कांवड़ यात्रा मार्ग स्थित ठेले- ढाबों व दुकानों पर नाम लिखने से गंभीर सवाल उठे हैं तो राजनीति भी गरमा गई है। सहारनपुर डीआईजी और मुजफ्फरनगर एसएसपी ने निर्देश दिए हैं, कि कांवड़ यात्रा के दौरान, सभी दुकानदार ठेले-खोमचे वाले अपना नाम मोटे अक्षरों लिखकर कर रखेंगे, ताकि जब कांवड़िए उन रास्तों से गुजरें, तो उन्हें दुकान मालिक या स्टाफ के बारे में कोई कन्फ्यूजन न हो।
सवाल है कि क्या ये मुसलमानों के आर्थिक बायकाट को सरकारी संरक्षण देने, और उसका सामान्यीकरण करने की, असंवैधानिक कोशिश नहीं है?.. क्या दुकानों को भी हिंदू-मुस्लिम में बांटा जाएगा, क्या यह संविधान पर हमला और सेकुलरिज्म की जगह सांप्रदायिक तनाव को विस्तार देना नहीं है? यह ख़तरनाक है कि शासन-प्रशासन द्वारा जानबूझकर कांवड़िया रूट पर मुसलमानों को चिन्हित होने दिया जा रहा है, और उनके जानमाल को बेहद ख़तरे में डाला जा रहा है...
2013 में मुजफ्फरनगर में हुए प्रायोजित दंगे,जिसका विस्तार ग्रामीण इलाकों तक होने दिया गया था, क्या फिर से पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश को उसी दिशा में ले जाने की तैयारी हो रही है.... 4 जून के बाद देश भर में हो रही लिंचिंग और अब मुजफ्फरनगर में इस तरह का निर्देश फिर से बढ़ रही हिंदू-मुस्लिम एकता को तोड़ने वाली है, पर बदली हुई परिस्थिति के बावजूद, विपक्ष की चुप्पी या औपचारिक बयानों तक अपने को सिमित रखना भी कम शर्मनाक नहीं है..जिस पर अब बहस तेज करने की जरूरत और बढ़ गई है। हालांकि इससे राजनीति भी गरमा गई है।
दरअसल एसएसपी मुजफ्फरनगर अभिषेक सिंह के वायरल वीडियो तथा डीआइजी के निर्देशों से मामला पूरे देश में बहस का केंद्र बना है। डीआईजी अजय कुमार साहनी ने सहारनपुर, मुजफ्फरनगर और शामली के पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि होटल और ढाबों पर खाद्य पदार्थों की सूची व इनके स्वामियों के नाम भी लिखे जाएं। ताकि कांवड़ियों को पता चल सके कि किस समुदाय के व्यक्ति का ढाबा है। खास है कि एसएसपी के आदेश पर नई मंडी, छपार व पुरकाजी, मंसूरपुर व खतौली आदि थानों की पुलिस ने कार्रवाई शुरू करा दी। शहर में भी मीनाक्षी चौक के पास फल बेचने वाले लोगों के ठेलों पर नाम वाले पोस्टर चस्पा करा दिए हैं।
उधर, सहारनपुर डीआइजी अजय कुमार साहनी ने कहा कि 22 जुलाई से कांवड़ यात्रा शुरू हो रही है। उन्होंने कहा कि सहारनपुर, मुजफ्फरनगर और शामली के कांवड़ शिविर लगाने वाली समितियों से होटल और ढाबा संचालकों से वार्ता कर ली गई है। तीनों जिलों में कांवड़ मार्ग पर पड़ने वाले होटल और ढाबा संचालकों को खाद्य पदार्थों की सूची लगाने के लिए कहा गया है। इसके साथ ही होटल व ढाबों के स्वामियों का नाम भी बोर्ड पर अंकित किया जाए। क्योंकि, पूर्व में कई ऐसे मामले सामने आए हैं कि देवी-देवताओं के नाम पर होटल व ढाबों के नाम रखे गए हैं, लेकिन इनके स्वामी दूसरे समुदाय के हैं। पूर्व में इसको लेकर झगड़े भी हुए हैं। इसी तरह प्रतिष्ठानों, दुकानों पर बैनर और पोस्टर भी संचालक लगाएं। कांवड़ियों को किसी तरह की कोई दिक्कत न हो। इसमें सभी का सहयोग पुलिस को मिल रहा है। सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए जाएं। अगर कोई व्यक्ति माहौल खराब करने की कोशिश करता है तो उसके खिलाफ तत्काल प्रभाव से कार्रवाई की जाए। संदिग्धों पर पैनी नजर रखी जाए। शिवालयों में सुरक्षा व्यवस्था चाकचौबंद रहे। इसके बाद सियासी तौर से भी तूल पकड़ लिया है।
ओवैसी के बाद अखिलेश यादव और जावेद अख्तर का तंज
कांवड़ यात्रा के दौरान हरिद्वार से आते समय दिल्ली-देहरादून हाईवे पर काफी होटल व ढाबे हैं। इनमें दूसरे समुदाय के ढाबे व होटल भी हैं। डीआईजी व मुजफ्फरनगर एसएसपी के इन ढाबा संचालकों को नाम पट्टी अंकित करने के निर्देश से मामले ने सियासी तौर से भी तूल पकड़ लिया और इस पर सियासी बहस शुरू हो गई है। इसे लेकर एआईएमआईएम के अध्यक्ष असद्उद्दीन ओवैसी ने एक्स पर पोस्ट कर पलटवार किया है तो सपा मुखिया अखिलेश यादव और गीतकार जावेद अख्तर ने भी एक्स पर पोस्ट करते हुए टिप्पणी की है।
एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने पलटवार करते हुए अभिषेक सिंह के बयान पर तलख टिप्पणी की है। असदुद्दीन ओवैसी ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा है कि उत्तर प्रदेश पुलिस के आदेश के अनुसार अब हर खाने वाली दुकान या ठेले के मालिक को अपना नाम बोर्ड पर लगाना होगा, ताकि कोई कांवड़िया गलती से मुसलमान की दुकान से कुछ न खरीद ले। इसे दक्षिण अफ्रीका में अपारथाइड कहा जाता था और हिटलर की जर्मनी में इसका नाम जुडेनबोयकोट था।
सपा मुखिया अखिलेश यादव ने भी एक्स पर की पोस्ट
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मुजफ्फरनगर पुलिस द्वारा जारी किए गए आदेश को सामाजिक अपराध बताया है। उन्होंने कहा कि कोर्ट को ऐसे मामलों का स्वत: संज्ञान लेना चाहिए और जांच करवाकर दंडात्मक कार्रवाई करनी चाहिए। मुजफ्फरनगर पुलिस ने कांवड़ यात्रा को लेकर जारी किए गए फरमान में कहा है कि सभी दुकानदार दुकान के बाहर अपना नाम जरूर लिखें। अखिलेश यादव ने कहा कि ऐसे आदेश सौहार्द के शांतिपूर्ण वातावरण को बिगाड़ना चाहते हैं।
उन्होंने सोशल साइट एक्स पर कहा कि … और जिसका नाम गुड्डू, मुन्ना, छोटू या फत्ते है, उसके नाम से क्या पता चलेगा? माननीय न्यायालय स्वत: संज्ञान ले और ऐसे प्रशासन के पीछे के शासन तक की मंशा की जांच करवाकर, उचित दंडात्मक कार्रवाई करे। ऐसे आदेश सामाजिक अपराध हैं, जो सौहार्द के शांतिपूर्ण वातावरण को बिगाड़ना चाहते हैं।
वहीं इस मामले को लेकर गीतकार जावेद अख्तर भी कूद गए हैं। उन्होंने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि मुजफ्फरनगर यूपी पुलिस ने निर्देश दिया है कि निकट भविष्य में एक विशेष धार्मिक कार्यक्रम के मार्ग पर सभी दुकानों, रेस्टोरेंट्स और यहां तक कि वाहनों पर मालिक का नाम प्रमुखता से और स्पष्ट रूप से लिखा जाना चाहिए। क्यों? नाजी जर्मनी में वे केवल विशेष दुकानों और घरों पर ही निशान बनाते थे।
मायावती ने कहा- सरकार वापस ले आदेश
बसपा सुप्रीमों ने भी इस मामले को लेकर एक्स पर पोस्ट करते हुए इस आदेश का वापस लेने की बात कही है। मायावती ने एक्स पर पोस्ट किया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश व मुजफ्फरनगर जिले के कांवड़ यात्रा रूट में पड़ने वाले सभी होटल, ढाबा, ठेले आदि के दुकानदारों को मालिक का पूरा नाम प्रमुखता से प्रदर्शित करने का नया सरकारी आदेश यह गलत परंपरा है, जो सौहार्दपूर्ण वातावरण को बिगाड़ सकता है। जनहित में सरकार इसे तुरंत वापस ले।
दंगा झेल चुके, नई शुरूआत नहीं होने देंगे: टिकैत
वहीं इस मामले को लेकर भाकियू प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने कहा कि मुजफ्फरनगर के लोग 2013 का दंगा झेल चुके हैं। इस तरह की नई शुरूआत नहीं होने देंगे। हिंदू और मुस्लिम सब मिलकर कांवड़ यात्रा निकलवाते हैं। कांवड़ के समय नई परंपरा शुरू नहीं होने देंगे। ट्रेनिंग सेंटर नहीं बनने देंगे। दंगा बाहर के लोग करके जाएंगे और मुजफ्फरनगर को झेलना पड़ेगा।
इमरान बोले मुसलमान ही बनाते हैं कांवड़
सहारनपुर सांसद व कांग्रेस नेता इमरान मसूद ने कहा कि कांवड़ यात्रा सभी के लिए आस्था का केंद्र हैं। ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। क्योंकि, इन्होंने माहौल खराब करने की कोशिश की है। मसूद ने पलटवार करते हुए कहा कि कांवड़ यात्रा सभी के लिए आस्था केंद्र हैं। सर्व समाज के लोग कांवड़ यात्रा का स्वागत करते हैं। हम सबकी जिम्मेदारी बनती है कि सभी यात्रा के सकुशल संपन्न कराने में सहयोग करें। आस्था से किसी तरह का खिलवाड़ नहीं होना चाहिए, लेकिन पुलिस अधिकारी ने ये तुगलकी गलत बयान देकर माहौल खराब करने की कोशिश की है। कहा कांवड़ और कावड़ियों की ड्रेस तक मुसलमान ही तो बनाते हैं। ऐसे में ऐसे पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
पवन खेड़ा का निशाना- क्या हिंदुओं का बेचा गया मीट, दाल-भात बन जाता है?
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने इस पर भड़कते हुए कहा कि क्या हिंदुओं का बेचा गया मीट, दाल-भात बन जाता है? उन्होंने कहा, "कांवड़ यात्रा के रूट पर फल सब्ज़ी विक्रेताओं व रेस्टोरेंट ढाबा मालिकों को बोर्ड पर अपना नाम लिखना आवश्यक होगा। यह मुसलमानों के आर्थिक बॉयकॉट की दिशा में उठाया कदम है या दलितों के आर्थिक बॉयकॉट का, या दोनों का, हमें नहीं मालूम। जो लोग यह तय करना चाहते थे कि कौन क्या खाएगा, अब वो यह भी तय करेंगे कि कौन किस से क्या खरीदेगा?"
ये भी प्रतिक्रिया, इन्होंने भी कहा....
वरिष्ठ पत्रकार रविश कुमार ने अपने ट्वीट में लिखा कि किसी त्योहार का मजा तभी आता है जब इसमें वो भी शामिल हो जिनका वो नहीं है। कहा मुझे नहीं लगता है कि किसी कांवडिए ने यह मांग की हो कि हिन्दू ढाबे पर काम कर रहे मुस्लिम कर्मचारी को हटाया जाए। वे दशकों से मुस्लिम इलाकों से ही कांवड़ लाते रहे हैं। ठेलों पर आम बेचने वाले किसी मुसलमान से उसका नाम लिखाकर ये लोग धर्म का दायरा छोटा करना चाहते हैं। डर से कोई भी अपना लिख देगा लेकिन उनका दिल कितना टूटा होगा। इस सियासत से बाहर आइए, खुद को जहर बनने से बचा लीजिए।
वहीं, भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने इस पूरे मसले पर अपनी प्रतिक्रिया में एक्स पर लिखा...
कुछ अति-उत्साही अधिकारियों के आदेश हड़बड़ी में गडबड़ी वाली ..अस्पृश्यता की बीमारी को बढ़ावा दे सकते हैं...आस्था का सम्मान होना ही चाहिए,पर अस्पृश्यता का संरक्षण नहीं होना चाहिए...."जनम जात मत पूछिए, का जात अरु पात।
रैदास पूत सब प्रभु के,कोए नहिं जात कुजात।।
ट्रोल होने के बाद नकवी ने फिर से कांवड़ ले जाते मुस्लिमों के एक फोटो के साथ ट्वीट किया कि ..... अरे ट्रोलर टट्टुओं...कांवड यात्रा के सम्मान, श्रद्धा का सर्टिफिकेट कम से कम मुझे तो मत बांटो, मेरा हमेशा मानना है कि "कोई भी आस्था असहिष्णुता,अस्पृश्यता की बन्धक नहीं होनी चाहिए"
नाम और धर्म लिखना गैर संवैधानिक- रामाशीष राय
इस मामले को लेकर आरएलडी प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय ने पोस्ट किया करते हुए यूपी सरकार पर सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। उन्होंने लिखा है कि यह आदेश सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने वाला है। नाम और धर्म लिखना गैर संवैधानिक है। उन्होंने मांग की है कि प्रशासन इस अनुचित आदेश को वापस ले।
बहरहाल..., सवाल फिर वहीं मौजूं है कि .... क्या ये मुसलमानों के आर्थिक बायकाट को सरकारी संरक्षण देने, और उसका सामान्यीकरण करने की, असंवैधानिक कोशिश नहीं है?.. क्या दुकानों को भी हिंदू-मुस्लिम में बांटा जाएगा, क्या यह संविधान पर हमला और सेकुलरिज्म की जगह सांप्रदायिक तनाव को विस्तार देना नहीं है? यह ख़तरनाक है कि शासन-प्रशासन द्वारा जानबूझकर कांवड़िया रूट पर मुसलमानों को चिन्हित होने दिया जा रहा है, और उनके जानमाल को बेहद ख़तरे में डाला जा रहा है...
2013 में मुजफ्फरनगर में हुए प्रायोजित दंगे,जिसका विस्तार ग्रामीण इलाकों तक होने दिया गया था, क्या फिर से पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश को उसी दिशा में ले जाने की तैयारी हो रही है.... 4 जून के बाद देश भर में हो रही लिंचिंग और अब मुजफ्फरनगर में इस तरह का निर्देश फिर से बढ़ रही हिंदू-मुस्लिम एकता को तोड़ने वाली है, पर बदली हुई परिस्थिति के बावजूद, विपक्ष की चुप्पी या औपचारिक बयानों तक अपने को सिमित रखना भी कम शर्मनाक नहीं है..जिस पर अब बहस तेज करने की जरूरत और बढ़ गई है।
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सवाल है कि क्या ये मुसलमानों के आर्थिक बायकाट को सरकारी संरक्षण देने, और उसका सामान्यीकरण करने की, असंवैधानिक कोशिश नहीं है?.. क्या दुकानों को भी हिंदू-मुस्लिम में बांटा जाएगा, क्या यह संविधान पर हमला और सेकुलरिज्म की जगह सांप्रदायिक तनाव को विस्तार देना नहीं है? यह ख़तरनाक है कि शासन-प्रशासन द्वारा जानबूझकर कांवड़िया रूट पर मुसलमानों को चिन्हित होने दिया जा रहा है, और उनके जानमाल को बेहद ख़तरे में डाला जा रहा है...
2013 में मुजफ्फरनगर में हुए प्रायोजित दंगे,जिसका विस्तार ग्रामीण इलाकों तक होने दिया गया था, क्या फिर से पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश को उसी दिशा में ले जाने की तैयारी हो रही है.... 4 जून के बाद देश भर में हो रही लिंचिंग और अब मुजफ्फरनगर में इस तरह का निर्देश फिर से बढ़ रही हिंदू-मुस्लिम एकता को तोड़ने वाली है, पर बदली हुई परिस्थिति के बावजूद, विपक्ष की चुप्पी या औपचारिक बयानों तक अपने को सिमित रखना भी कम शर्मनाक नहीं है..जिस पर अब बहस तेज करने की जरूरत और बढ़ गई है। हालांकि इससे राजनीति भी गरमा गई है।
दरअसल एसएसपी मुजफ्फरनगर अभिषेक सिंह के वायरल वीडियो तथा डीआइजी के निर्देशों से मामला पूरे देश में बहस का केंद्र बना है। डीआईजी अजय कुमार साहनी ने सहारनपुर, मुजफ्फरनगर और शामली के पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि होटल और ढाबों पर खाद्य पदार्थों की सूची व इनके स्वामियों के नाम भी लिखे जाएं। ताकि कांवड़ियों को पता चल सके कि किस समुदाय के व्यक्ति का ढाबा है। खास है कि एसएसपी के आदेश पर नई मंडी, छपार व पुरकाजी, मंसूरपुर व खतौली आदि थानों की पुलिस ने कार्रवाई शुरू करा दी। शहर में भी मीनाक्षी चौक के पास फल बेचने वाले लोगों के ठेलों पर नाम वाले पोस्टर चस्पा करा दिए हैं।
उधर, सहारनपुर डीआइजी अजय कुमार साहनी ने कहा कि 22 जुलाई से कांवड़ यात्रा शुरू हो रही है। उन्होंने कहा कि सहारनपुर, मुजफ्फरनगर और शामली के कांवड़ शिविर लगाने वाली समितियों से होटल और ढाबा संचालकों से वार्ता कर ली गई है। तीनों जिलों में कांवड़ मार्ग पर पड़ने वाले होटल और ढाबा संचालकों को खाद्य पदार्थों की सूची लगाने के लिए कहा गया है। इसके साथ ही होटल व ढाबों के स्वामियों का नाम भी बोर्ड पर अंकित किया जाए। क्योंकि, पूर्व में कई ऐसे मामले सामने आए हैं कि देवी-देवताओं के नाम पर होटल व ढाबों के नाम रखे गए हैं, लेकिन इनके स्वामी दूसरे समुदाय के हैं। पूर्व में इसको लेकर झगड़े भी हुए हैं। इसी तरह प्रतिष्ठानों, दुकानों पर बैनर और पोस्टर भी संचालक लगाएं। कांवड़ियों को किसी तरह की कोई दिक्कत न हो। इसमें सभी का सहयोग पुलिस को मिल रहा है। सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए जाएं। अगर कोई व्यक्ति माहौल खराब करने की कोशिश करता है तो उसके खिलाफ तत्काल प्रभाव से कार्रवाई की जाए। संदिग्धों पर पैनी नजर रखी जाए। शिवालयों में सुरक्षा व्यवस्था चाकचौबंद रहे। इसके बाद सियासी तौर से भी तूल पकड़ लिया है।
ओवैसी के बाद अखिलेश यादव और जावेद अख्तर का तंज
कांवड़ यात्रा के दौरान हरिद्वार से आते समय दिल्ली-देहरादून हाईवे पर काफी होटल व ढाबे हैं। इनमें दूसरे समुदाय के ढाबे व होटल भी हैं। डीआईजी व मुजफ्फरनगर एसएसपी के इन ढाबा संचालकों को नाम पट्टी अंकित करने के निर्देश से मामले ने सियासी तौर से भी तूल पकड़ लिया और इस पर सियासी बहस शुरू हो गई है। इसे लेकर एआईएमआईएम के अध्यक्ष असद्उद्दीन ओवैसी ने एक्स पर पोस्ट कर पलटवार किया है तो सपा मुखिया अखिलेश यादव और गीतकार जावेद अख्तर ने भी एक्स पर पोस्ट करते हुए टिप्पणी की है।
एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने पलटवार करते हुए अभिषेक सिंह के बयान पर तलख टिप्पणी की है। असदुद्दीन ओवैसी ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा है कि उत्तर प्रदेश पुलिस के आदेश के अनुसार अब हर खाने वाली दुकान या ठेले के मालिक को अपना नाम बोर्ड पर लगाना होगा, ताकि कोई कांवड़िया गलती से मुसलमान की दुकान से कुछ न खरीद ले। इसे दक्षिण अफ्रीका में अपारथाइड कहा जाता था और हिटलर की जर्मनी में इसका नाम जुडेनबोयकोट था।
सपा मुखिया अखिलेश यादव ने भी एक्स पर की पोस्ट
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मुजफ्फरनगर पुलिस द्वारा जारी किए गए आदेश को सामाजिक अपराध बताया है। उन्होंने कहा कि कोर्ट को ऐसे मामलों का स्वत: संज्ञान लेना चाहिए और जांच करवाकर दंडात्मक कार्रवाई करनी चाहिए। मुजफ्फरनगर पुलिस ने कांवड़ यात्रा को लेकर जारी किए गए फरमान में कहा है कि सभी दुकानदार दुकान के बाहर अपना नाम जरूर लिखें। अखिलेश यादव ने कहा कि ऐसे आदेश सौहार्द के शांतिपूर्ण वातावरण को बिगाड़ना चाहते हैं।
उन्होंने सोशल साइट एक्स पर कहा कि … और जिसका नाम गुड्डू, मुन्ना, छोटू या फत्ते है, उसके नाम से क्या पता चलेगा? माननीय न्यायालय स्वत: संज्ञान ले और ऐसे प्रशासन के पीछे के शासन तक की मंशा की जांच करवाकर, उचित दंडात्मक कार्रवाई करे। ऐसे आदेश सामाजिक अपराध हैं, जो सौहार्द के शांतिपूर्ण वातावरण को बिगाड़ना चाहते हैं।
वहीं इस मामले को लेकर गीतकार जावेद अख्तर भी कूद गए हैं। उन्होंने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि मुजफ्फरनगर यूपी पुलिस ने निर्देश दिया है कि निकट भविष्य में एक विशेष धार्मिक कार्यक्रम के मार्ग पर सभी दुकानों, रेस्टोरेंट्स और यहां तक कि वाहनों पर मालिक का नाम प्रमुखता से और स्पष्ट रूप से लिखा जाना चाहिए। क्यों? नाजी जर्मनी में वे केवल विशेष दुकानों और घरों पर ही निशान बनाते थे।
मायावती ने कहा- सरकार वापस ले आदेश
बसपा सुप्रीमों ने भी इस मामले को लेकर एक्स पर पोस्ट करते हुए इस आदेश का वापस लेने की बात कही है। मायावती ने एक्स पर पोस्ट किया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश व मुजफ्फरनगर जिले के कांवड़ यात्रा रूट में पड़ने वाले सभी होटल, ढाबा, ठेले आदि के दुकानदारों को मालिक का पूरा नाम प्रमुखता से प्रदर्शित करने का नया सरकारी आदेश यह गलत परंपरा है, जो सौहार्दपूर्ण वातावरण को बिगाड़ सकता है। जनहित में सरकार इसे तुरंत वापस ले।
दंगा झेल चुके, नई शुरूआत नहीं होने देंगे: टिकैत
वहीं इस मामले को लेकर भाकियू प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने कहा कि मुजफ्फरनगर के लोग 2013 का दंगा झेल चुके हैं। इस तरह की नई शुरूआत नहीं होने देंगे। हिंदू और मुस्लिम सब मिलकर कांवड़ यात्रा निकलवाते हैं। कांवड़ के समय नई परंपरा शुरू नहीं होने देंगे। ट्रेनिंग सेंटर नहीं बनने देंगे। दंगा बाहर के लोग करके जाएंगे और मुजफ्फरनगर को झेलना पड़ेगा।
इमरान बोले मुसलमान ही बनाते हैं कांवड़
सहारनपुर सांसद व कांग्रेस नेता इमरान मसूद ने कहा कि कांवड़ यात्रा सभी के लिए आस्था का केंद्र हैं। ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। क्योंकि, इन्होंने माहौल खराब करने की कोशिश की है। मसूद ने पलटवार करते हुए कहा कि कांवड़ यात्रा सभी के लिए आस्था केंद्र हैं। सर्व समाज के लोग कांवड़ यात्रा का स्वागत करते हैं। हम सबकी जिम्मेदारी बनती है कि सभी यात्रा के सकुशल संपन्न कराने में सहयोग करें। आस्था से किसी तरह का खिलवाड़ नहीं होना चाहिए, लेकिन पुलिस अधिकारी ने ये तुगलकी गलत बयान देकर माहौल खराब करने की कोशिश की है। कहा कांवड़ और कावड़ियों की ड्रेस तक मुसलमान ही तो बनाते हैं। ऐसे में ऐसे पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
पवन खेड़ा का निशाना- क्या हिंदुओं का बेचा गया मीट, दाल-भात बन जाता है?
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने इस पर भड़कते हुए कहा कि क्या हिंदुओं का बेचा गया मीट, दाल-भात बन जाता है? उन्होंने कहा, "कांवड़ यात्रा के रूट पर फल सब्ज़ी विक्रेताओं व रेस्टोरेंट ढाबा मालिकों को बोर्ड पर अपना नाम लिखना आवश्यक होगा। यह मुसलमानों के आर्थिक बॉयकॉट की दिशा में उठाया कदम है या दलितों के आर्थिक बॉयकॉट का, या दोनों का, हमें नहीं मालूम। जो लोग यह तय करना चाहते थे कि कौन क्या खाएगा, अब वो यह भी तय करेंगे कि कौन किस से क्या खरीदेगा?"
ये भी प्रतिक्रिया, इन्होंने भी कहा....
वरिष्ठ पत्रकार रविश कुमार ने अपने ट्वीट में लिखा कि किसी त्योहार का मजा तभी आता है जब इसमें वो भी शामिल हो जिनका वो नहीं है। कहा मुझे नहीं लगता है कि किसी कांवडिए ने यह मांग की हो कि हिन्दू ढाबे पर काम कर रहे मुस्लिम कर्मचारी को हटाया जाए। वे दशकों से मुस्लिम इलाकों से ही कांवड़ लाते रहे हैं। ठेलों पर आम बेचने वाले किसी मुसलमान से उसका नाम लिखाकर ये लोग धर्म का दायरा छोटा करना चाहते हैं। डर से कोई भी अपना लिख देगा लेकिन उनका दिल कितना टूटा होगा। इस सियासत से बाहर आइए, खुद को जहर बनने से बचा लीजिए।
वहीं, भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने इस पूरे मसले पर अपनी प्रतिक्रिया में एक्स पर लिखा...
कुछ अति-उत्साही अधिकारियों के आदेश हड़बड़ी में गडबड़ी वाली ..अस्पृश्यता की बीमारी को बढ़ावा दे सकते हैं...आस्था का सम्मान होना ही चाहिए,पर अस्पृश्यता का संरक्षण नहीं होना चाहिए...."जनम जात मत पूछिए, का जात अरु पात।
रैदास पूत सब प्रभु के,कोए नहिं जात कुजात।।
ट्रोल होने के बाद नकवी ने फिर से कांवड़ ले जाते मुस्लिमों के एक फोटो के साथ ट्वीट किया कि ..... अरे ट्रोलर टट्टुओं...कांवड यात्रा के सम्मान, श्रद्धा का सर्टिफिकेट कम से कम मुझे तो मत बांटो, मेरा हमेशा मानना है कि "कोई भी आस्था असहिष्णुता,अस्पृश्यता की बन्धक नहीं होनी चाहिए"
नाम और धर्म लिखना गैर संवैधानिक- रामाशीष राय
इस मामले को लेकर आरएलडी प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय ने पोस्ट किया करते हुए यूपी सरकार पर सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। उन्होंने लिखा है कि यह आदेश सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने वाला है। नाम और धर्म लिखना गैर संवैधानिक है। उन्होंने मांग की है कि प्रशासन इस अनुचित आदेश को वापस ले।
बहरहाल..., सवाल फिर वहीं मौजूं है कि .... क्या ये मुसलमानों के आर्थिक बायकाट को सरकारी संरक्षण देने, और उसका सामान्यीकरण करने की, असंवैधानिक कोशिश नहीं है?.. क्या दुकानों को भी हिंदू-मुस्लिम में बांटा जाएगा, क्या यह संविधान पर हमला और सेकुलरिज्म की जगह सांप्रदायिक तनाव को विस्तार देना नहीं है? यह ख़तरनाक है कि शासन-प्रशासन द्वारा जानबूझकर कांवड़िया रूट पर मुसलमानों को चिन्हित होने दिया जा रहा है, और उनके जानमाल को बेहद ख़तरे में डाला जा रहा है...
2013 में मुजफ्फरनगर में हुए प्रायोजित दंगे,जिसका विस्तार ग्रामीण इलाकों तक होने दिया गया था, क्या फिर से पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश को उसी दिशा में ले जाने की तैयारी हो रही है.... 4 जून के बाद देश भर में हो रही लिंचिंग और अब मुजफ्फरनगर में इस तरह का निर्देश फिर से बढ़ रही हिंदू-मुस्लिम एकता को तोड़ने वाली है, पर बदली हुई परिस्थिति के बावजूद, विपक्ष की चुप्पी या औपचारिक बयानों तक अपने को सिमित रखना भी कम शर्मनाक नहीं है..जिस पर अब बहस तेज करने की जरूरत और बढ़ गई है।
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