रोहित वेमुला और पायल तडवी की मां ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर यूनिवर्सिटी कैंपस में होने वाले जातिगत भेदभाव को रोकने के लिए निर्देश देने की मांग की। रोहित और पायल दोनों ने ही आत्महत्या की थी। दोनों केस में जातिगत भेदभाव का एंगल सामने आया था।
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बता दें कि बीते 22 मई को बी वाई एल नायर अस्पताल में पोस्ट ग्रेजुएट छात्रा पायल ने अपने हॉस्टल के कमरे में कथित तौर पर फंदे से झूलकर आत्महत्या कर ली थी। खबरों के मुताबिक उससे सीनियर तीन छात्राओं की ओर से की जाने वाली रैगिंग से वो तंग आ चुकी थी। यह आरोप भी है कि आरोपी छात्राएं पायल पर जातिसूचक टिप्पणियां करती थीं।
पायल तडवी के सुसाइड के बाद से ही देश के अलग-अलग हिस्सों में प्रदर्शन किया गया और एक बार फिर कैंपस में भेदभाव के मुद्दे पर बहस शुरू हो गई। इससे पहले रोहित वेमुला की खुदकुशी ने देशभर के स्कूल-कॉलेज कैंपस में जातिगत भेदभाव पर बहस छेड़ दी थी।
इसी तरह रोहित वेमुला ने 17 जनवरी 2016 को सुसाइड किया था। वो हैदराबाद यूनिवर्सिटी के छात्र थे। उन्हें और उनके तीन साथियों को यूनिवर्सिटी कैंपस में आने पर रोक लगा दी गई थी। रोहित ने अपनी आखिरी चिट्ठी में लिखा था, एक इंसान की पहचान एक वोट, एक संख्या, एक वस्तु तक सिमटकर रह गई है। कोई भी क्षेत्र हो, अध्ययन में, पॉलिटिक्स में, मरने, जीने में, कभी भी एक शख्स को उसकी बुद्धिमत्ता से नहीं आंका गया। इस तरह का खत मैं पहली बार लिख रहा हूं। आखिरी खत लिखने का यह मेरा पहला अनुभव है। अगर ये कदम सार्थक न हो पाए तो मुझे माफ कीजिएगा।
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बता दें कि बीते 22 मई को बी वाई एल नायर अस्पताल में पोस्ट ग्रेजुएट छात्रा पायल ने अपने हॉस्टल के कमरे में कथित तौर पर फंदे से झूलकर आत्महत्या कर ली थी। खबरों के मुताबिक उससे सीनियर तीन छात्राओं की ओर से की जाने वाली रैगिंग से वो तंग आ चुकी थी। यह आरोप भी है कि आरोपी छात्राएं पायल पर जातिसूचक टिप्पणियां करती थीं।
पायल तडवी के सुसाइड के बाद से ही देश के अलग-अलग हिस्सों में प्रदर्शन किया गया और एक बार फिर कैंपस में भेदभाव के मुद्दे पर बहस शुरू हो गई। इससे पहले रोहित वेमुला की खुदकुशी ने देशभर के स्कूल-कॉलेज कैंपस में जातिगत भेदभाव पर बहस छेड़ दी थी।
इसी तरह रोहित वेमुला ने 17 जनवरी 2016 को सुसाइड किया था। वो हैदराबाद यूनिवर्सिटी के छात्र थे। उन्हें और उनके तीन साथियों को यूनिवर्सिटी कैंपस में आने पर रोक लगा दी गई थी। रोहित ने अपनी आखिरी चिट्ठी में लिखा था, एक इंसान की पहचान एक वोट, एक संख्या, एक वस्तु तक सिमटकर रह गई है। कोई भी क्षेत्र हो, अध्ययन में, पॉलिटिक्स में, मरने, जीने में, कभी भी एक शख्स को उसकी बुद्धिमत्ता से नहीं आंका गया। इस तरह का खत मैं पहली बार लिख रहा हूं। आखिरी खत लिखने का यह मेरा पहला अनुभव है। अगर ये कदम सार्थक न हो पाए तो मुझे माफ कीजिएगा।