इंग्लिश एंड फॉरेन लैंग्वेजेज यूनिवर्सिटी, ने हैदराबाद यूनिवर्सिटी की दो स्टूडेंट्स को सिर्फ इसलिए पीएचडी प्रवेश परीक्षा पत्र देने से इनकार कर दिया कि उन्होंने रोहित वेमुला की मौत के बाद हुए प्रदर्शनों में हिस्सा लिया था।
हैदराबाद यूनिवर्सिटी की दो स्टूडेंट्स ने कहा है कि इंग्लिश एंड फॉरेन लैंग्वेजेज यूनिवर्सिटी (ईएफएलयू) ने उन्हें पीएचडी एंट्रेस एग्जाम का प्रवेश पत्र देने से इनकार कर दिया है।
इन लोगों का कहना है कि ईएफएलयू ने उन्होंने परीक्षा में न बैठने देने का फैसला किया है। क्योंकि वे हैदराबाद यूनिवर्सिटी में रिसर्च स्कॉलर रोहित वेमुला की मौत के बाद हुए विरोध प्रदर्शन में शामिल थे।
दोनों स्टूडेंट्स, काव्याश्री रघुनाथ और माननी एमएस हैदराबाद यूनिवर्सिटी में अंबेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन के सदस्य हैं। दोनों सेंटर फॉर ट्रांसलेशन स्टडीज से एमफिल कर रही हैं। रोहित वेमुला भी अंबेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन के सदस्य थे। ईएफएलयू में पीएचडी के लिए एंट्रेस टेस्ट 25 फरवरी 2017 को होगा।
दोनों स्टूडेंट्स का दावा है कि वे एग्जाम हॉल टिकट ऑनलाइन डाउनलोड नहीं कर पाए थे और उन्होंने सीधे ईएफएलयू प्रशासन से संपर्क किया था। लेकिन यूनिवर्सिटी प्रशासन ने उन्हें प्रवेश पत्र देखने से साफ इनकार कर दिया।
ईएफएलयू के प्रॉक्टर प्रकाश कोना ने हालांकि लिखित तो नहीं लेकिन जुबानी कहा कि रोहित की मौत के बाद दोनों स्टूडेंट्स ने सक्रिय तौर पर विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया था। प्रदर्शन करते इन स्टूडेंट्स की फोटो उनके टेबल पर अब भी मौजूद है। दोनों छात्राओं के मुताबिक कोना ने उन्हें कहा ईएफएलयू की वाइस चासंलर सुनैना सिंह उनके जैसे लोगों को एडमशिन नहीं देना चाहतीं।
काव्याश्री रघुनाथ हैदराबाद यूनिवर्सिटी में अंबेडकर स्टूडेंट्स यूनियन की जनरल सेक्रेट्री हैं और मानसी एमएस एसोसिएशन की सांस्कृतिक सचिव।
ईएफएएलयू के इस कदम के कई छात्र-छात्राओं ने विरोध किया है। साथ ही उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया है कि ईएफएलयू जाति के आधार पर भेदभाव करती रही है। हालांकि यूनिवर्सिटी ने अपने कदम का बचाव किया है।
न्यू इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में प्रॉक्टर प्रकाश कोना ने कहा कि यूनिवर्सिटी के नियमों के मुताबिक अनुशासनहीनता में शामिल छात्र-छात्राएं एंट्रेस एग्जाम नहीं दे सकते। दोनों स्टूडेंट्स हैदराबाद यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान वहां हुए हर प्रदर्शन में शामिल थे। उन्होंने कहा कि ईएफएलयू अपने कैंपस में अनुशासन सुनिश्चित करने के मामले में बेहद गंभीर है। यूनिवर्सिटी अपने यहां के माहौल को खराब नहीं करना चाहती। मैंने उन दोनों स्टूडेंट्स से कहा है कि वे चाहें तो वाइस चासंलर से संपर्क कर सकती हैं और उनसे एंट्रेस एग्जाम में बैठने की अनुमति मांग सकती हैं।
यह पहली बार नहीं है जब यूनिवर्सिटी ने इस तरह के स्टूडेंट्स को एग्जाम में शामिल होने से रोका है। अनुशासनहीनता के नाम पर पहले भी स्टूडेंट्स को पीएचडी एंट्रेस एग्जाम में नहीं बैठने दिया गया है।
पिछले साल अरबी भाषा में एम फिल कर रहे २७ साल के मोहम्मद जलीस को परीक्षा में नहीं बैठने दिया गया था। उसे कहा गया था चूंकि पुलिस ने उसके खिलाफ मामला दर्ज किया है इसलिए वह पीएचडी एंट्रेस एग्जाम में नहीं बैठ सकता।
केरल के छात्र जलीस ने कहा कि पिछले साल जब वह एग्जाम हॉल का टिकट लेने गया तो उसे प्रॉक्टर से मिलने को कहा गया। प्रॉक्टर ने कहा कि वह एंट्रेस एग्जाम में नहीं बैठ सकता क्योंकि यूनिवर्सिटी में बीफ फेस्टिवल आयोजित करने और बीफ खाने के मामले में पुलिस ने उसके खिलाफ मामला दर्ज किया है। जलीस के लिए यह चौंकाने वाली बात थी क्योंकि उसे तो यह बात पता तक नहीं थी कि पुलिस ने उसके खिलाफ शिकायत दर्ज की है। वह इस बात पर हैरान था कि महज बीफ खाने भर से यूनिवर्सिटी प्रशासन उसे परीक्षा देने से रोक सकता है।
पिछले साल अपने साथ हुई घटना को याद करते हुए जलीस ने फेसबुक पर लिखा - पिछले साल ईएफएलयू प्रशासन ने मुझे पीएचडी एंट्रेस एग्जाम का प्रवेश पत्र देने से इनकार कर दिया था। सिर्फ इसलिए कि मैंने बीफ खाया था। इस बार इसी यूनिवर्सिटी ने काव्याश्री और मानसी को इसलिए एग्जाम हॉल टिकट देने से इनकार कर दिया कि उन्होंने रोहित वेमुला के लिए न्याय की लड़ाई में हिस्सा लिया था। यूनिवर्सिटी में राजनीतिक गतविधियों में हिस्सा लेना अपराध है।