गंगा बचाने के लिए 103 दिन से अनशन पर स्वामी आत्मबोधानंद, सरकार की चुप्पी के खिलाफ प्रदर्शन

Written by Sabrangindia Staff | Published on: February 2, 2019
नई दिल्ली. जीवनदायनी गंगा की निर्मलता और अविरलता को लेकर मातृ सदन हरिद्वार के 26 वर्षीय युवा संत स्वामी आत्मबोधानंद के अनशन को आज 103 दिन हो चुके हैं लेकिन सरकार की चुप्पी पर सभी हैरान हैं। स्वामी आत्मबोधानंद के अनशन पर सरकार की चुप्पी से देशभर के सामाजिक कार्यकर्ताओं में प्रतिरोध बढ़ता जा रहा है। सरकार का ध्यान खींचने के लिए 'फ्री गंगा' के कार्यकर्ताओं ने दिल्ली के जंतर मंतर पर भी सांकेतिक विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है। 


जंतर मंतर पर वरिष्ठ वयोवृद्ध सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश, राजस्थान व हिमाचल से पहुंचे समाजसेवियों सहित देश भर से आये लोगों ने समर्थन दिया। रामबीर आर्य, केसी पाण्डेय, बी के झा, डॉ. विजय वर्मा, निर्मला पाण्डेय, बन्दना पाण्डेय, वरिष्ठ अधिवक्ता पीएस शारदा, मेजर हिमांशु, चन्द्र विकास, गौरव, अभय कुमार झा, विपुल सिंह के साथ- साथ मजदूरों के बीच दशकों से काम कर रहे समाजवादी सुभाष लोमटे ने भी गंगा के मुद्दे चल रहे युवा संत की मांगों का दिल्ली के जंतर मंतर आकर समर्थन किया। उत्तराखंड से पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष मातृसदन हरिद्वार से कुम्भ जाकर समर्थन देने के बाद आज दिल्ली के जंतर मंतर पर भी समर्थन देने पहुंचे।   

कुंभ में मुक्ति मार्ग स्थित मातृ सदन के कुम्भ शिविर में जल पुरुष राजेन्द्र सिंह ने गंगा सद्भावना यात्रा की पूरी टीम के साथ आकर समर्थन दिया। राजेंद्र सिंह पिछले कई महीनों से गंगा किनारे की यात्रा पर रहे हैं। हरिद्वार में हर की पौड़ी पर वहां के जन संगठनों और युवाओं ने 3 फरवरी को धरने का निर्णय किया है। हिमाचल में धर्मशाला में भी वहां के जन संगठन सड़क पर उतर रहे हैं। पश्चिम बंगाल के तापस दास ने बताया बराकपुर में गंगा के किनारे नदी बचाओ, जीवन बचाओ आन्दोलन से जुड़े लगभग 15 संगठनों के 200 लोग जिसमें 15 साल तक की उम्र के युवा भी शामिल हैं, आज 24 घंटे के उपवास पर बैठे हैं।  


जंतर मंतर पर सांकेतिक धरने व उपवास का संचालन कर रहे डॉक्टर विजय वर्मा ने देशवासियों से मार्मिक अपील की, कि संतों का जीवन भी अमूल्य समझा जाए और उपवास पर बैठे प्रतिनिधियों से बात करने के लिए सरकार को अपील भेजें। उन्होंने आगे कहा कि ये ऐसे संत हैं जो देश के और प्रकृति के सच्चे प्रेमी हैं। अपना सब कुछ त्याग कर बहुत सादगी से गंगा किनारे रहते हुए गंगा के रक्षण का कार्य कर रहे हैं। देश में पर्यावरण और नदियों के लिए जीवन समर्पित करने वालीं सुश्री मेधा पाटेकर जैसे सामाजिक लोग आत्मबोधानंद जी के समर्थन में उतरे हैं। गंगा की अभिलाषा के लिए जिनकी एक प्रमुख मांग है कि गंगा पर निर्माणाधीन सिंगोली- भटवारी, तपोवन- विष्णुगाड और विष्णुगाड- पीपलकोटी बांधों का निर्माण रोक दिया जाए।



स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने भी उनकी मांगों को पूर्ण समर्थन दिया। कुंभ में उनके साथ आए सभी 150 संत उपवास रखेंगे। उन्होंने अन्य संत समुदायों से भी अपील कि वे कुम्भक्षेत्र में एक दिन पूर्व घोषणा कर अपना अन्न बंद करें और सरकार पर आत्मबोधानंद जी की मांगों को पूरा करने के लिए नैतिक दवाब बनायें। 

कौन हैं ब्रहमचारी आत्मबोधानंद?

चार साल पूर्व इस युवक ने मातृसदन, हरिद्वार के गुरुदेव स्वामी शिवानन्द महाराज से दीक्षा ग्रहण कर ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद के नाम से सन्यास आश्रम में प्रवेश किया था। केरल से कंप्यूटर साइंस में स्नातक के चौथे सेमिस्टर तक अध्ययन कर जीवन का सार अध्यात्म में पाकर पढाई अधूरी छोड़कर मुक्ति की राह पर चल पड़े। दक्षिण से उत्तर में उत्तराखंड में बद्रीनाथ धाम तक की यात्रा की। यात्रा के दौरान माँ गंगा की दयनीय दशा देख कर दुखी हुए। जब गुरु की खोज करते हुए बद्रीनाथ पहुंचे वहीं उनकी गुरुदेव से भेंट हुई। इसके बाद उन्होंने मातृसदन आश्रम में गंगा के बारे में जाना, स्वामी निगमानंद के बलिदान के बारे में जाना। स्वर्गीय सानंद जी के 111 दिन की उपवास के दौरान भी वे मातृ सदन में ही थे। सानंद जी के निधन के बाद उन्होंने 24 अक्टूबर 2018 से उपवास शुरू किया। उनकी मांग स्वामी सानंद के संकल्प की पूर्ति यानि गंगा के लिए अलग कानून बनाने की है। गंगा को बांधों से मुक्त और उसके निर्मल अविरल प्रवाह के लिए है। 


                                  स्वामी आत्मबोधानंद

हरिद्वार में गंगा पर खनन के खिलाफ वे जिलाधीश हरिद्वार के सामने खड़े हुए। जिस पर कथित रूप से जिलाधीश ने स्वयं उन पर हमला किया। यह सभी मामले न्यायालय में विचाराधीन हैं। मातृ सदन की आंदोलनात्मक परंपरा के कर्मठ सिपाही हैं स्वामी आत्मबोधानंद। उनका कहना है कि वे एक सन्यासी हैं और गंगा के लिए उपवास तो कर ही सकते हैं, लोगों को उनकी नहीं बल्कि गंगा की चिंता करनी चाहिए। युवा संत ब्रहमचारी आत्मबोधानंद जी का ये 8 वां अनशन है।

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