कार्यक्रम का आयोजन करने जा रहे आईसा के नेताओं को विश्वविद्यालय प्रशासन ने कारण बताओ नोटिस भेजा है।
दलित स्कॉलर रोहित वेमुला की पुण्यतिथि के कार्यक्रम को लेकर लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन और छात्रों के बीच गतिरोध पैदा हो गया है। कार्यक्रम का आयोजन करने जा रहे ऑल इंडिया स्टूडेंटस एसोसिएशन (आईसा) के नेताओं को विश्वविद्यालय प्रशासन ने कारण बताओ नोटिस भेजा है।
छात्रों का कहना है की उन्होंने 14 जनवरी से अपने कार्यक्रम का प्रचार विश्वविद्यालय परिसर में शुरू किया था। कार्यक्रम रोहित वेमुला की पुण्यतिथि 17 जनवरी को होना है। प्रचार शुरू होते ही कुलानुशासक कार्यालय से इस पर आपत्ति हुई। छात्र संगठन आईसा का कहना है संभवत: अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की शिकायत पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने उनके कार्यक्रम पर आपत्ति की है।
विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा नोटिस कार्यक्रम की संयोजक अंजलि सिंह और सह संयोजक समर को भेजा गया है। कुलानुशासक प्रो. राकेश द्विवेदी द्वारा भेजे गए नोटिस में कहा गया है कि लखनऊ शहर में शान्ति एवं व्यवस्था बनाये रखने की दृष्टि से जिला प्रशासन द्वारा धारा-144 लगायी गयी है। कुलसचिव कार्यालय से अनुमति प्राप्त करने के उपरान्त ही लखनऊ विश्वविद्यालय में कार्यक्रम आयोजित किये जाने की व्यवस्था है।
नोटिस में आगे कहा गया है कि फिर भी “टैगोर लॉन” लखनऊ विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम 17 जनवरी,अपराह्न 12.30 आयोजित किये जाने हेतु विश्वविद्यालय परिसर में भ्रामक पर्चा बांटकर अव्यवस्था फैलाने का कुत्सित प्रयास किया जा है।
बीए की छात्रा अंजलि और बीएससी के छात्र समर को प्राप्त नोटिस में कहा गया है कि उनके द्वारा परिसर में बांटे जा रहे पर्चे में लखनऊ विश्वविद्यालय के विरुद्ध भ्रामक एवं आधारहीन आरोप लगाये गये है। आपके कृत्य से विश्वविद्यालय की छवि धूमिल हो रही है।
प्रो. राकेश द्विवेदी द्वारा भेजे गए नोटिस में कहा गया है कि इस छात्रों का यह कृत्य न केवल छात्र मर्यादाओं के सर्वथा विपरीत है अपितु विश्वविद्यालय व्यवस्थाओं के भी सर्वथा प्रतिकूल है। इस लिए इन को इस सम्बन्ध में 02 दिन के अन्दर अपना लिखित स्पष्टीकरण कुलानुशासक कार्यालय में स्वयं उपस्थित होकर प्रस्तुत करें, अन्यथा इनके विरूद्ध अग्रिम अनुशासनात्मक कार्यवाही की प्रक्रिया प्रारम्भ की जायेगी।
जबकि इन दोनों छात्रों का कहना है कि 14 जनवरी को जारी हुआ नोटिस उनको कार्यक्रम के एक दिन पहले 16 जनवरी को प्राप्त हुआ। ऐसे में इतनी जल्दी जवाब देना संभव नहीं है।
इसका कहा है कि उनके द्वारा कार्यक्रम के आयोजन की सुचना कुलसचिव कार्यालय को 14 जनवरी को दी गई थी। लेकिन उस दिन विश्वविद्यालय बंद होने की बात कही जा रही है। दोनों छात्रों ने सवाल किया अगर 14 जनवरी को विश्वविद्यालय बंद था तो इस तारीख में इनको नोटिस कैसे जारी हो गया?
जब न्यूज़क्लिक ने छात्र नेता अंजलि से संपर्क किया तो उन्होंने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय प्रशासन अखिल भारतीय विद्यार्थी के कहने पर रोहित वेमुला की पुण्यतिथि के कार्यक्रम को रोकना चाहती है। अंजलि के अनुसार कार्यक्रम “टैगोर लॉन” में होना है और खुले में होने वाले कार्यक्रम के लिए अनुमति की आवश्यकता नहीं होती है, केवल लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन को सूचना देनी होती है।
वह कहती है कि “आईसा ने कार्यक्रम की सूचना कुलसचिव को दे दी थी, लेकिन वहां से सुचना कुलानुशासक को क्यों नहीं भेजी गई”।
अंजलि ने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य दलित और पिछड़े छात्रों के खिलाफ संस्थागत भेदभाव के खिलाफ संघर्ष को तेज करना है। इसके अलावा कार्यक्रम में शिक्षा के निजीकरण का विरोध और मौलाना मौलाना आजाद राष्ट्रीय फैलोशिप की बहाली की मांग करना है।
छात्र नेता समर से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रों पर रोहित वेमुला की याद में होने वाले कार्यक्रम को रद्द करने के लिए दबाव बना रहा है। उन्होंने कहा की कार्यक्रम में स्व वित्त पाठ्यक्रम की फीस बढ़ने का विरोध भी प्रस्तावित है। वह कहते हैं कि केंद्र और राज्य सरकार लगातार छात्रवृत्ति ख़त्म कर रही है। जिस कारण आर्थिक रूप से कमज़ोर लोगो की पढाई मुश्किल होती जा रही है।
जब इस बारे में विश्वविद्यालय कुलानुशासक प्रो. राकेश द्विवेदी से संपर्क किया तो उन्होंने कहा की किसी भी कार्यक्रम के आयोजन के लिए कुलसचिव की अनुमति आवश्यक है। प्रो. द्विवेदी के अनुसार अगर कुलसचिव कार्यालय से आदेश हो जाता है तो उनको कार्यक्रम के आयोजन पर कोई अप्पति नहीं है। जब कुलसचिव संजय मेधावी से बात की गई तो उन्होंने कहा की छात्रों का पत्र प्राप्त हुआ है। जिसको अनापत्ति प्रमाण पत्र के लिए भेजा गया है। अगर कोई आपत्ति नहीं हुई तो अनुमति दी जायेगी। ख़बर लिखे जाने तक छात्रों को अनुमति नहीं मिली थी।
कौन हैं रोहित वेमुला
रोहित वेमुला, हैदराबाद सेंट्रल विश्वविद्यालय के पीएचडी छात्र थे। दलित छात्र 26 वर्षीय रोहित वेमुला ने कथित तौर पर 17 जनवरी 2016 को यूनिवर्सिटी के हॉस्टल के एक कमरे में फांसी लगाकर अपनी जान दे दी थी। वे यूनिवर्सिटी में आंबेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन के सदस्य थे। उनकी आत्महत्या का मामला लंबे वक़्त तक सुर्खियों में रहा और आज भी इस बारे में चर्चा होती है। वह विश्वविद्यालय परिसर में दलित छात्रों के अधिकार और न्याय के लिए भी लड़ते रहे थे। प्रबुद्ध समाज और छात्रों का एक बड़ा हिस्सा उनकी आत्महत्या को "संस्थागत हत्या" मानता है।
हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के छात्र रहे रोहित वेमुला की पुण्यतिथि पर होने वाले कार्यक्रम में दलित चिन्तक प्रो. रविकांत चन्दन को मुख्य वक्ता के रूप में शामिल होना है। बता दें कि एक निजी वेब पोर्टल पर काशी विश्वनाथ मंदिर को लेकर की गई एक टिप्पणी के विरोध में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने 10 मई को प्रोफ़ेसर रविकांत के खिलाफ़ मोर्चा खोल दिया था। उन्हें विश्वविद्यालय परिसर में घेर लिया गया था और आपत्तिजनक नारेबाज़ी गई थी।
प्रो. रविकांत चंदन कहते हैं कि रोहित वेमुला के "संस्थागत हत्या" के बाद देश भर के छात्र सड़क पर थे। लेकिन उस आंदोलन को कुचलने का संभव प्रयास किया गया। इतना ही नहीं छात्रों के आंदोलन और असहमति की आवाज़ उठाने वालों को बदनाम किया जाने लगा। प्रबुद्ध समाज के लिए "अर्बन नक्सल" जैसे शब्दों का प्रयोग शुरू हो गया।
कार्यक्रम के सिलसिले में छात्रों को दिये गये नोटिस को ग़लत बताते हुए प्रो. रविकांत चंदन कहते हैं यह "एकरूपता" थोपने की साज़िश का हिस्सा लगता है। उनके अनुसार यह कार्यक्रम देश हित में हैं। विश्वविद्यालयों में जब गंभीर विषयों और दलित-पिछड़ों पर चर्चा होगी, तभी मालूम होगा समस्या कहाँ पर है।" हमारी कोशिश होनी चाहिए कि रोहित वेमुला की "संस्थागत हत्या" जैसी घटना दोबारा कभी नहीं हो।
छात्रों को नोटिस मिलने के बाद से विश्वविद्यालय परिसर में छात्र राजनीति गरमा गई है। नोटिस के बाद आईसा ने एक और पर्चा जारी किया है। जिसका शीर्षक है रोहित वेमुला से कौन डरता है? इसमें सवाल किया गया है कि "शिक्षा संस्थानों में जातिवाद और ब्राह्मणवादी वर्चस्व को कौन बनाए रखना चाहता है"?
पर्चे में आरोप है कि हम सभी जानते हैं कि "तत्कालीन हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी, कुलपति और पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी से राजनीतिक विच-हंट के कारण रोहित को आत्महत्या के लिए कैसे उकसाया गया था।" "तब से रोहित वेमुला शिक्षा संस्थानों में प्रचलित जातिवादी भेदभाव और हाशिए की पृष्ठभूमि से उत्पन्न होने वाले छात्र नेताओं के राजनीतिक शिकार के खिलाफ प्रतिरोध का प्रतीक बन गए हैं।"
छात्रों ने कहा कि एक के बाद एक विश्वविद्यालय से चर्चा, असहमति और सामाजिक समावेश और और सभी लोकतांत्रिक माहौल ख़त्म किया जा रहा है। जबकि "भगवा विचारधारा को बढ़ावा देने का सिलसिला बदस्तूर जारी है।"
वामपंथी विचारधारा के छात्रों का कहना है कि "हमारी शिक्षा प्रणाली वर्तमान में एक अभूतपूर्व संकट का सामना कर रही है। साम्प्रदायिक फासीवादी ताकतों के साथ सत्ता, समूची राज्य मशीनरी और नौकरशाही का इस्तेमाल, विभाजनकारी साम्प्रदायिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए किया जा रहा है।
छात्रों का कहना कि आइए अपने संघर्षों और आंदोलनों के माध्यम से रोहित को न्याय के लिए लड़ने का संकल्प लें कि जाति के उन्मूलन के लिए एकजुट हों और ब्राह्मणवाद और जातिगत भेदभाव के खिलाफ लड़ाई लड़ें।
उधर इस गतिरोध के बीच छात्र संगठन नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) ने भी लखनऊ विश्वविद्यालय इकाई ने भी रोहित वेमुला की "शहादत दिवस" के उपलक्ष में कार्यक्रम की घोषणा की है।
Courtesy: Newsclick
दलित स्कॉलर रोहित वेमुला की पुण्यतिथि के कार्यक्रम को लेकर लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन और छात्रों के बीच गतिरोध पैदा हो गया है। कार्यक्रम का आयोजन करने जा रहे ऑल इंडिया स्टूडेंटस एसोसिएशन (आईसा) के नेताओं को विश्वविद्यालय प्रशासन ने कारण बताओ नोटिस भेजा है।
छात्रों का कहना है की उन्होंने 14 जनवरी से अपने कार्यक्रम का प्रचार विश्वविद्यालय परिसर में शुरू किया था। कार्यक्रम रोहित वेमुला की पुण्यतिथि 17 जनवरी को होना है। प्रचार शुरू होते ही कुलानुशासक कार्यालय से इस पर आपत्ति हुई। छात्र संगठन आईसा का कहना है संभवत: अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की शिकायत पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने उनके कार्यक्रम पर आपत्ति की है।
विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा नोटिस कार्यक्रम की संयोजक अंजलि सिंह और सह संयोजक समर को भेजा गया है। कुलानुशासक प्रो. राकेश द्विवेदी द्वारा भेजे गए नोटिस में कहा गया है कि लखनऊ शहर में शान्ति एवं व्यवस्था बनाये रखने की दृष्टि से जिला प्रशासन द्वारा धारा-144 लगायी गयी है। कुलसचिव कार्यालय से अनुमति प्राप्त करने के उपरान्त ही लखनऊ विश्वविद्यालय में कार्यक्रम आयोजित किये जाने की व्यवस्था है।
नोटिस में आगे कहा गया है कि फिर भी “टैगोर लॉन” लखनऊ विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम 17 जनवरी,अपराह्न 12.30 आयोजित किये जाने हेतु विश्वविद्यालय परिसर में भ्रामक पर्चा बांटकर अव्यवस्था फैलाने का कुत्सित प्रयास किया जा है।
बीए की छात्रा अंजलि और बीएससी के छात्र समर को प्राप्त नोटिस में कहा गया है कि उनके द्वारा परिसर में बांटे जा रहे पर्चे में लखनऊ विश्वविद्यालय के विरुद्ध भ्रामक एवं आधारहीन आरोप लगाये गये है। आपके कृत्य से विश्वविद्यालय की छवि धूमिल हो रही है।
प्रो. राकेश द्विवेदी द्वारा भेजे गए नोटिस में कहा गया है कि इस छात्रों का यह कृत्य न केवल छात्र मर्यादाओं के सर्वथा विपरीत है अपितु विश्वविद्यालय व्यवस्थाओं के भी सर्वथा प्रतिकूल है। इस लिए इन को इस सम्बन्ध में 02 दिन के अन्दर अपना लिखित स्पष्टीकरण कुलानुशासक कार्यालय में स्वयं उपस्थित होकर प्रस्तुत करें, अन्यथा इनके विरूद्ध अग्रिम अनुशासनात्मक कार्यवाही की प्रक्रिया प्रारम्भ की जायेगी।
जबकि इन दोनों छात्रों का कहना है कि 14 जनवरी को जारी हुआ नोटिस उनको कार्यक्रम के एक दिन पहले 16 जनवरी को प्राप्त हुआ। ऐसे में इतनी जल्दी जवाब देना संभव नहीं है।
इसका कहा है कि उनके द्वारा कार्यक्रम के आयोजन की सुचना कुलसचिव कार्यालय को 14 जनवरी को दी गई थी। लेकिन उस दिन विश्वविद्यालय बंद होने की बात कही जा रही है। दोनों छात्रों ने सवाल किया अगर 14 जनवरी को विश्वविद्यालय बंद था तो इस तारीख में इनको नोटिस कैसे जारी हो गया?
जब न्यूज़क्लिक ने छात्र नेता अंजलि से संपर्क किया तो उन्होंने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय प्रशासन अखिल भारतीय विद्यार्थी के कहने पर रोहित वेमुला की पुण्यतिथि के कार्यक्रम को रोकना चाहती है। अंजलि के अनुसार कार्यक्रम “टैगोर लॉन” में होना है और खुले में होने वाले कार्यक्रम के लिए अनुमति की आवश्यकता नहीं होती है, केवल लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन को सूचना देनी होती है।
वह कहती है कि “आईसा ने कार्यक्रम की सूचना कुलसचिव को दे दी थी, लेकिन वहां से सुचना कुलानुशासक को क्यों नहीं भेजी गई”।
अंजलि ने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य दलित और पिछड़े छात्रों के खिलाफ संस्थागत भेदभाव के खिलाफ संघर्ष को तेज करना है। इसके अलावा कार्यक्रम में शिक्षा के निजीकरण का विरोध और मौलाना मौलाना आजाद राष्ट्रीय फैलोशिप की बहाली की मांग करना है।
छात्र नेता समर से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रों पर रोहित वेमुला की याद में होने वाले कार्यक्रम को रद्द करने के लिए दबाव बना रहा है। उन्होंने कहा की कार्यक्रम में स्व वित्त पाठ्यक्रम की फीस बढ़ने का विरोध भी प्रस्तावित है। वह कहते हैं कि केंद्र और राज्य सरकार लगातार छात्रवृत्ति ख़त्म कर रही है। जिस कारण आर्थिक रूप से कमज़ोर लोगो की पढाई मुश्किल होती जा रही है।
जब इस बारे में विश्वविद्यालय कुलानुशासक प्रो. राकेश द्विवेदी से संपर्क किया तो उन्होंने कहा की किसी भी कार्यक्रम के आयोजन के लिए कुलसचिव की अनुमति आवश्यक है। प्रो. द्विवेदी के अनुसार अगर कुलसचिव कार्यालय से आदेश हो जाता है तो उनको कार्यक्रम के आयोजन पर कोई अप्पति नहीं है। जब कुलसचिव संजय मेधावी से बात की गई तो उन्होंने कहा की छात्रों का पत्र प्राप्त हुआ है। जिसको अनापत्ति प्रमाण पत्र के लिए भेजा गया है। अगर कोई आपत्ति नहीं हुई तो अनुमति दी जायेगी। ख़बर लिखे जाने तक छात्रों को अनुमति नहीं मिली थी।
कौन हैं रोहित वेमुला
रोहित वेमुला, हैदराबाद सेंट्रल विश्वविद्यालय के पीएचडी छात्र थे। दलित छात्र 26 वर्षीय रोहित वेमुला ने कथित तौर पर 17 जनवरी 2016 को यूनिवर्सिटी के हॉस्टल के एक कमरे में फांसी लगाकर अपनी जान दे दी थी। वे यूनिवर्सिटी में आंबेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन के सदस्य थे। उनकी आत्महत्या का मामला लंबे वक़्त तक सुर्खियों में रहा और आज भी इस बारे में चर्चा होती है। वह विश्वविद्यालय परिसर में दलित छात्रों के अधिकार और न्याय के लिए भी लड़ते रहे थे। प्रबुद्ध समाज और छात्रों का एक बड़ा हिस्सा उनकी आत्महत्या को "संस्थागत हत्या" मानता है।
हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के छात्र रहे रोहित वेमुला की पुण्यतिथि पर होने वाले कार्यक्रम में दलित चिन्तक प्रो. रविकांत चन्दन को मुख्य वक्ता के रूप में शामिल होना है। बता दें कि एक निजी वेब पोर्टल पर काशी विश्वनाथ मंदिर को लेकर की गई एक टिप्पणी के विरोध में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने 10 मई को प्रोफ़ेसर रविकांत के खिलाफ़ मोर्चा खोल दिया था। उन्हें विश्वविद्यालय परिसर में घेर लिया गया था और आपत्तिजनक नारेबाज़ी गई थी।
प्रो. रविकांत चंदन कहते हैं कि रोहित वेमुला के "संस्थागत हत्या" के बाद देश भर के छात्र सड़क पर थे। लेकिन उस आंदोलन को कुचलने का संभव प्रयास किया गया। इतना ही नहीं छात्रों के आंदोलन और असहमति की आवाज़ उठाने वालों को बदनाम किया जाने लगा। प्रबुद्ध समाज के लिए "अर्बन नक्सल" जैसे शब्दों का प्रयोग शुरू हो गया।
कार्यक्रम के सिलसिले में छात्रों को दिये गये नोटिस को ग़लत बताते हुए प्रो. रविकांत चंदन कहते हैं यह "एकरूपता" थोपने की साज़िश का हिस्सा लगता है। उनके अनुसार यह कार्यक्रम देश हित में हैं। विश्वविद्यालयों में जब गंभीर विषयों और दलित-पिछड़ों पर चर्चा होगी, तभी मालूम होगा समस्या कहाँ पर है।" हमारी कोशिश होनी चाहिए कि रोहित वेमुला की "संस्थागत हत्या" जैसी घटना दोबारा कभी नहीं हो।
छात्रों को नोटिस मिलने के बाद से विश्वविद्यालय परिसर में छात्र राजनीति गरमा गई है। नोटिस के बाद आईसा ने एक और पर्चा जारी किया है। जिसका शीर्षक है रोहित वेमुला से कौन डरता है? इसमें सवाल किया गया है कि "शिक्षा संस्थानों में जातिवाद और ब्राह्मणवादी वर्चस्व को कौन बनाए रखना चाहता है"?
पर्चे में आरोप है कि हम सभी जानते हैं कि "तत्कालीन हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी, कुलपति और पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी से राजनीतिक विच-हंट के कारण रोहित को आत्महत्या के लिए कैसे उकसाया गया था।" "तब से रोहित वेमुला शिक्षा संस्थानों में प्रचलित जातिवादी भेदभाव और हाशिए की पृष्ठभूमि से उत्पन्न होने वाले छात्र नेताओं के राजनीतिक शिकार के खिलाफ प्रतिरोध का प्रतीक बन गए हैं।"
छात्रों ने कहा कि एक के बाद एक विश्वविद्यालय से चर्चा, असहमति और सामाजिक समावेश और और सभी लोकतांत्रिक माहौल ख़त्म किया जा रहा है। जबकि "भगवा विचारधारा को बढ़ावा देने का सिलसिला बदस्तूर जारी है।"
वामपंथी विचारधारा के छात्रों का कहना है कि "हमारी शिक्षा प्रणाली वर्तमान में एक अभूतपूर्व संकट का सामना कर रही है। साम्प्रदायिक फासीवादी ताकतों के साथ सत्ता, समूची राज्य मशीनरी और नौकरशाही का इस्तेमाल, विभाजनकारी साम्प्रदायिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए किया जा रहा है।
छात्रों का कहना कि आइए अपने संघर्षों और आंदोलनों के माध्यम से रोहित को न्याय के लिए लड़ने का संकल्प लें कि जाति के उन्मूलन के लिए एकजुट हों और ब्राह्मणवाद और जातिगत भेदभाव के खिलाफ लड़ाई लड़ें।
उधर इस गतिरोध के बीच छात्र संगठन नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) ने भी लखनऊ विश्वविद्यालय इकाई ने भी रोहित वेमुला की "शहादत दिवस" के उपलक्ष में कार्यक्रम की घोषणा की है।
Courtesy: Newsclick