पंजाब और केरल के बाद राजस्थान विधानसभा में भी पारित हुआ CAA के खिलाफ प्रस्ताव

Written by Sabrangindia Staff | Published on: January 25, 2020
नई दिल्ली। राजस्थान विधानसभा ने नए नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया है। राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि उनकी सरकार केंद्र के इस कानून का पुरजोर विरोध करती है। इस दौरान विपक्षी भाजपा ने सदन में इस प्रस्ताव के विरोध में जमकर नारेबाजी की। 



सीएए के विरोध में प्रस्ताव पारित करने वाला राजस्थान तीसरा राज्य हो गया है। उससे पहले केरल और पंजाब ऐसा कर चुके हैं। उधर, केंद्र सरकार का कहना है कि राज्यों को ऐसा करने का अधिकार नहीं है क्योंकि नागरिकता का विषय उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता।

सीएए में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले गैरमुस्लिमों को आसानी से भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है। लेकिन इसका तीखा विरोध हो रहा है। बीते महीने देश के अलग-अलग हिस्सों में यह विरोध हिंसा में तब्दील हो गया जिसमें कम से कम 21 लोगों की मौत हो गई। अभी भी दिल्ली के शाहीन बाग सहित देश के कई इलाकों में इस कानून के खिलाफ धरना-प्रदर्शन जारी है।

विपक्ष ने सीएए को भारत की आत्मा पर हमला बताया है। उसका यह भी कहना है कि यह कानून भारतीय संविधान के खिलाफ है। उधर, इस आरोप को खारिज करते हुए सरकार का कहना है कि कानून जारी रहेगा। गृह मंत्री अमित शाह कह चुके हैं कि जिसे जितना विरोध करना हो करे लेकिन सीएएस वापस नहीं होने वाला। उन्होंने इस मुद्दे पर हो रहे विरोध को विपक्ष के दुष्प्रचार का नतीजा भी बताया।

यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंच गया है। अदालत ने इस मुद्दे पर सरकार को जवाब देने के लिए चार हफ्ते का समय दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने सीएए पर अंतरिम रोक लगाने से भी इनकार कर दिया है। उसने कहा कि अब इस पर फैसला भी संविधान पीठ ही करेगी। सीएए के खिलाफ शीर्ष अदालत में कुल 143 याचिकाएं दायर की गई हैं। इनमें केरल सरकार की याचिका भी शामिल है जिसमें इस कानून को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की गई है।
 

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