नो वन किल्ड पहलू खान?

Written by sabrang india | Published on: August 15, 2019
पहलू खान लिंचिंग मामले में अलवर कोर्ट ने चौंकाने वाला फैसला सुनाते हुए सभी छह आरोपियों को बरी कर दिया। हत्या के सभी आरोपियों को "संदेह का लाभ" देते हुए कोर्ट ने बरी कर दिया। इस हत्याकांड का एक वीडियो सामने आया था जिसमें भीड़ पहलू खान को बुरी तरह पीट रही थी लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया।

इससे पहले पुलिस ने एक आरोपी को स्थानीय गाय आश्रय स्थल के कर्मचारियों के बयान और फोन रिकॉर्ड के आधार पर क्लीन चिट दे दी थी। यह आरोपी था जगमाल यादव, जो उस गौशाला का प्रबंधक था, जिसके कर्मचारियों ने गवाही दी थी कि वह और अन्य आरोपी अपराध के समय गौशाला में मौजूद थे।

अलवर में अतिरिक्त जिला न्यायाधीश प्रथम (ADJF) की अदालत ने बुधवार को पहलू खान लिंचिंग मामले में फैसला सुनाया जो कि देश के सबसे चर्चित लिंचिंग मामलों में से एक है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कैमरे पर न केवल मौत का पूरा नंगा नाच हमलावरों को दिखा रहा था, बल्कि इसलिए भी कि खुद पहलु खान को गौ तस्करी के आरोप में आरोपपत्र सौंपा गया था!

पुलिस ने पहलू खान के बेटों इरशाद (25) और आरिफ (22) को 5, 8 और 9 की धाराओं के तहत आरोपित किया, जबकि मृतकों के खिलाफ राजस्थान के गोवंशीय पशु अधिनियम, 1995 की धारा 6 (वध पर प्रतिबंध और अस्थायी प्रवासन या निर्यात का प्रतिबंध) के तहत आरोप तय किए गए हैं। राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार के सत्ता में आने के 13 दिन बाद 30 दिसंबर को पहलु खान के खिलाफ आरोपपत्र तैयार किया गया था।

इस केस की जांच और ट्रायल की पूरी प्रक्रिया काफी यातनापूर्ण रही है। करीब 45 गवाहों ने अपने बयान दिए जिनमें पहलू खान के 2 बेटे भी शामिल थे जो भीड़ के हमले से बच गए थे। जिस दिन उनकी गवाही दर्ज की जानी थी, उस दिन अदालत में उनके वकील, दो गवाहों और पहलू खान के बेटों पर भी हमला किया गया।

घटना के बाद सिविल सोसाइटी के कुछ लोगों ने इस संबंध में दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी और पहलू खान मामले की जांच पर गंभीर सवाल उठाए थे। फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने पुलिस जांच में तमाम खामियां गिनाते हुए केस को कोर्ट में चैलेंज करने की बात कही थी।

इस दौरान जांच करने वाले स्वतंत्र पत्रकार अजित साही समेत मशहूर वकील प्रशांत भूषण और इंदिरा जयसिंह प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद रहे। जहां उन्होंने फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया।

रिपोर्ट के आधार पर जांच में इन 10 बड़ी खामियों का दावा:

1। एफआईआर के मुताबिक पुलिस को पहलू खान की घटना के बारे में 2 अप्रैल को सुबह 4।24 बजे पता चला। जबकि ये घटना 1 अप्रैल को शाम 7 बजे हुई। घटनास्थल से पुलिस स्टेशन की दूरी महज 2 किलोमीटर है। एफआईआर के मुताबिक पुलिस को करीब 9 घंटे बाद घटना की सूचना मिली।

2। वहीं दूसरी तरफ, उसी एफआईआर में लिखा है कि पहलू खान का बयान रात 11 बजकर 50 मिनट पर रिकॉर्ड कर लिया था। ऐसे में सवाल ये है कि जब पुलिस को घटना की जानकारी ही सुबह चार बजे के बाद मिली तो फिर 4 घंटे पहले ही पुलिस ने पहलू खान का बयान कैसे दर्ज करा लिया।

3। हमले के आधा घंटे बाद पुलिस पहलू खान और उनके बेटे को अस्पताल ले गई। जबकि एफआईआर में किसी चश्मदीद पुलिसकर्मी का नाम नहीं है। उन्हें केस में गवाह तक नहीं बनाया गया।

4। डायिंग डिक्लेरेशन में पहलू खान ने 6 लोगों के नाम लिए थे। पहलू खान के बयान के मुताबिक उन पर हमला करने वाले कह रहे थे कि वह बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद के सदस्य हैं। ऐसे में सवाल ये है कि जब पहलू खान उस इलाके का रहने वाला था नहीं, तो उसे इन्हीं 6 लोगों के नाम कैसे याद रहे। आखिर किसने उसे ये नाम दिए?

5। पुलिस की रिपोर्ट में ये कहा गया है कि पहूल खान के डायिंग डिक्लेरेशन की जांच की गई और ये पाया गया कि सभी 6 आरोपी घटना के वक्त एक गौशाला में मौजूद थे।

6। इन सभी 6 आरोपियों ने जांच में पुलिस को ये बताया कि क्राइम सीन पर उनके मोबाइल फोन नहीं थे और पुलिस ने उनके इसी बयान को सबूत मान लिया।

7। ये आरोपी 5 महीने तक फरार रहे और अचानक आकर पुलिस को अपने बयान रिकॉर्ड कराते हुए ये कहा कि वे घटनास्थल पर मौजूद ही नहीं थे। पुलिस ने उनके ये बयान सबूत मान लिए।

8। बहरोड़ के तीन सरकारी डॉक्टरों ने बताया कि पहलू खान की मौत चोट की वजह से हुई थी, जो उन्हें हमले के दौरान लगी थीं।

9। जबकि पुलिस ने सरकारी डॉक्टरों की रिपोर्ट को अनदेखा किया और एक प्राइवेट अस्पताल (जो कि बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री का है) के डॉक्टरों की बात मानी।

10। बीजेपी नेता के अस्पताल के डॉक्टरों ने पुलिस को बताया कि जब पहलू खान अस्पताल पहुंचा, तब उसकी हालत ठीक थी। उसकी नाक से खून बह रहा था और उसने सीने में दर्द की शिकायत की। इस आधार पर डॉक्टरों ने पहलू खान की मौत की वजह हार्ट अटैक बताया।

सिविल सोसाइटी ने पुलिस जांच और उसकी थ्योरी में ये तमाम खामियां बताते हुए मामले की तफ्तीश को डायवर्ट करने का आरोप लगाया था।
 

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