रफाल विमान सौदे में रक्षा मंत्रालय के अलावा सौदे में पीएमओ के ‘समानांतर बातचीत’ की भूमिका पर मचा हंगामा अभी थमा भी नहीं था कि अंग्रेजी अखबार द हिंदू ने मोदी सरकार पर विमान सौदे से ‘भ्रष्टाचार विरोधी क्लॉज’ हटाने का दावा किया है। ‘द हिंदू’ में वरिष्ठ पत्रकार एन राम ने लिखा है कि भारत सरकार ने डील पर हस्ताक्षर होने के कुछ दिन पहले ही भ्रष्टाचार विरोधी दंड और एस्क्रो एकाउंट (तीसरे पक्ष को दिए गए पैसे का लिखित ब्योरा) के तहत पेमेंट के प्रावधान को हटा दिया।
भारत और फ्रांस के बीच हो रहे 7.87 बिलियन यूरो के राफेल डील में मोदी सरकार ने यह अप्रत्याशित छूट दी। ऐसे में यह मोदी सरकार के उस दावे पर सवाल उठाता है, जिसमें अक्सर भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाने की बात कही जाती रही है। यह कदम उस दावे का भी खंडन है जिसमें यूपीए सरकार के दौरान हुए रक्षा सौदों में घोटालों पर कार्रवाई की बात कही गई थी।
गौरतलब है कि पिछले हफ्ते ही ‘द हिंदू’ ने रफाल रक्षा सौदे में पीएमओ की दखल की बात को उजागर की थी। रिपोर्ट में दावा किया गया था कि रक्षा मंत्रालय ने इस संबंध में आपत्ति भी जाहिर की थी और डील को प्रभावित करने वाला कदम बताया था। अब डील से महज कुछ ही दिन पहले भ्रष्टाचार विरोधी प्रावधान हटाने वाली बात को पीएमओ की दखल से जोड़कर देखा जा रहा है।
23 सितंबर, 2016 को IGA (Inter-governmental agreement) के तहत भारत और फ्रांस के बीच हस्ताक्षर के मुताबिक दसॉ कंपनी रफाल एयरक्राफ्ट की सप्लायर होगी, जबकि MBDA फ्रांस भारतीय एयरफोर्स के लिए हथियारों की सप्लायर करेगी।
‘द हिंदू’ ने दस्तावेजों का हवाला देते हुए दावा किया है कि ‘रक्षा खरीद परिषद’ (DAC) के प्रमुख तत्कालीन रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने सितंबर 2016 में दोनों देशों के सौदे में 8 नए सुधार और तब्दिलियां कीं। सौदे में बदलाव उन्होंने तब किए जब IGA (Inter-governmental agreement) और इससे संबंधित दस्तावेजों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में रक्षा सलाहकार समिति ने 24 अगस्त, 2016 को पारित किया।
गौरतलब है कि इस दौरान सौदे में हुए 8 बदलावों में ही सप्लाई प्रोटोकॉल के तहत भ्रष्टाचार के खिलाफ दंड से संबंधित प्रावधान शामिल थे। लेकिन, बाद में भारत सरकाकर ने इस प्रावधान को हटा लिया।
भारत और फ्रांस के बीच हो रहे 7.87 बिलियन यूरो के राफेल डील में मोदी सरकार ने यह अप्रत्याशित छूट दी। ऐसे में यह मोदी सरकार के उस दावे पर सवाल उठाता है, जिसमें अक्सर भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाने की बात कही जाती रही है। यह कदम उस दावे का भी खंडन है जिसमें यूपीए सरकार के दौरान हुए रक्षा सौदों में घोटालों पर कार्रवाई की बात कही गई थी।
गौरतलब है कि पिछले हफ्ते ही ‘द हिंदू’ ने रफाल रक्षा सौदे में पीएमओ की दखल की बात को उजागर की थी। रिपोर्ट में दावा किया गया था कि रक्षा मंत्रालय ने इस संबंध में आपत्ति भी जाहिर की थी और डील को प्रभावित करने वाला कदम बताया था। अब डील से महज कुछ ही दिन पहले भ्रष्टाचार विरोधी प्रावधान हटाने वाली बात को पीएमओ की दखल से जोड़कर देखा जा रहा है।
23 सितंबर, 2016 को IGA (Inter-governmental agreement) के तहत भारत और फ्रांस के बीच हस्ताक्षर के मुताबिक दसॉ कंपनी रफाल एयरक्राफ्ट की सप्लायर होगी, जबकि MBDA फ्रांस भारतीय एयरफोर्स के लिए हथियारों की सप्लायर करेगी।
‘द हिंदू’ ने दस्तावेजों का हवाला देते हुए दावा किया है कि ‘रक्षा खरीद परिषद’ (DAC) के प्रमुख तत्कालीन रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने सितंबर 2016 में दोनों देशों के सौदे में 8 नए सुधार और तब्दिलियां कीं। सौदे में बदलाव उन्होंने तब किए जब IGA (Inter-governmental agreement) और इससे संबंधित दस्तावेजों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में रक्षा सलाहकार समिति ने 24 अगस्त, 2016 को पारित किया।
गौरतलब है कि इस दौरान सौदे में हुए 8 बदलावों में ही सप्लाई प्रोटोकॉल के तहत भ्रष्टाचार के खिलाफ दंड से संबंधित प्रावधान शामिल थे। लेकिन, बाद में भारत सरकाकर ने इस प्रावधान को हटा लिया।