मीडिया कैसे भाजपा और मोदी को संकट में डालने वाली खबरें छुपाती है उसका प्रमाण देखिए।
राफेल डील में मोदी सरकार के सभी मंत्री बचाव में यह कहते रहे हैं कि राफेल डील में अनिल अंबानी की 12 दिन पुरानी कंपनी को राफेल का कांट्रेक्ट दासो की पसंद और उसके अधिकार से हुआ है , सरकार का इसमें कोई लेना देना नहीं।
अब राफेल बनाने वाली कंपनी "दासो" ने खुद स्पष्ट कर दिया है कि "रिलायंस डिफेन्स को कांट्रेक्ट देना डील की एक कंडीशन थी"
दासो के कहने का अर्थ यह है कि भारत सरकार ने राफेल डील में यह कंडीशन रखी कि भारत में यह काँट्रेक्ट "अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेन्स को देनै की कंडीशन रखी थी"।
यह महत्वपुर्ण खबर "इंडियन एक्सप्रेस" जैसे निडर समाचारपत्र ने आठवें पन्ने पर छापा है। शेष इलाक्ट्रानिक और प्रिंट मीडिया ने यह खबर घोंट लिया।
अभी तक विपक्षी पार्टियों को धमकाते रहे अनिल अंबानी भी चुप हो गये हैं।
यह सरकार और इस सरकार के प्रधानमंत्री पूरी तरह भ्रष्ट हैं अब यह स्पष्ट है , सवाल यही है कि हर रक्षा डील अंबानी अडाणी के ही इर्द गिर्द क्युँ है ?
मोदी जी को बताना चाहिए कि इन लोगों से इनके क्या अंतरंग संबन्ध है ?
और तो और स्पष्ट दिख रहे घोटाले में देश की जनता चुप है।
भक्ति देश हित पर भारी है।
राफेल डील में मोदी सरकार के सभी मंत्री बचाव में यह कहते रहे हैं कि राफेल डील में अनिल अंबानी की 12 दिन पुरानी कंपनी को राफेल का कांट्रेक्ट दासो की पसंद और उसके अधिकार से हुआ है , सरकार का इसमें कोई लेना देना नहीं।
अब राफेल बनाने वाली कंपनी "दासो" ने खुद स्पष्ट कर दिया है कि "रिलायंस डिफेन्स को कांट्रेक्ट देना डील की एक कंडीशन थी"
दासो के कहने का अर्थ यह है कि भारत सरकार ने राफेल डील में यह कंडीशन रखी कि भारत में यह काँट्रेक्ट "अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेन्स को देनै की कंडीशन रखी थी"।
यह महत्वपुर्ण खबर "इंडियन एक्सप्रेस" जैसे निडर समाचारपत्र ने आठवें पन्ने पर छापा है। शेष इलाक्ट्रानिक और प्रिंट मीडिया ने यह खबर घोंट लिया।
अभी तक विपक्षी पार्टियों को धमकाते रहे अनिल अंबानी भी चुप हो गये हैं।
यह सरकार और इस सरकार के प्रधानमंत्री पूरी तरह भ्रष्ट हैं अब यह स्पष्ट है , सवाल यही है कि हर रक्षा डील अंबानी अडाणी के ही इर्द गिर्द क्युँ है ?
मोदी जी को बताना चाहिए कि इन लोगों से इनके क्या अंतरंग संबन्ध है ?
और तो और स्पष्ट दिख रहे घोटाले में देश की जनता चुप है।
भक्ति देश हित पर भारी है।