मोदीराज में मानव विकास सूचकांक में और पिछड़ा भारत

Published on: March 22, 2017
नई दिल्ली। देश में मोदी सरकार बनने के बाद सबका साथ सबका विकास की बात कही गई। इसे खूब प्रचारित कर कई राज्यों के चुनाव भी जीते गए। मोदी सरकार ने कई मंचों पर सबका साथ सबका विकास की बात कहकर वाहवाही लेने की कोशिश भी की। लेकिन संयुक्त राष्ट्र संघ का मानव विकास सूचकांक अब इसकी पोल खोल रहा है। मानव विकास सूचकांक की इस साल की रैंक में भारत पिछले साल की तुलना में एक पायदान नीचे चला गया है। यहां तक कि भारत सार्क देशों में श्रीलंका और मालदीव से भी पीछे है।

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मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) द्वारा जारी मानव विकास रिपोर्ट, 2016 में 188 देशों की सूची में भारत 131वें स्थान पर हैं। यह रैंकिंग 2015 के लिये है। ताजा रिपोर्ट के अनुसार भारत 130वें स्थान से 131वें सथान पर आ गया है। रिपोर्ट के साथ जारी एक नोट में कहा गया है, भारत का एचडीआई मूल्य 2015 में 0.624 रहा और 188 देशों एवं क्षेत्रों की सूची में 131वें स्थान रहा।
 
भारत का मानव विकास सूचकांक वैल्यू कांगो, नामीबिया और पाकिस्तान की तरह मध्यम मानव विकास की श्रेणी में आता है जबकि भारत के साथ सार्क देशों में शामिल और कई चीजों में भारत से काफी पीछे श्रीलंका और मालदीव इस मामले में भारत से काफी आगे है। जहां मानव विकास सूचकांक में भारत 131वें पायदान पर है तो वहीं श्रीलंका 73वें और मालदीव 105वें पायदान पर भारत से काफी ऊपर हैं। विश्व की टॉप 3 मानव विकास सूचकांक के देश नार्वे, ऑस्ट्रेलिया और स्विटजरलैंड हैं।
 
आपको बता दें कि मानव विकास सूचकांक (HDI) एक सूचकांक है, जिसका उपयोग देशों को "मानव विकास" के आधार पर आंकने के लिए किया जाता है। इस सूचकांक से इस बात का पता चलता है कि कोई देश विकसित है, विकासशील है, अथवा अविकसित है। एचडीआई देश में मूल मानव विकास उपलब्धियों का औसत मापक है। यह मानव विकास के तीन मूल आयामों- लंबा और स्वस्थ्य जीवन, ज्ञान तक पहुंच और उपयुक्त जीवन स्तर में दीर्घकालीन प्रगति के आकलन को मापता है।
 
इस रिपोर्ट में कहा गया कि पिछले 25 सालों में मानव विकास में कई उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल हुई हैं, लेकिन अब भी तमाम पिछड़े समूहों पीछे छूटे हैं। सिस्टम में मौजूद बाधाओं को हटाया जाना चाहिए। हरेक व्यक्ति को अनवरत मानव विकास का लाभ पहुंचाने के लिए हमें बहिष्कृत समूहों पर और ज़्यादा ध्यान देना चाहिए और सक्रिय कदम उठाकर बाधाओं को मिटाना चाहिए।
 
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि करीब प्रत्येक देश में कुछ कमजोर व्यक्ति होते हैं। विकसित देशों में भी 30 करोड़ गरीब आबादी रहती है, जिनमें एक तिहाई बच्चे हैं। मानव विकास सूचकांक के मुताबिक, 1990 से 2015 के बीच विश्व में औसत मानव विकास स्तर में उल्लेखनीय प्रगति आयी है, फिर भी एक तिहाई आबादी निचले मानव विकास स्तर पर रहती है।
 
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की प्रमुख हेलन क्लार्क ने एक न्यूज ब्रीफिंग में कहा कि भेदभाव वाले सामाजिक मापदंड एवं कानून को मिटाने और राजनीतिक भागीदारी की असमानता समस्या का हल करने से हम गरीबी का उन्मूलन कर सकते हैं। इससे सब लोग शांतिपूर्ण व न्यायपूर्ण अनवरत विकास का उपभोग कर सकेंगे। गौरतलब है कि 1990 से अब तक संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यालय हर साल वैश्विक मानव विकास रिपोर्ट जारी करता है और मानव विकास में मौजूद प्रमुख मुद्दों, प्रवृत्ति और नीतियों का स्वतंत्र विश्लेषण करता है।

Courtesy: National Dastak
 

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