शिक्षक नहीं स्कूलों में, रसोइये पढ़ा रहे हैं रमन राज में

Written by Mahendra Narayan Singh Yadav | Published on: October 8, 2018
छत्तीसगढ़ बनने के साथ ही इस इलाके के लोगों ने विकास की जो उम्मीदें लगाई थीं, वो भाजपा का शासन आते ही खत्म हो गईं। रमन सिंह के पिछले 15 साल के राज में हालत ये हो गई है कि सुदूर ग्रामीण इलाकों में एक दो नहीं, बल्कि पूरे 11 स्कूल तो केवल एक ब्लॉक में ही शिक्षकों से वंचित हैं। हालात ये हो गए हैं कि इन स्कूलों में बच्चों को रसोइए ही पढ़ा रहे हैं।

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बात बस्तर जिले की करें तो इसके बास्तानार ब्लॉक में 11 स्कूलों में एक भी अध्यापक नहीं है और बच्चों की कक्षाएं मिडडे मील बनाने वाले रसोइए ले रहे हैं।

पत्रिका की रिपोर्ट के अनुसार, बास्तानार ब्लाक की ग्राम पंचायत बड़ेबोदेनार, कापानार, बुरगुम, बड़ेकाकलूर और बास्तानार में छह प्राथमिक स्कूल और पांच माध्यमिक स्कूल हैं जिनमें कुल 178 छात्र-छात्राएं हैं, लेकिन शिक्षक एक भी नहीं है। शिक्षकों के नहीं होने की वजह से यहां कभी कोई गांव का कोई पढ़ा-लिखा व्यक्ति कक्षा में पढ़ा देता है तो कभी रसोइया ही टीचर बन जाता है।

11 गांवों के स्कूल केवल कागजों में चल रहे हैं और जिन बच्चों के नाम इनमें दर्ज हैं, उनकी परवाह सरकार को कतई नहीं है, भले ही रमन सिंह नक्सलवाद प्रभावित इलाकों के विकास के अनेक दावे करते घूम रहे हों।

शिक्षकों से वंचित स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों में भी नाराजगी है और उनके माता-पिता भी सरकार पर लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं।

नाराज ग्रामीणों ने अब चक्काजाम करने की चेतावनी दी है। बास्तानार के जिला पंचायत सदस्य बोमड़ाराम मंडावी का कहना है कि शिक्षकविहीन शालाओं में शिक्षकों की मांग को लेकर कई बार जिला पंचायत सामान्य सभा में मांग की जा रही है लेकिन इस मांग पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।
 

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