नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 2002 गुजरात दंगों के दौरान गैंगरेप का शिकार हुई बिलकिस बानो की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए गुजरात सरकार को आदेश दिया कि पीड़िता को दो हफ्ते के भीतर 50 लाख रुपये मुआवजा दिया जाए। साथ ही आदेश दिया कि बिलकिस बानो को सरकारी नौकरी और रहने के लिए आवास भी दिया जाए।
बिलकिस बानो की ओर से दायर अवमानना याचिका में कहा गया कि कोर्ट के आदेश के बाद भी गुजरात सरकार ने उसे अभी तक कुछ भी नहीं दिया है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को आदेश का पालन करने के लिए सिर्फ दो हफ्ते का समय दिया। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को बानो को 50 लाख रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया था।
बिलकिस बानो साल 2002 के गुजरात दंगों के दौरान सामूहिक दुष्कर्म की शिकार हुई थी। पिछली सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ को गुजरात सरकार ने बताया था कि इस मामले में चूक करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है।
साल 2002 के ‘गुजरात दंगा मामले’ में मुंबई की विशेष अदालत ने 21 जनवरी 2008 को 11 लोगों को दोषी ठहराते हुए उनको उम्रकैद की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने पुलिसकर्मी और डॉक्टरों सहित सात लोगों को बरी कर दिया। इसके बाद यह केस हाई कोर्ट में पहुंचा था। हाई कोर्ट ने चार मई 2017 को इस मामले में फैसला सुनाया था। इस फैसले में पांच पुलिसकर्मियों और दो डॉक्टरों समेत सात को दोषी ठहराया था।
बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल अप्रैल महीने में गुजरात सरकार को दंगा मामले की पीड़िता बिलकिस बानो को 50 लाख रुपये का मुआवजा देने के आदेश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी नौकरी और आवास देने को भी कहा था। गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया था कि दोषी अधिकारियों, जिन्होंने बिलकिस गैंगरेप मामले में सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश की, उनमें से कई को पूरे पेंशन लाभ से हटा दिया गया। एक IPS अधिकारी को दो रैंकों में डिमोट किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस वालों पर कार्रवाई पर मुहर लगा दी थी।
बिलकिस बानो की ओर से दायर अवमानना याचिका में कहा गया कि कोर्ट के आदेश के बाद भी गुजरात सरकार ने उसे अभी तक कुछ भी नहीं दिया है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को आदेश का पालन करने के लिए सिर्फ दो हफ्ते का समय दिया। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को बानो को 50 लाख रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया था।
बिलकिस बानो साल 2002 के गुजरात दंगों के दौरान सामूहिक दुष्कर्म की शिकार हुई थी। पिछली सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ को गुजरात सरकार ने बताया था कि इस मामले में चूक करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है।
साल 2002 के ‘गुजरात दंगा मामले’ में मुंबई की विशेष अदालत ने 21 जनवरी 2008 को 11 लोगों को दोषी ठहराते हुए उनको उम्रकैद की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने पुलिसकर्मी और डॉक्टरों सहित सात लोगों को बरी कर दिया। इसके बाद यह केस हाई कोर्ट में पहुंचा था। हाई कोर्ट ने चार मई 2017 को इस मामले में फैसला सुनाया था। इस फैसले में पांच पुलिसकर्मियों और दो डॉक्टरों समेत सात को दोषी ठहराया था।
बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल अप्रैल महीने में गुजरात सरकार को दंगा मामले की पीड़िता बिलकिस बानो को 50 लाख रुपये का मुआवजा देने के आदेश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी नौकरी और आवास देने को भी कहा था। गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया था कि दोषी अधिकारियों, जिन्होंने बिलकिस गैंगरेप मामले में सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश की, उनमें से कई को पूरे पेंशन लाभ से हटा दिया गया। एक IPS अधिकारी को दो रैंकों में डिमोट किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस वालों पर कार्रवाई पर मुहर लगा दी थी।