देहरादूनः जातिवाद का मुद्दा आजादी के सात दशक बाद भी बदस्तूर जारी है। दलित समुदाय के लोगों के साथ आज भी किस तरह का घिनौना व्यवहार खुद को ऊंची जात बताने वाले सवर्ण करते हैं यह किसी से छिपा नहीं है। दलितों को आज भी जानवर से भी बदतर समझा जाता है। दलित सवर्णों की कोई चीज छू ले तो उसे जान से हाथ धोना पड़ सकता है। आए दिन दलितों की हत्या के मामले सामने आते हैं। अब उत्तराखंड से भी एक मामला सामने आया है जहां दलित को कुर्सी पर बैठकर खाने की वजह से इतना पीटा गया कि उसकी जान चली गई।
मामला उत्तराखंड के टिहरी जिले का है जहां सवर्ण जाति के कुछ लोगों ने शादी समारोह में कुर्सी पर बैठकर खाना खाने पर एक दलित युवक की बेरहमी से पिटाई की, जिसकी उसकी मौत हो गई।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, मृतक जितेंद्र दास (23) के परिवार का कहना है कि 26 अप्रैल को नैनबाग तहसील में उस पर हमला किया गया क्योंकि उसने सवर्ण जाति के कुछ लोगों के सामने कुर्सी पर बैठकर खाना खाया था। दास को पहले एक स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया लेकिन बाद में तबीयत बिगड़ने पर उसे 28 अप्रैल को श्री महंत इंद्रेश अस्पताल ले जाया गया, जहां उसने दम तोड़ दिया।
दास की मौत के तुरंत बाद उसे परिवार के लोग और गांववाले कोरोनेशन अस्पातल के बाहर धरने पर बैठ गए, इसी अस्पताल में मृतक के शव को पोस्टमार्टम के लिए ले जाया गया था। मृतक की बहन पूजा ने बताया कि जिस शादी में यह घटना घटी, वह एक दलित शादी थी।
पूजा ने बताया, ‘वह हमारे कजिन की शादी थी। मैंने भाई ने एक गलती कर दी उसने उस काउंटर से खाना लिया, जहां सवर्ण जाति के लोग खाना खा रहे थे और फिर वह उनके साथ ही कुर्सी पर बैठकर खाना खाने लगा।’
पूजा ने बताया, ‘इससे सवर्ण जाति के लोग गुस्से में आ गए। उन्होंने कहा कि यह नीच जाति का हमारे साथ खाना नहीं खा सकता। खाएगा तो मरेगा। मेरा भाई परिवार में अकेला कमाने वाला था। अब हम क्या करेंगे?
नैनबाग पचांयत के एक सदस्य संदीप खन्ना ने कहा कि पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्ज करने में काफी समय ले लिया और अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है जबकि आरोपियों के ख़िलाफ़ अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।
खन्ना ने कहा, ‘उन्होंने हमें रोकने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस की तैनाती की लेकिन वह टिहरी में एक भी शख्स को गिरफ्तार नहीं कर पाए।’ उन्होंने कहा, ‘लगभग छह महीने पहले सवर्ण जाति के एक शख्स ने शराब नहीं देने के लिए एक दलित युवक की पिटाई कर दी थी। वह पीड़ित युवक अभी भी लापता है। बार-बार किए गए प्रयासों के बावजूद पुलिस ने अभी तक उस मामले में एफआईआर दर्ज नहीं की है।
डीएसपी उत्तम सिंह जिमवाल ने कहा, ‘सवर्ण जाति के कुछ लोग अपने सामने एक दलित युवक को कुर्सी पर बैठकर खाना खाते देख गुस्से में आ गए और उसकी बेरहमी से पिटाई कर दी।’ उन्होंने बताया कि यह घटना 26 अप्रैल को जिले के श्रीकोट गांव में एक शादी समारोह में हुई। डीएसपी ने बताया कि गंभीर रूप से घायल जितेंद्र ने नौ दिन के इलाज के बाद देहरादून के अस्पताल में दम तोड़ दिया।
डीएसपी ने बताया कि जितेंद्र की बहन की शिकायत के आधार पर पुलिस ने सात लोगों गजेंद्र सिंह, सोबन सिंह, कुशाल सिंह, गब्बर सिंह, गंभीर सिंह, हरबीर सिंह और हुकूम सिंह के ख़िलाफ़ अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया है।
मामला उत्तराखंड के टिहरी जिले का है जहां सवर्ण जाति के कुछ लोगों ने शादी समारोह में कुर्सी पर बैठकर खाना खाने पर एक दलित युवक की बेरहमी से पिटाई की, जिसकी उसकी मौत हो गई।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, मृतक जितेंद्र दास (23) के परिवार का कहना है कि 26 अप्रैल को नैनबाग तहसील में उस पर हमला किया गया क्योंकि उसने सवर्ण जाति के कुछ लोगों के सामने कुर्सी पर बैठकर खाना खाया था। दास को पहले एक स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया लेकिन बाद में तबीयत बिगड़ने पर उसे 28 अप्रैल को श्री महंत इंद्रेश अस्पताल ले जाया गया, जहां उसने दम तोड़ दिया।
दास की मौत के तुरंत बाद उसे परिवार के लोग और गांववाले कोरोनेशन अस्पातल के बाहर धरने पर बैठ गए, इसी अस्पताल में मृतक के शव को पोस्टमार्टम के लिए ले जाया गया था। मृतक की बहन पूजा ने बताया कि जिस शादी में यह घटना घटी, वह एक दलित शादी थी।
पूजा ने बताया, ‘वह हमारे कजिन की शादी थी। मैंने भाई ने एक गलती कर दी उसने उस काउंटर से खाना लिया, जहां सवर्ण जाति के लोग खाना खा रहे थे और फिर वह उनके साथ ही कुर्सी पर बैठकर खाना खाने लगा।’
पूजा ने बताया, ‘इससे सवर्ण जाति के लोग गुस्से में आ गए। उन्होंने कहा कि यह नीच जाति का हमारे साथ खाना नहीं खा सकता। खाएगा तो मरेगा। मेरा भाई परिवार में अकेला कमाने वाला था। अब हम क्या करेंगे?
नैनबाग पचांयत के एक सदस्य संदीप खन्ना ने कहा कि पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्ज करने में काफी समय ले लिया और अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है जबकि आरोपियों के ख़िलाफ़ अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।
खन्ना ने कहा, ‘उन्होंने हमें रोकने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस की तैनाती की लेकिन वह टिहरी में एक भी शख्स को गिरफ्तार नहीं कर पाए।’ उन्होंने कहा, ‘लगभग छह महीने पहले सवर्ण जाति के एक शख्स ने शराब नहीं देने के लिए एक दलित युवक की पिटाई कर दी थी। वह पीड़ित युवक अभी भी लापता है। बार-बार किए गए प्रयासों के बावजूद पुलिस ने अभी तक उस मामले में एफआईआर दर्ज नहीं की है।
डीएसपी उत्तम सिंह जिमवाल ने कहा, ‘सवर्ण जाति के कुछ लोग अपने सामने एक दलित युवक को कुर्सी पर बैठकर खाना खाते देख गुस्से में आ गए और उसकी बेरहमी से पिटाई कर दी।’ उन्होंने बताया कि यह घटना 26 अप्रैल को जिले के श्रीकोट गांव में एक शादी समारोह में हुई। डीएसपी ने बताया कि गंभीर रूप से घायल जितेंद्र ने नौ दिन के इलाज के बाद देहरादून के अस्पताल में दम तोड़ दिया।
डीएसपी ने बताया कि जितेंद्र की बहन की शिकायत के आधार पर पुलिस ने सात लोगों गजेंद्र सिंह, सोबन सिंह, कुशाल सिंह, गब्बर सिंह, गंभीर सिंह, हरबीर सिंह और हुकूम सिंह के ख़िलाफ़ अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया है।