मध्यप्रदेश के मेडिकल कॉलेज ने लूटे 45 लाख रुपए

Written by Mahendra Narayan Singh Yadav | Published on: August 28, 2018
मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के नियमों में विसंगतियों के कारण मध्यप्रदेश में  एक प्रतिभाशाली छात्र को 45 लाख रुपए चुकाने पड़ गए।



मध्यप्रदेश में निजी मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में दूसरे चरण में एडमीशन के बाद इस्तीफा देने की आखिरी तारीख 20 अगस्त थी, जबकि एम्स मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए ओपन राउंड काउंसिलिंग 21-22 अगस्त थी।

कई उम्मीदवारों के अंक अच्छे थे और उन्हें एम्स के कॉलेजों में दाखिले का पूरा यकीन था, लेकिन वो जोखिम नहीं उठा सकते थे, इस कारण उन्होंने प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में 20 अगस्त को एमबीबीएस कोर्स में एडमीशन ले लिया। बाद में 21 अगस्त को उनका एडमीशन एम्स के कॉलेज में भी हो गया, लेकिन इसके लिए प्रदेश के मेडिकल कॉलेज की सीट छोड़ना उन्हें बहुत महंगा पड़ गया।

ऐसे में सरकारी मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेकर सीट छोड़ने वाले छात्र को 10 लाख रुपए सीट लीविंग बॉन्ड के रूप में देने पड़े, वहीं निजी मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेकर सीट छोड़ने वाले छात्र को तो एमबीबीएस की पूरी फीस यानी 45 लाख रुपए देने पड़ गए।

नईदुनिया की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रवेशित सीट से इस्तीफा देने और एम्स में चयन के बीच सिर्फ 16 घंटे का अंतर था। छात्रों ने सीट से त्यागपत्र देने के लिए अवधि सिर्फ एक दिन बढ़ाने की मांग की थी, पर उनकी सुनवाई नहीं हुई।

विदिशा मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेने वाली एक छात्रा का चयन एम्स नागपुर में हुआ जिस पर उसे सीट छोड़ने पर 10 लाख रुपए देने पड़े। वहीं निजी कॉलेज चिरायु मेडिकल कॉलेज में दाखिल एक छात्र का चयन एम्स पटना के लिए हो गया, तो उसे चिरायु मेडिकल कॉलेज की सीट छोडऩे के लिए 45 लाख रुपए से हाथ धोना पड़ा।

इन छात्रों ने 20 अगस्त के बाद मध्यप्रदेश में प्रवेशित सीट से इस्तीफा दे दिया है। लिहाजा तय नियमों के तहत सरकारी कॉलेज में दाखिला लेने वाले से सीट लीविंग बांड के तौर पर 10 लाख रुपए व निजी कॉलेज में प्रवेश लेने वाले से पूरे कोर्स की फीस (करीब 45 लाख) रुपए लिए गए हैं।

इस बारे में चिकित्सा शिक्षा संचालनालय के अफसरों का कहना है कि कि प्रवेश नियमों में पहले से ही साफ कर दिया गया है सीट छोड़ने पर सीट लीविंग बांड के तहत राशि जमा करना होगी।
 
 

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