किसान आंदोलन की दूसरी सालगिरह: 26 नवंबर को फिर सड़कों पर उतरेंगे किसान, ‘राजभवन मार्च'' का ऐलान

Written by Navnish Kumar | Published on: October 26, 2022
सरदार वीएम सिंह ने भी शुरू किया "हर गांव MSP–हर घर MSP" अभियान


 
संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने एक बार फिर सड़कों पर उतरने का मन बना लिया है। किसान आंदोलन की दूसरी सालगिरह के मौके पर संयुक्त मोर्चा ने 26 नवंबर को राजभवनों के घेराव का ऐलान किया है। इसमें देश की सभी राजधानियों में किसान एकजुट होंगे और राजभवन तक मार्च करेंगे। 40 से ज्यादा संगठनों को मिलाकर बने संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) की समन्वय कमेटी और ड्राफ्टिंग कमेटी की ऑनलाइन बैठक में मंगलवार को इस देशव्यापी राजभवन मार्च की घोषणा की गई। इसकी रणनीति को अंतिम रूप देने के लिए संयुक्त मोर्चा की एक बैठक 14 नवंबर 2022 को दिल्ली में होगी। उधर, सरदार वीएम सिंह ने भी "हर गांव MSP–हर घर MSP" अभियान शुरू किया है।

गौरतलब है कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ "बिल" आने के बाद किसानों ने सरकार के खिलाफ बड़ा आंदोलन किया था। यह किसानों की एकता के मद्देनजर अब तक का ऐतिहासिक आंदोलन रहा, जिसके बाद केंद्र की मोदी सरकार ने तीन कृषि कानूनों को वापस ले लिया था। इसी के चलते संयुक्त मोर्चे की संयोजन समिति एवं ड्राफ्टिंग कमेटी की ऑनलाइन बैठक में किसान आंदोलन की दूसरी वर्षगांठ के अवसर पर सभी राज्यों की राजधानियों में किसानों का राजभवन मार्च करने का निर्णय लिया गया। किसान नेताओं ने बताया कि विभिन्न राज्यों में राजभवन मार्च की तैयारियां जारी है तथा सभी राज्यों में किसान संगठनों की तैयारी बैठकें की जा रही हैं।

वन संरक्षण एक्ट में बदलावों की निंदा 

एसकेएम ने केंद्र सरकार द्वारा वन संरक्षण अधिनियम के नियमों में किए जा रहे बदलावों की निंदा की और आदिवासियों के साथ एकजुटता का भी ऐलान किया। बैठक में फैसला लिया गया कि 15 नवंबर को शहीद बिरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर अपने अधिकारों के लिए लड़ने वाले आदिवासी संगठनों के साथ एकजुटता बढ़ाई जाएगी। ऑनलाइन बैठक में किसान नेता हन्नान मोल्ला, दर्शन पाल, युद्धवीर सिंह, मेधा पाटकर, राजाराम सिंह, अतुल कुमार अंजान, सत्यवान, अशोक धवले, अविक साहा, सुखदेव सिंह, रमिंदर सिंह, विकास शिशिर और डॉ. सुनीलम आदि शामिल रहे।

खास है कि हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों के किसानों ने नवंबर 2020 में दिल्ली की सीमाओं पर केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन किया था। एक साल से भी ज्यादा 13 महीने तक चले आंदोलन के बाद मोदी सरकार को बैकफुट पर आने को मजबूर होना पड़ा था। नवंबर 2021 में मोदी सरकार ने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया था। बावजूद इसके किसानों ने एमएसपी आदि मांगों को लेकर धरना स्थलों को खाली करने से मना कर दिया था 

उन्होंने किसानों के खिलाफ दर्ज मुकदमें वापस लेने, एमएसपी की कानूनी गारंटी और आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिजनों को मुआवजा देने की मांग की थी। केंद्र ने पिछले साल 9 दिसंबर 2021 को किसानों की सभी मांगों पर विचार करने पर सकारात्मक सहमति जताई थी। मुकदमें वापसी आदि की मांग मान लिए जाने के चलते एसकेएम ने एक साल से अधिक समय से चल रहे आंदोलन को स्थगित करने की घोषणा की थी। लेकिन सरकार वादाखिलाफी पर उतर आई लिहाजा किसान फिर से सड़कों पर उतरने को तैयार है।

हालांकि संयुक्त किसान मोर्चा की मांग पर केंद्र सरकार ने 18 जुलाई 2022 को MSP के लिए एक कमेटी बनाई है। लेकिन कमेटी में बनाए गए सदस्यों से इत्तेफाक न रखते हुए SKM ने इसकी बैठकों में शामिल होने से इनकार कर दिया था। एक तरह से MSP कानून लागू करने की मांग अभी तक अधूरी है।

14 नवंबर को बैठक में तय होगी किसान मोर्चा की अगली रणनीति

राजभवन मार्च की तैयारियों को अंतिम रूप देने के लिए 14 नवंबर को दिल्ली में संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े सभी संगठनों की मीटिंग आयोजित की जाएगी, जिसमें राज्यपाल को दिए जाने वाले ज्ञापन के मुद्दों को भी अंतिम रूप दिया जाएगा। संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े सभी किसान संगठनों द्वारा 14 नवंबर की बैठक में संयुक्त किसान मोर्चा के कार्य दिशा निर्देशिका को भी अंतिम रूप दिया जाएगा, जिस पर संयोजन समिति एवं ड्राफ्टिंग कमिटी के सदस्यों के बीच चर्चा जारी है। इस ड्राफ्ट को जनरल बॉडी की बैठक में अंतिम रूप दिया जाएगा।

सरदार वीएम सिंह ने भी शुरू किया "हर गांव MSP–हर घर MSP" अभियान

किसान नेता सरदार VM सिंह ने कहा, "हमने 15 अक्टूबर से 'हर गांव एमएसपी–हर घर एमएसपी' अभियान शुरू किया है। इसके तहत हम देश के 6 लाख से ज्यादा गांवों तक पहुंचेंगे। सभी किसानों के घरों के बाहर MSP से जुड़े नारे लिखवाए जायेंगे। किसानों को इसके लिए गोलबंद करेंगे। ये अभियान 31 दिसंबर 2022 को पूरा होगा। जनवरी–2023 में प्रत्येक गांव से किसानों का एक समूह अपने–अपने DM को ज्ञापन देगा और MSP पर अनिवार्य रूप से फसल खरीद कानून बनाने की मांग की जाएगी। सरकार अगर इस पर कोई सुनवाई नहीं करती है तो 23 मार्च 2023 को देशभर के सभी मांग पत्रों को ट्रैक्टर ट्रालियों में भरकर दिल्ली लाकर PM से मिलने का प्रयास किया जाएगा।

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