राजस्थान में पिछले माह चली रोडवेज की हड़ताल में शामिल कर्मचारियों को हड़ताल के दिनों का वेतन नहीं मिलेगा। वसुंधरा राजे सरकार का कहना है कि हड़ताल 20 दिन चली थी इसलिए इन 20 दिनों का वेतन कर्मचारियों को नहीं दिया जा सकता। ऐसे में हड़ताली कर्मचारियों को 15 दिन का ही वेतन इस माह मिल सकेगा।
रोडवेज के संयुक्त मोर्चा के बैनर तले हुई इस हड़ताल में ज्यादातर कर्मचारी संगठनों के कर्मचारी शामिल थे। कुछ कर्मचारी ऐसे भी थे जिन्होंने हड़ताल का समर्थन नहीं किया था। हड़ताल के कारण काम तो इन कर्मचारियों ने भी नहीं किया था, लेकिन ये नियमित रूप से हाजिरी रजिस्टर पर दस्तखत कर रहे थे। इस तरह से इन कर्मचारियों को बिना काम के ही पूरा वेतन मिलेगा।
स्थिति ये बन रही है कि हड़ताली कर्मचारियों को अक्टूबर में 15 दिन की तनख्वाह मिलेगी और नवंबर में भी 6 दिन की तनख्वाह कटेगी।
उदयपुर डिपो में ही करीब 450 कर्मचारी हैं। जिनमें से 50 कर्मचारी सहारा के माध्यम से लगे हुए हैं। हड़ताल के दौरान 400 कर्मचारियों में से 60 कर्मचारियों ने नियमित हस्ताक्षर किए थे। इन 60 में से भी 14 कर्मचारियों ने 2 दिन का सामूहिक अवकाश लिया था।
इस तरह से डिपो में केवल 56 लोगों को ही पूरा वेतन मिल पाएगा। पत्रिका की खबर के अनुसार, उदयपुर डिपो में प्रतिमाह करीब 90 लाख रुपए का वेतन बनता है, लेकिन इस बार हड़ताल के कारण 40 से 42 लाख रुपए का ही वेतन बनेगा।
वेतन में कटौती के साथ-साथ कर्मचारियों को एक और संकट झेलना पड़ सकता है। हड़ताल के कारण डिपो की आमदनी में भी कमी आई थी जिसके कारण अब ये भी तय नहीं है कि कर्मचारियों को कटा हुआ वेतन कब मिल सकेगा।
रोडवेज के संयुक्त मोर्चा के बैनर तले हुई इस हड़ताल में ज्यादातर कर्मचारी संगठनों के कर्मचारी शामिल थे। कुछ कर्मचारी ऐसे भी थे जिन्होंने हड़ताल का समर्थन नहीं किया था। हड़ताल के कारण काम तो इन कर्मचारियों ने भी नहीं किया था, लेकिन ये नियमित रूप से हाजिरी रजिस्टर पर दस्तखत कर रहे थे। इस तरह से इन कर्मचारियों को बिना काम के ही पूरा वेतन मिलेगा।
स्थिति ये बन रही है कि हड़ताली कर्मचारियों को अक्टूबर में 15 दिन की तनख्वाह मिलेगी और नवंबर में भी 6 दिन की तनख्वाह कटेगी।
उदयपुर डिपो में ही करीब 450 कर्मचारी हैं। जिनमें से 50 कर्मचारी सहारा के माध्यम से लगे हुए हैं। हड़ताल के दौरान 400 कर्मचारियों में से 60 कर्मचारियों ने नियमित हस्ताक्षर किए थे। इन 60 में से भी 14 कर्मचारियों ने 2 दिन का सामूहिक अवकाश लिया था।
इस तरह से डिपो में केवल 56 लोगों को ही पूरा वेतन मिल पाएगा। पत्रिका की खबर के अनुसार, उदयपुर डिपो में प्रतिमाह करीब 90 लाख रुपए का वेतन बनता है, लेकिन इस बार हड़ताल के कारण 40 से 42 लाख रुपए का ही वेतन बनेगा।
वेतन में कटौती के साथ-साथ कर्मचारियों को एक और संकट झेलना पड़ सकता है। हड़ताल के कारण डिपो की आमदनी में भी कमी आई थी जिसके कारण अब ये भी तय नहीं है कि कर्मचारियों को कटा हुआ वेतन कब मिल सकेगा।