मध्यप्रदेश के भाजपा शासन में पुलिस वाले अपराधियों के हाथों भले ही पिटते रहे हों, लेकिन आम जनता का हाल ये है कि जन्मदिन मनाने पर भी पुलिस आकर पिटाई कर जाती है।
डबरा के पाटई गांव में हुई ऐसी ही घटना इस बात का प्रमाण है। घाटीगांव थाना इलाके के इस गांव में आदिवासी कॉलोनी में मुरारी आदिवासी अपने परिवार के साथ बेटे का जन्मदिन मना रहा था तो दो सिपाहियों ने आकर उसकी पिटाई कर दी। जब मुरारी की पत्नी ने उसे बचाने की कोशिश की तो पुलिस वालों ने उसकी भी पिटाई कर दी।
पीड़ित परिवार का कहना है कि रात आठ बजे, सिपाही राममूर्ति और आकाश नशे में धुत होकर आए और उसे पीटने लगे। रोकने पर उन्होंने मुरारी के परिवार वालों की भी पिटाई कर दी और गाली गलौज करने लगे। पाटई गांव के सरपचं का कहना है कि दोनों सिपाही नशे में थे।
नईदुनिया के मुताबिक, घटना से नाराज गांव के आदिवासियों ने अगले दिन एसडीओपी ऑफिस का घेराव किया और ज्ञापन दिया। एसपी को भी घटना की सूचना दी गई है, लेकिन पुलिस ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की। हालांकि एसडीओपी ने जांच के बाद पुलिसकर्मियों के दोषी पाए जाने पर कार्रवाई करने की बात कही है।
लोगों का कहना है कि आदिवासियों पर अत्याचार की ये पहली घटना नहीं है। आमतौर पर सरकारी अधिकारी और पुलिस वाले इन लोगों का शोषण करते रहते हैं। सामाजिक स्थिति भी यह है कि आदिवासी अपने घर पर खुशी भी नहीं मना सकते।
यही कारण है कि इस बार आदिवासियों में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ गुस्सा बढने लगा है। राजनीतिक नजरिए से देखें तो इस बार आदिवासी या तो गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और समाजवादी पार्टी के गठबंधन की ओर जाते दिख रहे हैं या फिर कांग्रेस की ओर।
आदिवासियों की प्रताड़ना की भाजपा नेताओं की तरफ से अनदेखी का आलम ये है कि इस घटना और एसडीओपी ऑफिस के घेराव के बाद भी किसी भाजपाई ने पीड़ित परिवार की सुध नहीं ली है।
डबरा के पाटई गांव में हुई ऐसी ही घटना इस बात का प्रमाण है। घाटीगांव थाना इलाके के इस गांव में आदिवासी कॉलोनी में मुरारी आदिवासी अपने परिवार के साथ बेटे का जन्मदिन मना रहा था तो दो सिपाहियों ने आकर उसकी पिटाई कर दी। जब मुरारी की पत्नी ने उसे बचाने की कोशिश की तो पुलिस वालों ने उसकी भी पिटाई कर दी।
पीड़ित परिवार का कहना है कि रात आठ बजे, सिपाही राममूर्ति और आकाश नशे में धुत होकर आए और उसे पीटने लगे। रोकने पर उन्होंने मुरारी के परिवार वालों की भी पिटाई कर दी और गाली गलौज करने लगे। पाटई गांव के सरपचं का कहना है कि दोनों सिपाही नशे में थे।
नईदुनिया के मुताबिक, घटना से नाराज गांव के आदिवासियों ने अगले दिन एसडीओपी ऑफिस का घेराव किया और ज्ञापन दिया। एसपी को भी घटना की सूचना दी गई है, लेकिन पुलिस ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की। हालांकि एसडीओपी ने जांच के बाद पुलिसकर्मियों के दोषी पाए जाने पर कार्रवाई करने की बात कही है।
लोगों का कहना है कि आदिवासियों पर अत्याचार की ये पहली घटना नहीं है। आमतौर पर सरकारी अधिकारी और पुलिस वाले इन लोगों का शोषण करते रहते हैं। सामाजिक स्थिति भी यह है कि आदिवासी अपने घर पर खुशी भी नहीं मना सकते।
यही कारण है कि इस बार आदिवासियों में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ गुस्सा बढने लगा है। राजनीतिक नजरिए से देखें तो इस बार आदिवासी या तो गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और समाजवादी पार्टी के गठबंधन की ओर जाते दिख रहे हैं या फिर कांग्रेस की ओर।
आदिवासियों की प्रताड़ना की भाजपा नेताओं की तरफ से अनदेखी का आलम ये है कि इस घटना और एसडीओपी ऑफिस के घेराव के बाद भी किसी भाजपाई ने पीड़ित परिवार की सुध नहीं ली है।