ‘सांकेतिक राजनीति’ नहीं ‘वास्तविक न्याय’ चाहिए। मोदी सरकार दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों के मामले में सिर्फ ‘सांकेतिक राजनीति’ ही कर रही है।

मोदी सरकार की असली नियत क्या है वो UGC के इस प्रस्ताव से एक बार फिर सामने है। हमारी लड़ाई इसी अन्याय और बाबा साहेब के संविधान पर लगातार हो रहे हमलों के खिलाफ है। कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में आरक्षण को खत्म करने वाला यह प्रस्ताव पूरी तरह से अस्वीकार्य है। इसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।

यह आरक्षण खत्म करने की साजिश, मैं इसका विरोध करता हूं: आकाश आनंद

बहुजन समाज पार्टी के नेशनल कोऑर्टिनेटर आकाश आनंद ने भी इस ड्राफ्ट पर ऐतराज जताया। उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया है, ''भारत के शिक्षण संस्थानों में केंद्र सरकार आरक्षण ख़त्म करने का जो असंवैधानिक तरीका लागू करना चाहती है वो सीधे-सीधे  OBC/SC/ST आरक्षण को ख़त्म करने की एक सुनियोजित साजिश है। ये सरकार की जातिवादी मानसिकता को दर्शाता है जो देश के बहुजन समाज को शिक्षा से वंचित रखने की साज़िश का हिस्सा है। मैं इसका विरोध करता हूँ। केंद्र सरकार इस निर्णय को तुरंत वापस ले। हम ऐसे प्रस्तावों से अपने अधिकारों का हनन नहीं होने देंगे।''



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