नई दिल्ली। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में हॉस्टल फीस वृद्धि की वापसी की मांग को लेकर छात्र डटे हुए हैं। स्टूडेंट्स के साथ जेएनयू शिक्षकों के अलावा विश्वभारती विश्वविद्यालय के छात्र और विभिन्न छात्र संगठन भी समर्थन में आ गए हैं। सोमवार को जेएनयू के दीक्षांत समारोह के दिन कैंपस के बाहर छात्रों के साथ पुलिसकर्मियों द्वारा की गई कार्रवाई पर अब बड़े प्रोटेस्ट की तैयारी है। जेएनयू छात्र 14 नवंबर को नेशनल प्रोटेस्ट डे के तौर पर मनाने जा रहे हैं। छात्रों की मांग को लेकर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, राजद नेता तेजस्वी यादव ने भी ट्वीट कर सरकार के कदम की निंदा की है।
आईसा (ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन) ने देश भर के छात्रों से अपील की है कि वो 14 नवंबर को नेशनल प्रोटेस्ट डे के तौर पर मनाएं। आइसा के राष्ट्रीय सचिव संदीप सौरव ने कहा है कि आईसा न्यू हॉस्टल मैनुअल के खिलाफ लामबंद आंदोलनकारी छात्रों के साथ है। 14 फरवरी को आइसा देश भर के कैंपस में नेशनल एजुकेशन पॉलिसी और जेएनयू में पुलिसिया दमन के खिलाफ नेशनल प्रोटेस्ट मनाएगा। जेएनयू में 999 पर्सेंट तक फीस हाइक के बाद वंचित वर्ग के छात्रों के सामने बड़ी मुसीबत खड़ी होने वाली है।
वहीं विश्व भारती विश्वविद्यालय के छात्रों ने भी जेएनयू छात्रों को समर्थन देने की बात कही है। विश्वभारती के छात्रों ने जेएनयू के प्रदर्शनकारी छात्रों पर पुलिस और अर्धसैनिक बलों द्वारा कथित क्रूर हमले की निंदा की है। हम जेएनयू में प्रदर्शनकारी छात्रों को सलाम करते हैं और हमें ऐसा लगता है कि यह संघर्ष शिक्षा के व्यावसायीकरण के खिलाफ पूरे देश में लोकतांत्रिक आवाज के दमन के खिलाफ बड़े आंदोलन का एक हिस्सा है।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने भी छात्रों के आंदोलन में समर्थन दिया है। जेएनयू शिक्षक संघ (JNUTA) ने जेएनयू के छात्रों पर पुलिस बर्बरता की निंदा की है। संगठन ने जेएनयू के कुलपति को इस्तीफा देने की मांग की है।
जेएनयू शिक्षक संघ 11 नवम्बर को मीटिंग बुलाकर सर्वसम्मति से कई प्रस्ताव भी पारित किए हैं। शिक्षक संघ का कहना है कि शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे जेएनयू छात्रों पर पुलिस की बर्बरता में कई छात्र गंभीर रूप से घायल हुए। शिक्षक संघ ये मांग करता है कि कुलपति जिनके कहने पर यह कार्यवाई हुई, तुरंत अपने पद से इस्तीफा दें।
जेएनयूटीए ने कहा कि यह विश्वविद्यालय का फर्ज है कि छात्रों को मुनासिब मूल्यों पर आवासीय और मेस सुविधाएं मुहैया करवाए। शिक्षक संघ को हॉस्टल को सेल्फ फाइनेंस आधार पर चलाने का नया हॉस्टल मैन्युअल स्वीकार नहीं है। सभा मे कई शिक्षको ने अपने विचार प्रकट करते हुए होस्टल फी में बढ़ोतरी के दुष्प्रभाव की तरफ ध्यान आकृष्ट किया। उन्होंने कहा कि जेएनयू में वंचित तबकों से आने वाले अनेक छात्र छात्राएं पढ़ पाते हैं क्योंकि यहां की फीस बहुत कम है।
शिक्षकों ने वर्तमान प्रशासन द्वारा समावेशी सार्वजनिक उच्च शिक्षा के ढांचे को ढहाए जाने की पुरजोर निंदा की। शिक्षक संघ इस नीति के विरोध में अपने संघर्ष को और मजबूती से आगे बढ़ाने का निर्णय लेते हुए जेएनयू छात्र संघ के वर्तमान संघर्ष को अपना समर्थन दिया है।
आईसा (ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन) ने देश भर के छात्रों से अपील की है कि वो 14 नवंबर को नेशनल प्रोटेस्ट डे के तौर पर मनाएं। आइसा के राष्ट्रीय सचिव संदीप सौरव ने कहा है कि आईसा न्यू हॉस्टल मैनुअल के खिलाफ लामबंद आंदोलनकारी छात्रों के साथ है। 14 फरवरी को आइसा देश भर के कैंपस में नेशनल एजुकेशन पॉलिसी और जेएनयू में पुलिसिया दमन के खिलाफ नेशनल प्रोटेस्ट मनाएगा। जेएनयू में 999 पर्सेंट तक फीस हाइक के बाद वंचित वर्ग के छात्रों के सामने बड़ी मुसीबत खड़ी होने वाली है।
वहीं विश्व भारती विश्वविद्यालय के छात्रों ने भी जेएनयू छात्रों को समर्थन देने की बात कही है। विश्वभारती के छात्रों ने जेएनयू के प्रदर्शनकारी छात्रों पर पुलिस और अर्धसैनिक बलों द्वारा कथित क्रूर हमले की निंदा की है। हम जेएनयू में प्रदर्शनकारी छात्रों को सलाम करते हैं और हमें ऐसा लगता है कि यह संघर्ष शिक्षा के व्यावसायीकरण के खिलाफ पूरे देश में लोकतांत्रिक आवाज के दमन के खिलाफ बड़े आंदोलन का एक हिस्सा है।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने भी छात्रों के आंदोलन में समर्थन दिया है। जेएनयू शिक्षक संघ (JNUTA) ने जेएनयू के छात्रों पर पुलिस बर्बरता की निंदा की है। संगठन ने जेएनयू के कुलपति को इस्तीफा देने की मांग की है।
जेएनयू शिक्षक संघ 11 नवम्बर को मीटिंग बुलाकर सर्वसम्मति से कई प्रस्ताव भी पारित किए हैं। शिक्षक संघ का कहना है कि शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे जेएनयू छात्रों पर पुलिस की बर्बरता में कई छात्र गंभीर रूप से घायल हुए। शिक्षक संघ ये मांग करता है कि कुलपति जिनके कहने पर यह कार्यवाई हुई, तुरंत अपने पद से इस्तीफा दें।
जेएनयूटीए ने कहा कि यह विश्वविद्यालय का फर्ज है कि छात्रों को मुनासिब मूल्यों पर आवासीय और मेस सुविधाएं मुहैया करवाए। शिक्षक संघ को हॉस्टल को सेल्फ फाइनेंस आधार पर चलाने का नया हॉस्टल मैन्युअल स्वीकार नहीं है। सभा मे कई शिक्षको ने अपने विचार प्रकट करते हुए होस्टल फी में बढ़ोतरी के दुष्प्रभाव की तरफ ध्यान आकृष्ट किया। उन्होंने कहा कि जेएनयू में वंचित तबकों से आने वाले अनेक छात्र छात्राएं पढ़ पाते हैं क्योंकि यहां की फीस बहुत कम है।
शिक्षकों ने वर्तमान प्रशासन द्वारा समावेशी सार्वजनिक उच्च शिक्षा के ढांचे को ढहाए जाने की पुरजोर निंदा की। शिक्षक संघ इस नीति के विरोध में अपने संघर्ष को और मजबूती से आगे बढ़ाने का निर्णय लेते हुए जेएनयू छात्र संघ के वर्तमान संघर्ष को अपना समर्थन दिया है।