ऐ मेरे वतन के लोगों जरा आंख में भर लो पानी।
नोटबंदी में मर गए उनकी, जरा याद करो कुर्बानी।
तुम मत भूलो एटीएम पर बूढ़ों ने भी प्राण गंवाए
खाद बीज के लिए किसानों ने बिन पैसे धक्के खाये
जब नवंबर में हुई नोटबंदी, मरते लोग लेकर बीमारी
कोई खाता था स्पेशल मशरूम, किलो तीस हजारी।
कितने दम तोड़े हॉस्पिटल में , पीने को मिला न पानी
नोटबंदी में मर गए उनकी, जरा याद करो कुर्बानी।
जब देश में थी दीवाली, जेबें थी सबकी खाली
दिए नहीं जलते थे दिल, रातें थी काली- काली
अंधेरे में देश पड़ा था, उजाले में अम्बानी अडानी
नोटबंदी में मर गए उनकी, जरा याद करो कुर्बानी।
कोई सिख कोई जाट मराठा, कोई मुस्लिम कोई मद्रासी
नोटबंदी में मरने वाला , हर गरीब था भारत वासी।
गर्भ में दम तोड़ा जो बच्चा, वह बच्चा था हिंदुस्तानी
नोटबंदी में मर गए उनकी, जरा याद करो कुर्बानी।
नोटबंदी का रिजल्ट है आया, सारे धन वापस आये
काला धन फिर कहाँ छिपा है, मोदी जी कुछ न बताए
जिम्मेदार है कौन उसका, जो की थी तुमने मनमानी
नोटबंदी में मर गए उनकी, जरा याद करो कुर्बानी।
नोटबंदी में मर गए उनकी, जरा याद करो कुर्बानी।
तुम मत भूलो एटीएम पर बूढ़ों ने भी प्राण गंवाए
खाद बीज के लिए किसानों ने बिन पैसे धक्के खाये
जब नवंबर में हुई नोटबंदी, मरते लोग लेकर बीमारी
कोई खाता था स्पेशल मशरूम, किलो तीस हजारी।
कितने दम तोड़े हॉस्पिटल में , पीने को मिला न पानी
नोटबंदी में मर गए उनकी, जरा याद करो कुर्बानी।
जब देश में थी दीवाली, जेबें थी सबकी खाली
दिए नहीं जलते थे दिल, रातें थी काली- काली
अंधेरे में देश पड़ा था, उजाले में अम्बानी अडानी
नोटबंदी में मर गए उनकी, जरा याद करो कुर्बानी।
कोई सिख कोई जाट मराठा, कोई मुस्लिम कोई मद्रासी
नोटबंदी में मरने वाला , हर गरीब था भारत वासी।
गर्भ में दम तोड़ा जो बच्चा, वह बच्चा था हिंदुस्तानी
नोटबंदी में मर गए उनकी, जरा याद करो कुर्बानी।
नोटबंदी का रिजल्ट है आया, सारे धन वापस आये
काला धन फिर कहाँ छिपा है, मोदी जी कुछ न बताए
जिम्मेदार है कौन उसका, जो की थी तुमने मनमानी
नोटबंदी में मर गए उनकी, जरा याद करो कुर्बानी।