'मो जंगल जामी योजना' का मकसद राज्य में वन अधिकार अधिनियम, 2006 को प्रभावी ढंग से लागू करना है। यदि इसे सफलतापूर्वक लागू किया जाता है, तो ओडिशा व्यक्तिगत और सामुदायिक वन अधिकार, विशेष रूप से कमजोर आदिवासी समूहों के लिए आवास अधिकार तथा राज्य के सभी गैर-सर्वेक्षित/वन गांवों को राजस्व गांवों में परिवर्तित करने जैसे सभी प्रावधानों सहित "एफआरए अनुपालन" करने वाला पहला राज्य बन जाएगा।"
3 जुलाई, 2023 को ओडिशा सरकार ने अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम 2006 के प्रावधानों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए 'मो जंगल जामी योजना' (MJJY) शुरू करने का ऐलान किया है। जिससे राज्य के 30 जिलों में 32,000 गांवों के 7.4 लाख आदिवासी परिवारों को लाभ होगा। 'डाउन टू अर्थ' DTE की एक रिपोर्ट के अनुसार, 'मो जंगल जामी योजना' नाम की नई योजना राज्य के बजट 2023-24 का हिस्सा थी। योजना की कुल लागत 38.76 करोड़ रुपये है। जिसमें जनजातीय अनुसंधान संस्थान, भुवनेश्वर में एक राज्य कार्यक्रम प्रबंधन इकाई (SPMU) की स्थापना, जागरूकता अभियान चलाने, प्रभावी निगरानी के सभी जिलों में वन अधिकार कार्यान्वयन कक्ष (सेल) की स्थापना करना तथा विभिन्न सरकारी अधिकारियों और संबंधित क्षेत्र के पदाधिकारियों और ग्राम सभा सदस्यों को प्रशिक्षण देना शामिल है।
यदि इसे सफलतापूर्वक लागू किया जाता है, तो ओडिशा व्यक्तिगत (IFR) और सामुदायिक वन अधिकार (CFR), विशेष रूप से कमजोर आदिवासी समूहों (PVTG) के लिए आवास अधिकार तथा राज्य के सभी गैर-सर्वेक्षित/वन गांवों को राजस्व गांवों में परिवर्तित करने जैसे सभी प्रावधानों सहित "एफआरए अनुपालन" करने वाला पहला राज्य बन जाएगा। खास है कि जनजातीय अनुसंधान संस्थान, भुवनेश्वर ने योजना के कार्यान्वयन के लिए संभावित गांवों की पहचान पहले ही कर ली है।
देश के 11 राज्यों में प्रकृति संरक्षण और ख़राब परिदृश्यों की बहाली पर काम करने वाली राष्ट्रीय स्तर की गैर-लाभकारी संस्था, फाउंडेशन फॉर इकोलॉजिकल सिक्योरिटी के वरिष्ठ कार्यक्रम प्रबंधक, बरना बैभाबा पांडा ने डाउन टू अर्थ (DTI) को बताया कि विभिन्न विभागों, विशेषकर राजस्व, वन और एससी/एसटी के विकास के लिए बेहतर समन्वय और तालमेल के साथ, महत्वपूर्ण वन संसाधनों तक बेहतर पहुंच और संसाधनों के संरक्षण के लिए सामूहिक कार्रवाई के माध्यम से, राज्य के डेढ़ करोड़ आदिवासियों और अन्य पारंपरिक वन आश्रित आबादी को लाभ होने की उम्मीद है।
सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, ओडिशा में 32,562 एफआरए संभावित गांव और 7.35 लाख संभावित अनुसूचित जनजाति परिवार हैं, जो 35,739 वर्ग किमी के क्षेत्र को कवर करते हैं, जिन्हें लाभान्वित करने का लक्ष्य है। राज्य 62 विभिन्न जनजातियों का घर है, जिनमें से 13 को विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTG) के रूप में मान्यता प्राप्त है। राज्य में जनजातीय आबादी अनुमानत: 9,590,756 है जो कुल आबादी का 22.85 प्रतिशत है।
ओडिशा सरकार द्वारा 3 जुलाई को जारी अधिसूचना के अनुसार, इस योजना का मुख्य उद्देश्य अनुसूचित जनजाति और वन में रहने वाली आबादी के लिए आजीविका और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना है। योजना के कार्यान्वयन से लाभार्थियों को उनकी पात्रता के अनुसार भूमि का स्वामित्व और वन संसाधनों तक पहुंच प्रदान की जाएगी ताकि वे सरकार के मुख्यधारा के विकास कार्यक्रमों से जुड़ सकें। अधिसूचना के अनुसार, सभी पात्र दावेदारों- मुख्य रूप से एकल महिलाओं और पीवीटीजी- को भूमि का स्वामित्व प्राप्त होगा और सभी स्वामित्व धारकों के लिए रिकॉर्ड सुधार किए जाएंगे। पांडा ने कहा कि सभी ग्राम सभाओं और गांवों में अधिकार वितरित किए जाएंगे। उन्होंने कहा, "योजना के कुशल संचालन (कामकाज) के लिए राजस्व, वन और जनजातीय विभाग के समन्वय और मिलकर काम करने के ठोस प्रयासों की आवश्यकता होगी।"
योजना के तहत, सभी असर्वेक्षित वन और शून्य क्षेत्र वाले वन गांवों को राजस्व गांवों में परिवर्तित किया जाएगा, ताकि सभी घरों को जल आपूर्ति, सड़क संपर्क, स्कूल और स्वास्थ्य देखभाल आदि बुनियादी सुविधाओं तक पहुंच मिल संकें। पांडा ने कहा कि योजना में टाइटल धारकों के रिकॉर्ड को डिजिटल बनाना भी शामिल होगा ताकि बाद में वो उन तक ऑनलाइन पहुंच सकें। पांडा ने कहा, "इससे राज्य के पास योजना के विभिन्न कार्यक्रमों के तहत सभी दावेदारों और टाइटल धारकों द्वारा प्राप्त लाभों की संख्या का डेटा होगा।"
उन्होंने कहा कि यह योजना पूरी तरह से राज्य सरकार द्वारा वित्त पोषित होगी जिसके लिए 2023-24 के वित्त बजट के दौरान 26 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था। राज्य योजना के आवधिक मूल्यांकन, निगरानी और समीक्षा के लिए जिलों में वन अधिकार कक्ष (सेल) भी स्थापित करेगा।
नयागढ़ जंगल सुरक्षा महासंघ, बौध जिला जंगल मंच और बलांगीर जिला वानिकी मंच ने राज्य सरकार के फैसले का स्वागत किया है और अपने-अपने जिलों में एफआरए को इसकी असल वास्तविक भावना के साथ लागू करने का आह्वान किया है।
कालाहांडी ग्राम सभा महासंघ के संयोजक बेदब्यासा माझी ने जिले में सामुदायिक वन अधिकार (CFR title) शीर्षकों की शीघ्र मंजूरी का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि जिले में 1,400 से अधिक सीएफआर दावे विभिन्न स्तरों पर लंबित हैं। नुआपाड़ा जिला जंगल जमी आंदोलन समिति के संयोजक हीरालाल माझी ने कहा कि एफआरए के 16 साल बाद जिले में केवल एक सीएफआर को मान्यता दी गई है। उन्होंने उम्मीद जताई कि योजना को उसकी असल वास्तविक भावना के साथ अक्षरश: क्रियान्वित किया जाएगा।
वन समुदायों की दूरियों को पाटने में सक्षम है योजना
नवीन पटनायक के नेतृत्व वाली ओडिशा सरकार की ये नई योजना, राज्य में वनवासियों और जनजातीय समुदायों को बुनियादी अधिकार प्रदान करती है। 'मो जंगल जामी योजना' वन अधिकार अधिनियम (FRA) के सभी महत्वपूर्ण प्रावधानों के पालन के साथ, वन समुदायों की दूरियों को भी पाटने में सक्षम है। ओडिशा राज्य वन अधिकार योजना, वन समुदायों के लिए वन अधिकारों को बढ़ावा देगी। 'मो जंगल जामी योजना' लागू करने से, ओडिशा, देश का पहला राज्य बन जाएगा जो व्यक्ति और समुदाय दोनों को वन अधिकार प्रदान करता है।
अनुवाद- इस्लामुन, नवनीश कुमार
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3 जुलाई, 2023 को ओडिशा सरकार ने अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम 2006 के प्रावधानों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए 'मो जंगल जामी योजना' (MJJY) शुरू करने का ऐलान किया है। जिससे राज्य के 30 जिलों में 32,000 गांवों के 7.4 लाख आदिवासी परिवारों को लाभ होगा। 'डाउन टू अर्थ' DTE की एक रिपोर्ट के अनुसार, 'मो जंगल जामी योजना' नाम की नई योजना राज्य के बजट 2023-24 का हिस्सा थी। योजना की कुल लागत 38.76 करोड़ रुपये है। जिसमें जनजातीय अनुसंधान संस्थान, भुवनेश्वर में एक राज्य कार्यक्रम प्रबंधन इकाई (SPMU) की स्थापना, जागरूकता अभियान चलाने, प्रभावी निगरानी के सभी जिलों में वन अधिकार कार्यान्वयन कक्ष (सेल) की स्थापना करना तथा विभिन्न सरकारी अधिकारियों और संबंधित क्षेत्र के पदाधिकारियों और ग्राम सभा सदस्यों को प्रशिक्षण देना शामिल है।
यदि इसे सफलतापूर्वक लागू किया जाता है, तो ओडिशा व्यक्तिगत (IFR) और सामुदायिक वन अधिकार (CFR), विशेष रूप से कमजोर आदिवासी समूहों (PVTG) के लिए आवास अधिकार तथा राज्य के सभी गैर-सर्वेक्षित/वन गांवों को राजस्व गांवों में परिवर्तित करने जैसे सभी प्रावधानों सहित "एफआरए अनुपालन" करने वाला पहला राज्य बन जाएगा। खास है कि जनजातीय अनुसंधान संस्थान, भुवनेश्वर ने योजना के कार्यान्वयन के लिए संभावित गांवों की पहचान पहले ही कर ली है।
देश के 11 राज्यों में प्रकृति संरक्षण और ख़राब परिदृश्यों की बहाली पर काम करने वाली राष्ट्रीय स्तर की गैर-लाभकारी संस्था, फाउंडेशन फॉर इकोलॉजिकल सिक्योरिटी के वरिष्ठ कार्यक्रम प्रबंधक, बरना बैभाबा पांडा ने डाउन टू अर्थ (DTI) को बताया कि विभिन्न विभागों, विशेषकर राजस्व, वन और एससी/एसटी के विकास के लिए बेहतर समन्वय और तालमेल के साथ, महत्वपूर्ण वन संसाधनों तक बेहतर पहुंच और संसाधनों के संरक्षण के लिए सामूहिक कार्रवाई के माध्यम से, राज्य के डेढ़ करोड़ आदिवासियों और अन्य पारंपरिक वन आश्रित आबादी को लाभ होने की उम्मीद है।
सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, ओडिशा में 32,562 एफआरए संभावित गांव और 7.35 लाख संभावित अनुसूचित जनजाति परिवार हैं, जो 35,739 वर्ग किमी के क्षेत्र को कवर करते हैं, जिन्हें लाभान्वित करने का लक्ष्य है। राज्य 62 विभिन्न जनजातियों का घर है, जिनमें से 13 को विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTG) के रूप में मान्यता प्राप्त है। राज्य में जनजातीय आबादी अनुमानत: 9,590,756 है जो कुल आबादी का 22.85 प्रतिशत है।
ओडिशा सरकार द्वारा 3 जुलाई को जारी अधिसूचना के अनुसार, इस योजना का मुख्य उद्देश्य अनुसूचित जनजाति और वन में रहने वाली आबादी के लिए आजीविका और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना है। योजना के कार्यान्वयन से लाभार्थियों को उनकी पात्रता के अनुसार भूमि का स्वामित्व और वन संसाधनों तक पहुंच प्रदान की जाएगी ताकि वे सरकार के मुख्यधारा के विकास कार्यक्रमों से जुड़ सकें। अधिसूचना के अनुसार, सभी पात्र दावेदारों- मुख्य रूप से एकल महिलाओं और पीवीटीजी- को भूमि का स्वामित्व प्राप्त होगा और सभी स्वामित्व धारकों के लिए रिकॉर्ड सुधार किए जाएंगे। पांडा ने कहा कि सभी ग्राम सभाओं और गांवों में अधिकार वितरित किए जाएंगे। उन्होंने कहा, "योजना के कुशल संचालन (कामकाज) के लिए राजस्व, वन और जनजातीय विभाग के समन्वय और मिलकर काम करने के ठोस प्रयासों की आवश्यकता होगी।"
योजना के तहत, सभी असर्वेक्षित वन और शून्य क्षेत्र वाले वन गांवों को राजस्व गांवों में परिवर्तित किया जाएगा, ताकि सभी घरों को जल आपूर्ति, सड़क संपर्क, स्कूल और स्वास्थ्य देखभाल आदि बुनियादी सुविधाओं तक पहुंच मिल संकें। पांडा ने कहा कि योजना में टाइटल धारकों के रिकॉर्ड को डिजिटल बनाना भी शामिल होगा ताकि बाद में वो उन तक ऑनलाइन पहुंच सकें। पांडा ने कहा, "इससे राज्य के पास योजना के विभिन्न कार्यक्रमों के तहत सभी दावेदारों और टाइटल धारकों द्वारा प्राप्त लाभों की संख्या का डेटा होगा।"
उन्होंने कहा कि यह योजना पूरी तरह से राज्य सरकार द्वारा वित्त पोषित होगी जिसके लिए 2023-24 के वित्त बजट के दौरान 26 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था। राज्य योजना के आवधिक मूल्यांकन, निगरानी और समीक्षा के लिए जिलों में वन अधिकार कक्ष (सेल) भी स्थापित करेगा।
नयागढ़ जंगल सुरक्षा महासंघ, बौध जिला जंगल मंच और बलांगीर जिला वानिकी मंच ने राज्य सरकार के फैसले का स्वागत किया है और अपने-अपने जिलों में एफआरए को इसकी असल वास्तविक भावना के साथ लागू करने का आह्वान किया है।
कालाहांडी ग्राम सभा महासंघ के संयोजक बेदब्यासा माझी ने जिले में सामुदायिक वन अधिकार (CFR title) शीर्षकों की शीघ्र मंजूरी का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि जिले में 1,400 से अधिक सीएफआर दावे विभिन्न स्तरों पर लंबित हैं। नुआपाड़ा जिला जंगल जमी आंदोलन समिति के संयोजक हीरालाल माझी ने कहा कि एफआरए के 16 साल बाद जिले में केवल एक सीएफआर को मान्यता दी गई है। उन्होंने उम्मीद जताई कि योजना को उसकी असल वास्तविक भावना के साथ अक्षरश: क्रियान्वित किया जाएगा।
वन समुदायों की दूरियों को पाटने में सक्षम है योजना
नवीन पटनायक के नेतृत्व वाली ओडिशा सरकार की ये नई योजना, राज्य में वनवासियों और जनजातीय समुदायों को बुनियादी अधिकार प्रदान करती है। 'मो जंगल जामी योजना' वन अधिकार अधिनियम (FRA) के सभी महत्वपूर्ण प्रावधानों के पालन के साथ, वन समुदायों की दूरियों को भी पाटने में सक्षम है। ओडिशा राज्य वन अधिकार योजना, वन समुदायों के लिए वन अधिकारों को बढ़ावा देगी। 'मो जंगल जामी योजना' लागू करने से, ओडिशा, देश का पहला राज्य बन जाएगा जो व्यक्ति और समुदाय दोनों को वन अधिकार प्रदान करता है।
अनुवाद- इस्लामुन, नवनीश कुमार
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