दो नागरिकों की हत्या के बाद राजौरी आर्मी कैंप के बाहर विरोध प्रदर्शन

Written by Anees Zargar | Published on: December 17, 2022
सेना ने इन दो लोगों की हत्या के लिए अज्ञात आतंकवादियों को दोषी ठहराया, वहीं स्थानीय लोगों ने सेना पर ही हत्या का आरोप लगाया है।



श्रीनगर:
जम्मू डिविज़न के राजौरी ज़िले में शुक्रवार सुबह एक सैन्य शिविर के बाहर दो लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई जबकि तीसरा व्यक्ति गोली लगने से घायल हो गया। जहां सेना ने इस हत्या के लिए "अज्ञात आतंकवादियों" को ज़िम्मेदार ठहराया है, वहीं स्थानीय लोगों ने सेना को इस घटना के लिए ज़िम्मेदार ठहराया और हत्यारों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग की है।



इन मृतकों की पहचान कमल किशोर और सुरिंदर कुमार के रूप में हुई है। दोनों ही फल्याणा के रहने वाले थे, जबकि घायल अनिल कुमार उत्तराखंड का रहने वाला है। चश्मदीदों के मुताबिक़, किशोर और कुमार की सुबह 6 बजे के क़रीब जम्मू-राजौरी हाईवे पर अल्फ़ा गेट के बाहर कैंप की ओर जाते समय रास्ते में गोली मारकर हत्या कर दी गई। यहां वे एक कैंटीन चलाते थे। एक स्थानीय व्यक्ति ने आरोप लगाया, “उनके शव सड़क के बीच में खून से लथपथ पड़े थे।” 

ज़िला पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि ग़लत पहचान के चलते एक चौकीदार ने गोली चला दी। इस घटना के तुरंत बाद, सैकड़ों स्थानीय लोगों और मृतकों के परिवारों ने विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया और शिविर पर पथराव किया। लोग सेना पर "हत्या" का आरोप लगा रहे हैं। मृतकों के परिवारों सहित कई महिलाओं को इन शवों के चारों ओर रोते हुए देखा गया। प्रदर्शनकारियों ने हाईवे जाम कर दिया और हमलावरों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग की। हालांकि सेना ने इन आरोपों को ख़ारिज किया है। 16 कोर के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से ट्वीट किया गया कि, "सेना अस्पताल के पास राजौरी में अज्ञात आतंकवादियों द्वारा सुबह-सुबह की गई गोलीबारी की घटना में दो लोगों की मौत हो गई है। पुलिस, सुरक्षा बल और नागरिक प्रशासन के अधिकारी घटना स्थल पर हैं।"



अंग्रेज़ी दैनिक ग्रेटर कश्मीर की वेबसाइट द्वारा पोस्ट किए गए एक वीडियो के अनुसार, डीआईजी हसीब मुग़ल ने मीडिया को बताया कि पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर ली है और इस घटना की "गहन जांच" की जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि इन शवों को मेडिको-लीगल की औपचारिकता पूरी करने के लिए ले जाया गया। मुग़ल ने कहा, "इस मामले की निष्पक्ष जांच का हम आश्वासन देते हैं।" प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि दोनों को सेना की जांच चौकी ने निशाना बनाया। एक पूर्व सैनिक ने संवाददाताओं से कहा, “उनकी जानबूझकर हत्या की गई है। सेना को समय नहीं मिला। नहीं तो, यह उनके शव के पास हथियार रख देता और उन्हें आतंकवादी घोषित कर देता।” 

एक अन्य प्रदर्शनकारी जितेंद्र कुमार ने मांग की कि इन मृतकों के परिवारों को उनके "असहनीय" नुक़सान के लिए मुआवज़ा दिया जाना चाहिए। जितेंद्र ने कहा, “दोनों परिवारों को राहत के रूप में 50-50 लाख रुपये दिए जाने चाहिए और दोनों की पत्नी को उनके परिवारों की मदद के लिए नौकरी दी जानी चाहिए। जब तक इन मांगों को पूरा नहीं किया जाता है और न्याय नहीं किया जाता है, तब तक हम विरोध जारी रखेंगे।” इन प्रदर्शनकारियों ने यह भी कहा कि अगर सेना को किसी संदिग्ध गतिविधि का आभास हुआ था तो वह या तो दो व्यक्तियों को चेतावनी दे सकती थी या उनके शरीर के निचले हिस्से को भी निशाना बना सकती थी, लेकिन एक गोली सिर में और दूसरी उसके सीने में लगी थी। एक अन्य प्रदर्शनकारी ने कहा, "यह साफ़ तौर पर दिखाता है कि कैसे मानक प्रक्रियाओं का उल्लंघन किया गया और सेना में प्रशिक्षण की कमी है।" इस हत्या की व्यापक रूप से राजनीतिक दलों द्वारा निंदा की गई। इन दलों ने भी जांच की मांग की है। पीडीपी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने ट्वीट किया, “दुखद है कि कथित तौर पर सेना द्वारा की गई गोलीबारी के कारण दो निर्दोष लोगों की जान चली गई। दोषियों को सज़ा मिले और पीड़ित परिवार को न्याय मिले इसके लिए निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए।”

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