नई दिल्ली। साकेत गोखले द्वारा सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है जिसमें आरोप लगाया गया है कि 2012 और 2017 के बीच नरेंद्र मोदी ने जो शपथ पत्र दिए हैं उनमें जमीन का एक प्लॉट छिपाया गया है। यह जमीन गांधीनगर में है जिसपर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वामित्व है। ऐसे में साकेत गोखले ने जनहित याचिका दायर कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में चुनाव में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है।
इस याचिका में कहा गया है कि 2007 में नरेंद्र मोदी ने चुनावी हलफनामे में बताया कि वे गुजरात के गांधीनगर में सेक्टर-1 में प्लॉट 411 के एकलौते मालिक हैं। हालांकि, 2012 और 2014 में मोदी की तरफ से दाखिल किए गए चुनावी हलफनामे में इस प्लॉट के बारे में कोई जानकारी नहीं है। वहीं सार्वजनिक रूप से उपलब्ध दस्तावेज बताते हैं कि मोदी अभी भी उस प्लॉट के मालिक हैं।
2012 के बाद से मोदी की तरफ से दाखिल किए गए हलफनामों में घोषणा की गई है कि गांधीनगर के उसी सेक्टर में स्थित प्लॉट 401/A का मोदी के पास एक चौथाई मालिकाना हक है। वहीं गुजरात राजस्व विभाग के पास ऐसे किसी प्लॉट की कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है।
रोचक बात तो यह है कि प्लॉट 401 का जिक्र वित्त मंत्री अरुण जेटली के चुनावी हलफनामों में भी है। 2006 में दाखिल चुनावी हलफनामें में अरुण जेटली घोषणा करते हैं कि वे प्लॉट 401 के एकलौते मालिक हैं। हालांकि, आगे इस प्लॉट का जिक्र उनके हलफनामों में नहीं होता है।
2014 में जब जेटली चुनावी हलफनामा दाखिल करते हैं तो खुद को उसी प्लॉट 401/A का एक चौथाई मालिक बताते हैं जिसका एक चौथाई मालिक नरेंद्र मोदी ने भी खुद को बताया। जेटली बताते हैं कि यह प्लॉट उन्हें गांधीनगर के मामलतेदार ने दिया था। सार्वजनिक रूप से उपलब्ध दस्तावेज बताते हैं कि अरुण जेटली प्लॉट 401 के एकलौते मालिक हैं।
अब सवाल यह उठता है कि जिस प्लॉट 401/A का कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं है, नरेंद्र मोदी और अरुण जेटली उसके अलग-अलग एक चौथाई मालिक कैसे हो सकते हैं! इसके साथ सवाल ये भी उठता है कि नरेंद्र मोदी ने किस आधार पर 2007 के चुनावी हलफनामे में खुद को प्लॉट 411 का मालिक बताया?
प्लॉट 411 गांधीनगर के उस इलाके में स्थित है जहां केवल सांसदों, विधायकों और सरकारी अधिकारियों को ही जमीनें आवंटित की जाती हैं। 2012 में इस इलाके में जमीन आवंटन को लेकर एक मामले में मीनाक्षी लेखी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि गुजरात सरकार ने सन 2000 के बाद से इस इलाके में कोई भी प्लॉट आवंटित नहीं किया है। मीनाक्षी लेखी उस समय गुजरात की स्टेट काउंसलर थीं। ऐसे में नरेंद्र मोदी को प्लॉट 411 का मालिकाना हक कैसे मिला, जबकि वे 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे।
इस याचिका में कहा गया है कि 2007 में नरेंद्र मोदी ने चुनावी हलफनामे में बताया कि वे गुजरात के गांधीनगर में सेक्टर-1 में प्लॉट 411 के एकलौते मालिक हैं। हालांकि, 2012 और 2014 में मोदी की तरफ से दाखिल किए गए चुनावी हलफनामे में इस प्लॉट के बारे में कोई जानकारी नहीं है। वहीं सार्वजनिक रूप से उपलब्ध दस्तावेज बताते हैं कि मोदी अभी भी उस प्लॉट के मालिक हैं।
2012 के बाद से मोदी की तरफ से दाखिल किए गए हलफनामों में घोषणा की गई है कि गांधीनगर के उसी सेक्टर में स्थित प्लॉट 401/A का मोदी के पास एक चौथाई मालिकाना हक है। वहीं गुजरात राजस्व विभाग के पास ऐसे किसी प्लॉट की कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है।
रोचक बात तो यह है कि प्लॉट 401 का जिक्र वित्त मंत्री अरुण जेटली के चुनावी हलफनामों में भी है। 2006 में दाखिल चुनावी हलफनामें में अरुण जेटली घोषणा करते हैं कि वे प्लॉट 401 के एकलौते मालिक हैं। हालांकि, आगे इस प्लॉट का जिक्र उनके हलफनामों में नहीं होता है।
2014 में जब जेटली चुनावी हलफनामा दाखिल करते हैं तो खुद को उसी प्लॉट 401/A का एक चौथाई मालिक बताते हैं जिसका एक चौथाई मालिक नरेंद्र मोदी ने भी खुद को बताया। जेटली बताते हैं कि यह प्लॉट उन्हें गांधीनगर के मामलतेदार ने दिया था। सार्वजनिक रूप से उपलब्ध दस्तावेज बताते हैं कि अरुण जेटली प्लॉट 401 के एकलौते मालिक हैं।
अब सवाल यह उठता है कि जिस प्लॉट 401/A का कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं है, नरेंद्र मोदी और अरुण जेटली उसके अलग-अलग एक चौथाई मालिक कैसे हो सकते हैं! इसके साथ सवाल ये भी उठता है कि नरेंद्र मोदी ने किस आधार पर 2007 के चुनावी हलफनामे में खुद को प्लॉट 411 का मालिक बताया?
प्लॉट 411 गांधीनगर के उस इलाके में स्थित है जहां केवल सांसदों, विधायकों और सरकारी अधिकारियों को ही जमीनें आवंटित की जाती हैं। 2012 में इस इलाके में जमीन आवंटन को लेकर एक मामले में मीनाक्षी लेखी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि गुजरात सरकार ने सन 2000 के बाद से इस इलाके में कोई भी प्लॉट आवंटित नहीं किया है। मीनाक्षी लेखी उस समय गुजरात की स्टेट काउंसलर थीं। ऐसे में नरेंद्र मोदी को प्लॉट 411 का मालिकाना हक कैसे मिला, जबकि वे 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे।