राजस्थान रोडवेज कर्मचारियों की हड़ताल के कारण यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। रोडवेज कर्मचारी दो दिन की हड़ताल पर है। ये लोग सातवें वेतन आयोग को लागू करने की मांग कर रहे हैं।
एनडीटीवी के अनुसार, मंगलवार से शुरू हुई हड़ताल के कारण राज्य भर के 52 डिपो की करीब 5 हजार बसें नहीं चलीं
रोडवेज संयुक्त कर्मचारी संघर्ष समिति का कहना है कि सरकार से वार्ता के बावजूद उनकी मांगें नहीं मानी गईं। इसके बाद पहले दो दिन तक रोडवेज बस स्टैंड पर धरना दिया गया और अब चक्काजाम किया गया है।
रोडवेज कर्मचारियों की हड़ताल को इंटक, एटक, सीटू, बीजेएमएम और रिटायर्ड एसोसिएशन एवं कल्याण समिति का समर्थन है, लेकिन भारतीय मजदूर संघ इससे अलग है। हड़ताली कर्मचारियों का कहना है कि हड़ताल मंगलवार और बुधवार दो दिनों के लिए है, लेकिन उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो इसे आगे भी चलाया जा सकता है।
कर्मचारियों की मुख्य मांगों में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने, नए वाहनों की खरीद, नए कर्मचारियों की भर्ती, और महंगाई भत्ते की तीन बकाया किस्तों का भुगतान करना शामिल हैं।
दो दिन की इस हड़ताल से करीब 10 करोड़ रुपए का नुकसान होने का आकलन है। परिवहन मंत्री यूनुस खान रोडवेज़ कर्मचारियों से हड़ताल पर न जाने का आग्रह तो करते रहे, लेकिन उनकी मांगों के बारे में उन्होंने ठोस कुछ नहीं कहा।
पिछले 5 सालों में रोडवेज के कर्मचारी 5 बार हड़ताल कर चुके हैं, लेकिन सरकार हर बार की तरह इस बार भी उनकी अनदेखी कर रही है। हड़ताल के कारण करीब 11 लाख यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
इस बीच ट्रकों की देशव्यापी हड़ताल भी जारी है और छठे दिन इसका असर गंभीर दिखने लगा है। राजस्थान में बसों और ट्रकों की हड़ताल एक साथ हो जाने से इसका असर दुगुना दिख रहा है। बाजार में फलों और सब्जियों के दामों में करीब 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो चुकी है। इसके बाद भी सरकार की तरफ से अभी तक वार्ता की कोई पहल नहीं की गई है।
एनडीटीवी के अनुसार, मंगलवार से शुरू हुई हड़ताल के कारण राज्य भर के 52 डिपो की करीब 5 हजार बसें नहीं चलीं
रोडवेज संयुक्त कर्मचारी संघर्ष समिति का कहना है कि सरकार से वार्ता के बावजूद उनकी मांगें नहीं मानी गईं। इसके बाद पहले दो दिन तक रोडवेज बस स्टैंड पर धरना दिया गया और अब चक्काजाम किया गया है।
रोडवेज कर्मचारियों की हड़ताल को इंटक, एटक, सीटू, बीजेएमएम और रिटायर्ड एसोसिएशन एवं कल्याण समिति का समर्थन है, लेकिन भारतीय मजदूर संघ इससे अलग है। हड़ताली कर्मचारियों का कहना है कि हड़ताल मंगलवार और बुधवार दो दिनों के लिए है, लेकिन उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो इसे आगे भी चलाया जा सकता है।
कर्मचारियों की मुख्य मांगों में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने, नए वाहनों की खरीद, नए कर्मचारियों की भर्ती, और महंगाई भत्ते की तीन बकाया किस्तों का भुगतान करना शामिल हैं।
दो दिन की इस हड़ताल से करीब 10 करोड़ रुपए का नुकसान होने का आकलन है। परिवहन मंत्री यूनुस खान रोडवेज़ कर्मचारियों से हड़ताल पर न जाने का आग्रह तो करते रहे, लेकिन उनकी मांगों के बारे में उन्होंने ठोस कुछ नहीं कहा।
पिछले 5 सालों में रोडवेज के कर्मचारी 5 बार हड़ताल कर चुके हैं, लेकिन सरकार हर बार की तरह इस बार भी उनकी अनदेखी कर रही है। हड़ताल के कारण करीब 11 लाख यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
इस बीच ट्रकों की देशव्यापी हड़ताल भी जारी है और छठे दिन इसका असर गंभीर दिखने लगा है। राजस्थान में बसों और ट्रकों की हड़ताल एक साथ हो जाने से इसका असर दुगुना दिख रहा है। बाजार में फलों और सब्जियों के दामों में करीब 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो चुकी है। इसके बाद भी सरकार की तरफ से अभी तक वार्ता की कोई पहल नहीं की गई है।