PM मोदी को पत्र: गंगा की अविरल धारा के लिए कितने बेटों को जान गंवानी पड़ेगी?

Written by Sabrangindia Staff | Published on: February 1, 2019
गंगा के प्रति हिंदु धर्म की अटूट आस्था है और हिंदुत्व बीजेपी का एजेंडा है, लेकिन कुछ संत गंगा की निर्मलता बरकरार लगाने के लिए सरकार से गुहार लगा रहे हैं और सरकार मौन है। प्रोफेसर जीडी अग्रवाल 111 दिनों तक अनशन कर मौत को गले लगा चुके हैं लेकिन खुद को मां गंगा का सुपुत्र कहने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तंद्रा नहीं टूटी। अब नागरिक कार्यकर्ताओं और द नेशनल अलायंस ऑफ़ पीपुल्स मूवमेंट (NAPM) ने पीएम नरेंद्र मोदी, नितिन गडकरी, मंत्री, जल संसाधन और गंगा कायाकल्प मंत्रालय, भारत सरकार और त्रिवेंद्र रावत, मुख्यमंत्री, उत्तराखंड, को एक पत्र लिखकर पूछा है कि आखिर कितने बेटों को अपनी जान गंवानी पड़ेगी। 

इस पत्र में लिखा है कि गंगा के पानी को मौजूदा जल विद्युत परियोजनाओं की टर्बाइनों द्वारा नष्ट किया जा रहा है जिससे इसका आध्यात्मिक महत्व भी कम हो रहा है। विष्णु प्रयाग, श्रीनगर, मनेरी, टिहरी और कोटेश्वर में बनी जल परियोजनाओँ से यह पानी चार्ज हो रहा है जिससे इसके लाभ भी खत्म हो रहे हैं।  
 
पत्र में लिखा है, “पवित्र गंगा को बचाने के लिए उसके बेटे खड़े हो गए हैं। सरकारों का ध्यान गंगा की तरफ खींचने के लिए स्वामी सानंद 111 दिन अनशन कर अपनी जान दे चुके हैं। इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए संत गोपालदास 146 दिन अनशन करने के बाद अचानक गायब हो गए। वर्तमान में मातृ सदन के 26 वर्षीय ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद 24 अक्टूवर 2018 से अनशनरत हैं। लेकिन अभी तक सरकार कोई कदम नहीं उठा रही है।  

संगठन और कार्यकर्ताओं द्वारा मांग की गई है कि सरकार तीन बांधों पर काम तुरंत बंद करे। वर्तमान में तपोवन-विष्णुगाड, विष्णुगाड-पीपलकोटी और सिंगोली-भटवारी नाम के तीन बांध निर्माणाधीन हैं। इन बांधों से पवित्र नदी के अस्तित्व को भारी खतरा पैदा हो रहा है। पहले से निर्मित बांधों से ही गंगा को भारी नुकसान है अब इन बांधों से नुकसान और बढ़ जाएगा। यह किसी टाइम बम से कम नहीं है।  

इस पत्र में आगे कहा गया है कि 06 दिसंबर, 2016 के d सीपीसीबी आदेश को लागू किया जाए, जिसमें विड्रा लेटर नं. PCI-SSI/direction-DM/SSP, Haridwar/2016 के मुताबिक गंगा के दोनों तरफ 5 किमी के भीतर खनन और स्टोन क्रेशरों को प्रतिबंधित किया जाए। पत्र में कहा गया है कि बद्रीनाथ, केदारनाथ और गंगोत्री के पवित्र तीर्थ स्थलों को विष्णु प्रयाग, श्रीनगर, मनेरी, टिहरी और कोटेश्वर में मौजूदा जल विद्युत परियोजनाओं के टर्बाइनों द्वारा नष्ट किया जा रहा है, इन पर रोक लगाई जाए।   

पत्र में जापानी वैज्ञानिक मासारू इमोटो के शोध का जिक्र किया गया है जिसमें कहा गया है कि मुक्त बहने वाले पानी के क्रिस्टल सुंदर होते हैं जबकि चार्ज किए पानी में ये बदरंग हो जाते हैं। स्विस संगठन एक्वा वाइवा के शोध से पता चला है कि टिहरी में पानी का बहाव आध्यात्मिक रूप से बहता है और इसमें एक प्रभामंडल होता है जबकि बहाव रोकने से इस पर असर पड़ता है।

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