ग्लोबल हंगर इंडेक्स-2023 में भारत सबसे अधिक चाइल्ड वेस्टिंग दर के साथ 111वें स्थान पर आ गया है। पिछले साल के मुकाबले भारत इस सूचकांक में चार स्थान फिसल गया है। भारत सरकार ने रिपोर्ट को "त्रुटिपूर्ण" और "गलत" बताते हुए खारिज कर दिया।
नई दिल्ली. गुरुवार को जारी ग्लोबल हंगर इंडेक्स (Global Hunger Index-GHI) 2023 में भारत को 125 देशों में से 111वें स्थान पर रखा गया है, जिसमें देश में सबसे अधिक 18.7 फीसदी बाल कुपोषण दर दर्ज की गई है। हालांकि केंद्र सरकार ने इस रिपोर्ट को गलत बताते हुए खारिज कर दिया. इस सूचकांक में 28.7 अंक के साथ भारत में भूख का स्तर ‘गंभीर’ बताया गया है।
केंद्र के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने कहा कि ग्लोबल हंगर इंडेक्स ‘गंभीर कार्यप्रणाली संबंधी मुद्दों से ग्रस्त है और दुर्भावनापूर्ण इरादे को दर्शाता है।’ यह रिपोर्ट आयरिश एनजीओ कंसर्न वर्ल्डवाइड और जर्मन एनजीओ वेल्ट हंगर हिल्फे द्वारा तैयार और जारी की गई है।
वैश्विक भूख सूचकांक-2023 में भारत की ‘चाइल्ड वेस्टिंग’ की दर सबसे अधिक 18.7 प्रतिशत है जो अतिकुपोषण की ओर इशारा करती है। ‘चाइल्ड वेस्टिंग’ का आशय बच्चों का उनकी लंबाई के मुकाबले दुबला-पतला और कम वजन का होने से है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने कहा कि हंगर इंडेक्स में गलत तरीके से भूख का आकलन किया गया है। चार में से तीन संकेतक बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़े हैं और पूरी आबादी का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकते। चौथा सबसे अहम संकेतक ‘आबादी में कुपोषितों का अनुपात महज 3000 नमूनों के आधार पर किए गए ओपिनियन पोल पर आधारित है।’
हंगर इंडेक्स पर आधारित रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘भारत में बच्चों के कुपोषण की दर दुनिया में सबसे अधिक 18.7 फीसदी है, जो तीव्र कुपोषण को दर्शाती है। कुपोषण को बच्चों की लंबाई के सापेक्ष उनके वजन के आधार पर मापा जाता है। जीएचआई रिपोर्ट ने सुझाव दिया कि भारत में अल्पपोषण की दर 16.6 फीसदी और पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर 3.1 फीसदी है। इस सूचकांक में भारत के पड़ोसी देशों का प्रदर्शन उससे बेहतर रहा है. बांग्लादेश 81वें, नेपाल 69वें और श्रीलंका 60वें के बाद पाकिस्तान 102वें स्थान पर है।
ग्लोबल हंगर इंडेक्स वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर भूख को व्यापक रूप से मापने और ट्रैक करने का एक उपकरण है। सहारा के दक्षिण अफ्रीका और दक्षिण एशिया और को सबसे ज्यादा भूख के स्तर वाले विश्व के क्षेत्रों के रूप में बताया गया है। दोनों का GHI स्कोर 27-27 है. 2022 में भारत 121 देशों में से 107वें स्थान पर था।
GHI रिपोर्ट कैसे बनती है?
ग्लोबल हंगर इंडेक्स के हर साल ताज़ा आंकड़े आते हैं। दुनिया भर में भुखमरी से संबंधित चल रहे अभियानों की उपलब्धि और नाकामी का आंकलन किया जाता है। इसकी रिपोर्ट तैयार करती हैं दो संस्थाएं - आयरलैंड की 'कंसर्न वर्ल्ड वाइड' और जर्मनी की 'वेल्ट हंगर हाईलाइफ़'। किसी भी आंकलन के लिए एक नंबर लगता है। इस रिपोर्ट के संबंध में जो नंबर होता है, वो GHI स्कोर अर्थात, ग्लोबल हंगर इंडेक्स स्कोर होता है।
GHI स्कोर चार पैमानों पर तय होता है। पहला ‘अंडरनरिशमेंट’ यानी एक व्यक्ति को दिनभर के लिए जरूरी कैलोरी नहीं मिलना। दूसरा ‘वेस्टिंग’, तीसरा 'स्टंटिंग' और चौथा पांच साल के कम उम्र के बच्चों में मृत्यु दर (बाल मृत्युदर)।
इसमें 0 से 100 के बीच स्कोर दिया जाता है. GHI ज़्यादा मतलब उस देश में भुखमरी की समस्या ज़्यादा है। उसी तरह, किसी देश के GHI स्कोर कम होने का मतलब है कि वहां की स्थिति बेहतर है। मसलन, इस साल भारत का स्कोर है 28.7, जो रिपोर्ट तैयार करने वालों के मुताबिक़ गंभीर स्थिति है।
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नई दिल्ली. गुरुवार को जारी ग्लोबल हंगर इंडेक्स (Global Hunger Index-GHI) 2023 में भारत को 125 देशों में से 111वें स्थान पर रखा गया है, जिसमें देश में सबसे अधिक 18.7 फीसदी बाल कुपोषण दर दर्ज की गई है। हालांकि केंद्र सरकार ने इस रिपोर्ट को गलत बताते हुए खारिज कर दिया. इस सूचकांक में 28.7 अंक के साथ भारत में भूख का स्तर ‘गंभीर’ बताया गया है।
केंद्र के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने कहा कि ग्लोबल हंगर इंडेक्स ‘गंभीर कार्यप्रणाली संबंधी मुद्दों से ग्रस्त है और दुर्भावनापूर्ण इरादे को दर्शाता है।’ यह रिपोर्ट आयरिश एनजीओ कंसर्न वर्ल्डवाइड और जर्मन एनजीओ वेल्ट हंगर हिल्फे द्वारा तैयार और जारी की गई है।
वैश्विक भूख सूचकांक-2023 में भारत की ‘चाइल्ड वेस्टिंग’ की दर सबसे अधिक 18.7 प्रतिशत है जो अतिकुपोषण की ओर इशारा करती है। ‘चाइल्ड वेस्टिंग’ का आशय बच्चों का उनकी लंबाई के मुकाबले दुबला-पतला और कम वजन का होने से है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने कहा कि हंगर इंडेक्स में गलत तरीके से भूख का आकलन किया गया है। चार में से तीन संकेतक बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़े हैं और पूरी आबादी का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकते। चौथा सबसे अहम संकेतक ‘आबादी में कुपोषितों का अनुपात महज 3000 नमूनों के आधार पर किए गए ओपिनियन पोल पर आधारित है।’
हंगर इंडेक्स पर आधारित रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘भारत में बच्चों के कुपोषण की दर दुनिया में सबसे अधिक 18.7 फीसदी है, जो तीव्र कुपोषण को दर्शाती है। कुपोषण को बच्चों की लंबाई के सापेक्ष उनके वजन के आधार पर मापा जाता है। जीएचआई रिपोर्ट ने सुझाव दिया कि भारत में अल्पपोषण की दर 16.6 फीसदी और पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर 3.1 फीसदी है। इस सूचकांक में भारत के पड़ोसी देशों का प्रदर्शन उससे बेहतर रहा है. बांग्लादेश 81वें, नेपाल 69वें और श्रीलंका 60वें के बाद पाकिस्तान 102वें स्थान पर है।
ग्लोबल हंगर इंडेक्स वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर भूख को व्यापक रूप से मापने और ट्रैक करने का एक उपकरण है। सहारा के दक्षिण अफ्रीका और दक्षिण एशिया और को सबसे ज्यादा भूख के स्तर वाले विश्व के क्षेत्रों के रूप में बताया गया है। दोनों का GHI स्कोर 27-27 है. 2022 में भारत 121 देशों में से 107वें स्थान पर था।
GHI रिपोर्ट कैसे बनती है?
ग्लोबल हंगर इंडेक्स के हर साल ताज़ा आंकड़े आते हैं। दुनिया भर में भुखमरी से संबंधित चल रहे अभियानों की उपलब्धि और नाकामी का आंकलन किया जाता है। इसकी रिपोर्ट तैयार करती हैं दो संस्थाएं - आयरलैंड की 'कंसर्न वर्ल्ड वाइड' और जर्मनी की 'वेल्ट हंगर हाईलाइफ़'। किसी भी आंकलन के लिए एक नंबर लगता है। इस रिपोर्ट के संबंध में जो नंबर होता है, वो GHI स्कोर अर्थात, ग्लोबल हंगर इंडेक्स स्कोर होता है।
GHI स्कोर चार पैमानों पर तय होता है। पहला ‘अंडरनरिशमेंट’ यानी एक व्यक्ति को दिनभर के लिए जरूरी कैलोरी नहीं मिलना। दूसरा ‘वेस्टिंग’, तीसरा 'स्टंटिंग' और चौथा पांच साल के कम उम्र के बच्चों में मृत्यु दर (बाल मृत्युदर)।
इसमें 0 से 100 के बीच स्कोर दिया जाता है. GHI ज़्यादा मतलब उस देश में भुखमरी की समस्या ज़्यादा है। उसी तरह, किसी देश के GHI स्कोर कम होने का मतलब है कि वहां की स्थिति बेहतर है। मसलन, इस साल भारत का स्कोर है 28.7, जो रिपोर्ट तैयार करने वालों के मुताबिक़ गंभीर स्थिति है।
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