उत्तराखंड में डबल इंजन की भाजपा सरकार है, यहां भर्ती परीक्षा में धांधली के आरोप की सीबीआई जांच की मांग को लेकर बेरोजगार युवा 8 फरवरी को सड़क पर उतरे तो पुलिस ने उनपर लाठीचार्ज किया गया।
भर्ती परीक्षा में हुई धांधली के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग करने वाले युवाओं पर उत्तराखण्ड पुलिस ने लाठीचार्ज किया। बीते तीन दिनों से पूरे देश भर में देहरादून की सड़कों पर बेरोजगार युवकों का आंदोलन-प्रदर्शन सुर्खियों में बना हुआ है। राजधानी में तनावपूर्ण माहौल है। देहरादून में कई दिनों से युवक परीक्षा में धांधली को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे थे। बुधवार की रात पुलिस ने धरना दे रहे कुछ युवकों को उठा लिया था। बताया जा रहा है कि पुलिस ने इन युवकों के साथ मारपीट भी की थी। इसके बाद युवक उग्र हो गए और सैकड़ों की संख्या में राजधानी की सड़कों पर उतर आए हैं। इस मामले में कांग्रेस ने आंदोलनकारियों का समर्थन किया है, वहीं सीएम धामी ने विपक्ष पर प्रदर्शन भड़काने का आरोप लगाया है।
बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार ने कहा कि प्रदेशभर के बेरोजगार और छात्र अपनी जायज मांगों को लेकर धरना दे रहे थे। लेकिन पुलिस द्वारा देहरादून में बुधवार की रात और फिर गुरुवार को किए गये पुलिस लाठी चार्ज से पूरे प्रदेश में आक्रोश है।
गौरतलब है कि यूकेएसएसएससपी पेपर लीक और भर्ती घोटाला को लेकर गुरुवार को देहरादून के घंटाघर में बेरोजगारों ने सीबीआई जांच की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव कर दिया, जिसके बाद पुलिसकर्मियों ने छात्रों को भगाने के लिए लाठीचार्ज किया। इसके बाद स्थिति और बिगड़ गई है। सबसे बड़ी बात यह है कि सीएम धामी दो दिन दौरे के बाद खटीमा से गुरुवार दोपहर लौटे थे। उत्तराखंड में बेरोजगार युवाओं का प्रदर्शन लगातार जारी है। बीते दिन बेरोजगार युवाओं का उग्र रूप देखने को मिला था। बेरोजगार युवाओं की ओर से पत्थरबाजी की गई। जिसके बाद पुलिस प्रशासन की ओर से भी कड़ा रुख अख्तियार करते हुए लाठियां भांजी गई।
अपर मुख्य सचिव ने बेरोजगार संगठन के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने शुक्रवार को सचिवालय में बेरोजगार संगठन के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की। भर्ती परीक्षाओं में धांधली की सीबीआई से जांच कराने की मांग पर उन्होंने कहा कि निष्पक्ष जांच चल रही है, अभी सीबीआई जांच का औचित्य नहीं है। इस पर उच्च स्तर पर विचार हो जाएगा। उन्होंने बेरोजगारों से अपील की कि बातचीत से ही समाधान निकलेगा।
मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, मैं स्वयं प्रतियोगी परीक्षा पास कर नौकरी में आई। मैं युवाओं का दर्द समझ सकती हूं। जब हम बेरोजगार होते हैं, तो सबसे पहली बात होती है कि हमें नौकरी मिल जाए। हम लोग बहुत रईस और राजशाही खानदानों से नहीं हैं। हम मध्यम और निम्न मध्यम वर्गीय परिवारों से ही हैं। हम लोग अपनी मेहनत की कमाई पर ही निर्भर रहते हैं। जो युवा मेरे वर्ग के हैं, मैं उनका दर्द समझती हूं। उन्होंने बेरोजगारों की मांगों से जुड़े प्रश्नों का सिलसिलेवार कुछ यूं जवाब दिया।
मांग 1 - पारदर्शी और निष्पक्षता से हो भर्ती परीक्षा।
जवाब : पिछले एक साल में जिन परीक्षाओं में अनियमितता हुईं, उनकी एसटीएफ और एसआईटी से निष्पक्ष जांच कराई गई। कई दोषी जेल की सलाखों के पीछे हैं। पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से भर्ती परीक्षाएं कराने के उद्देश्य से उत्तराखंड में देश का सबसे सख्त नकलरोधी कानून लाया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने अध्यादेश को अनुमोदन दे दिया है। इतना सख्त कानून बनाने का उद्देश्य यही है कि राज्य के युवाओं का भविष्य उज्ज्वल हो। युवाओं को अपनी मेरिट के आधार पर नौकरी मिले। देश में इतना सख्त कानून किसी भी राज्य में नहीं है।
मांग 2 - जब तक जांच चल रही है, तब तक परीक्षाएं न हों।
जवाब : इसका दूसरा पक्ष भी है। जो प्रतिनिधिमंडल हमें मिला, हो सकता है कि उसके साथ एक लाख युवा सदस्य होंगे। लेकिन प्रदेश में 10 लाख बेरोजगार हैं। एक लाख युवा कहते हैं कि सारी परीक्षाएं स्थगित कर दें, लेकिन जो नौ लाख युवा इस उम्मीद में हैं कि उन्हें नौकरियां मिलेंगी, परीक्षा रद्द होने से उन्हें बहुत निराशा होगी। अब तक हमने देखा है कि जो परीक्षा स्थगित या निरस्त हुई, उसकी प्रतिक्रिया भी बहुत नकारात्मक होती है। जो युवा मेहनत से तैयारी कर रहे होते हैं, उन्हें बहुत निराशा होती है।
मांग 3 - भर्ती परीक्षाओं में धांधली की सीबीआई जांच हो।
जवाब : यदि एक जांच निष्पक्ष तरीके से चल रही है, तो उस जांच को खत्म करके कोई दूसरी जांच कराने का औचित्य है कि नहीं, उच्च स्तर पर विचार हो जाएगा। मैंने युवाओं से कहा कि अभी जांच हो रही है, वह सही दिशा में है। उसमें आरोपी जेल भी गए हैं। उसके बाद यदि आप कहते हैं कि जांच सही नहीं है, तो जो लोग जेल में हैं, उन्हें क्या छोड़ देंगे? मतलब उन्हें क्लीन चिट दे देंगे। इसका औचित्य होना चाहिए।
मजिस्ट्रियल जांच में जो दोषी होगा, उस पर कड़ी कार्रवाई होगी
मुख्यमंत्री ने इस पूरे मामले की मजिस्ट्रियल जांच के बृहस्पतिवार को ही निर्देश दे दिए थे। मंगलवार रात और बृहस्पतिवार दिन की घटना में यदि पुलिस और प्रशासन की कोई कमी रही है तो जांच में यह सब निकल कर आएगा। मुख्यमंत्री कह चुके हैं कि उसमें बहुत कड़ी कार्रवाई करेंगे। मामले में कोई अधिकारी या कर्मचारी भी शामिल है तो उसके विरुद्ध भी कार्रवाई होगी।
Related:
भर्ती परीक्षा में हुई धांधली के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग करने वाले युवाओं पर उत्तराखण्ड पुलिस ने लाठीचार्ज किया। बीते तीन दिनों से पूरे देश भर में देहरादून की सड़कों पर बेरोजगार युवकों का आंदोलन-प्रदर्शन सुर्खियों में बना हुआ है। राजधानी में तनावपूर्ण माहौल है। देहरादून में कई दिनों से युवक परीक्षा में धांधली को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे थे। बुधवार की रात पुलिस ने धरना दे रहे कुछ युवकों को उठा लिया था। बताया जा रहा है कि पुलिस ने इन युवकों के साथ मारपीट भी की थी। इसके बाद युवक उग्र हो गए और सैकड़ों की संख्या में राजधानी की सड़कों पर उतर आए हैं। इस मामले में कांग्रेस ने आंदोलनकारियों का समर्थन किया है, वहीं सीएम धामी ने विपक्ष पर प्रदर्शन भड़काने का आरोप लगाया है।
बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार ने कहा कि प्रदेशभर के बेरोजगार और छात्र अपनी जायज मांगों को लेकर धरना दे रहे थे। लेकिन पुलिस द्वारा देहरादून में बुधवार की रात और फिर गुरुवार को किए गये पुलिस लाठी चार्ज से पूरे प्रदेश में आक्रोश है।
गौरतलब है कि यूकेएसएसएससपी पेपर लीक और भर्ती घोटाला को लेकर गुरुवार को देहरादून के घंटाघर में बेरोजगारों ने सीबीआई जांच की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव कर दिया, जिसके बाद पुलिसकर्मियों ने छात्रों को भगाने के लिए लाठीचार्ज किया। इसके बाद स्थिति और बिगड़ गई है। सबसे बड़ी बात यह है कि सीएम धामी दो दिन दौरे के बाद खटीमा से गुरुवार दोपहर लौटे थे। उत्तराखंड में बेरोजगार युवाओं का प्रदर्शन लगातार जारी है। बीते दिन बेरोजगार युवाओं का उग्र रूप देखने को मिला था। बेरोजगार युवाओं की ओर से पत्थरबाजी की गई। जिसके बाद पुलिस प्रशासन की ओर से भी कड़ा रुख अख्तियार करते हुए लाठियां भांजी गई।
अपर मुख्य सचिव ने बेरोजगार संगठन के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने शुक्रवार को सचिवालय में बेरोजगार संगठन के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की। भर्ती परीक्षाओं में धांधली की सीबीआई से जांच कराने की मांग पर उन्होंने कहा कि निष्पक्ष जांच चल रही है, अभी सीबीआई जांच का औचित्य नहीं है। इस पर उच्च स्तर पर विचार हो जाएगा। उन्होंने बेरोजगारों से अपील की कि बातचीत से ही समाधान निकलेगा।
मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, मैं स्वयं प्रतियोगी परीक्षा पास कर नौकरी में आई। मैं युवाओं का दर्द समझ सकती हूं। जब हम बेरोजगार होते हैं, तो सबसे पहली बात होती है कि हमें नौकरी मिल जाए। हम लोग बहुत रईस और राजशाही खानदानों से नहीं हैं। हम मध्यम और निम्न मध्यम वर्गीय परिवारों से ही हैं। हम लोग अपनी मेहनत की कमाई पर ही निर्भर रहते हैं। जो युवा मेरे वर्ग के हैं, मैं उनका दर्द समझती हूं। उन्होंने बेरोजगारों की मांगों से जुड़े प्रश्नों का सिलसिलेवार कुछ यूं जवाब दिया।
मांग 1 - पारदर्शी और निष्पक्षता से हो भर्ती परीक्षा।
जवाब : पिछले एक साल में जिन परीक्षाओं में अनियमितता हुईं, उनकी एसटीएफ और एसआईटी से निष्पक्ष जांच कराई गई। कई दोषी जेल की सलाखों के पीछे हैं। पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से भर्ती परीक्षाएं कराने के उद्देश्य से उत्तराखंड में देश का सबसे सख्त नकलरोधी कानून लाया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने अध्यादेश को अनुमोदन दे दिया है। इतना सख्त कानून बनाने का उद्देश्य यही है कि राज्य के युवाओं का भविष्य उज्ज्वल हो। युवाओं को अपनी मेरिट के आधार पर नौकरी मिले। देश में इतना सख्त कानून किसी भी राज्य में नहीं है।
मांग 2 - जब तक जांच चल रही है, तब तक परीक्षाएं न हों।
जवाब : इसका दूसरा पक्ष भी है। जो प्रतिनिधिमंडल हमें मिला, हो सकता है कि उसके साथ एक लाख युवा सदस्य होंगे। लेकिन प्रदेश में 10 लाख बेरोजगार हैं। एक लाख युवा कहते हैं कि सारी परीक्षाएं स्थगित कर दें, लेकिन जो नौ लाख युवा इस उम्मीद में हैं कि उन्हें नौकरियां मिलेंगी, परीक्षा रद्द होने से उन्हें बहुत निराशा होगी। अब तक हमने देखा है कि जो परीक्षा स्थगित या निरस्त हुई, उसकी प्रतिक्रिया भी बहुत नकारात्मक होती है। जो युवा मेहनत से तैयारी कर रहे होते हैं, उन्हें बहुत निराशा होती है।
मांग 3 - भर्ती परीक्षाओं में धांधली की सीबीआई जांच हो।
जवाब : यदि एक जांच निष्पक्ष तरीके से चल रही है, तो उस जांच को खत्म करके कोई दूसरी जांच कराने का औचित्य है कि नहीं, उच्च स्तर पर विचार हो जाएगा। मैंने युवाओं से कहा कि अभी जांच हो रही है, वह सही दिशा में है। उसमें आरोपी जेल भी गए हैं। उसके बाद यदि आप कहते हैं कि जांच सही नहीं है, तो जो लोग जेल में हैं, उन्हें क्या छोड़ देंगे? मतलब उन्हें क्लीन चिट दे देंगे। इसका औचित्य होना चाहिए।
मजिस्ट्रियल जांच में जो दोषी होगा, उस पर कड़ी कार्रवाई होगी
मुख्यमंत्री ने इस पूरे मामले की मजिस्ट्रियल जांच के बृहस्पतिवार को ही निर्देश दे दिए थे। मंगलवार रात और बृहस्पतिवार दिन की घटना में यदि पुलिस और प्रशासन की कोई कमी रही है तो जांच में यह सब निकल कर आएगा। मुख्यमंत्री कह चुके हैं कि उसमें बहुत कड़ी कार्रवाई करेंगे। मामले में कोई अधिकारी या कर्मचारी भी शामिल है तो उसके विरुद्ध भी कार्रवाई होगी।
Related: