'द हिंदू' की रिपोर्ट का दावाः यूपीए के मुकाबले 19 अरब रुपये महंगी पड़ी मोदी सरकार की राफेल डील

Written by Sabrangindia Staff | Published on: March 8, 2019
राफेल विमान सौदे में भ्रष्टाचार के मामले में केंद्र की मोदी सरकार पूरी तरह से घिर चुकी है. बुधवार को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि राफेल लड़ाकू विमान सौदे से संबंधित दस्तावेज रक्षा मंत्रालय से चोरी हो गए हैं. वहीं इस सौदे को लेकर एक नई रिपोर्ट भी सामने आई है. द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक फ्रांसीसी कंपनी से डील करने वाले भारतीय निगोसिएशन टीम ने आखिरी रिपोर्ट में यह बतया था कि  एक समानांतर सौदेबाजी से भारत का पक्ष कमजोर हुआ.



रिपोर्ट में वरिष्‍ठ पत्रकार एन. राम ने द हिन्‍दू में लिखा है कि भारतीय टीम (Indian Negotiating Team) ने सौदे की बैंक गारंटी का प्रभाव 574 मिलियन यूरो (45,75,39,41,220 रुपये) आंका था। बैंक गारंटी न मिलने से 36 राफेल विमानों का सौदा संयुक्‍त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के समय शुरू हुई सौदेबाजी की अनुमानित कीमत से 246.11 मिलियन यूरो (19,61,76,00,128 रुपये) महंगा हो गया. 21 जुलाई, 2016 को भारत की ओर से  मोल-भाव करने वाली टीम ने रक्षा मंत्रालय को अंतिम रिपोर्ट सौंपी थी.

एन. राम ने द हिन्‍दू में “Report of the Indian Negotiating Team on Procurement of 36 Rafale Aircraft for Indian Air Force” के नाम से रिपोर्ट प्रकाशित की है. जिसमें लिखा गया है कि बैंक गारंटी के प्रभाव को हटाकर 7878.98 मिलियन यूरो की अंतिम पेशकश (10.55 मिलियन यूरो की अतिरिक्‍त अनिवार्य हथियार सप्‍लाई के अलावा) मूल MMRCA (मीडियम मल्‍टी रोल कॉम्‍बैट एयरक्राफ्ट) प्रस्‍ताव की लागत (8205.87 मिलियन यूरो) से 327.89 मिलियन यूरो कम है. रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया है कि नए सौदे और मूल MMRCA प्रस्‍ताव की कीमतों की तुलना करते समय बैंक गारंटी की लोडिंग के प्रभाव को ध्‍यान में क्‍यों नहीं रखा गया.


रिपोर्ट के मुताबिक, Indian Negotiating Team ने अपनी रिपोर्ट में यह बताया है कि उसने बैंक गारंटी की लागत 574 मिलियन यूरो कैसे आंकी. इसकी गणना  एसबीआई द्वारा 2 मार्च 2016 की गई जानकारी के आधार पर, 2 प्रतिशत के वार्षिक बैंक कमीशन (एक भारतीय बैंक के कंफर्मेशन चार्जेस शामिल) पर की गई. बैंक गारंटी का कुल व्‍यापारिक प्रभाव कॉन्‍ट्रैक्‍ट वैल्‍यू का 7.28 प्रतिशत निकलकर आया. द हिन्‍दू के मुताबिक, इसी रिपोर्ट के पैरा 21, 22 और 23 में बैंक गारंटी को लेकर विस्‍तार से जानकारी दी गई है.

Indian Negotiating Team की रिपोर्ट बताती है कि भारत की तरफ से मध्‍यस्‍थों ने फ्रांस पर बैंक गारंटी देने का दबाव बनाया था. दिसंबर 2015 में विधि और न्याय मंत्रालय ने लिखित में सलाह दी थी कि सौदे में सप्‍लाई और सेवाओं की डिलीवरी के बिना भारी भुगतान के मद्देनजर कानूनी सुरक्षा के लिए फ्रांस से सरकारी या संप्रभु गारंटी जरूर ली जानी चाहिए. फ्रांस ने सौदेबाजी के दौरान बैंक गारंटी देने से साफ इनकार कर दिया, जबकि दसॉल्‍ट एविएशन के मूल MMRCA प्रस्‍ताव में यह बात उल्‍लेखित है.

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