ज्ञानवापी: पूजा के बाद दक्षिणपंथी तत्वों द्वारा माहौल खराब करने की कोशिश, इलाहाबाद HC ने फैसला सुरक्षित रखा

Written by sabrang india | Published on: February 16, 2024
वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में पूजा का अधिकार दिए जाने के बाद शहर की आबोहवा बिगाड़ने की कोशिशें जारी हैं, 31 जनवरी के बाद से कई वीडियो सामने आए हैं जिनमें भड़काऊ नारेबाजी की जा रही है। 



ज्ञानवापी मस्जिद में पूजा का अधिकार दिए जाने का मामला अदालत में है। अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी द्वारा दायर याचिका में पूजा पर रोक लगाने की मांग की गई है। इस बीच कई वीडियो सामने आए हैं जिनमें दक्षिणपंथी तत्वों द्वारा शहर की आबोहवा बिगाड़ने वाले कृत्य किये जा रहे हैं। एक वीडियो सर्वे रिपोर्ट जारी किए जाने के बाद सामने आया था जिसमें तपस्वी छावनी के पीठाधीश्वर जगतगुरु परमहंस आचार्य मुस्लिम समुदाय को गालियों के जरिए (यहां उनकी अभद्र भाषा व गालियों को ट्रांसक्रिप्ट नहीं किया जा सकता) निशाना बनाते नजर आए। 

भारत समाचार की रिपोर्ट के मुताबिक, ज्ञानवापी के तहखाना में हो रही पूजा को देखने और दर्शन करने वाराणसी पहुंचे जगतगुरु परमहंस ने मुस्लिम पक्षकारों को धमकी देते हुए कहा कि “यदि आदि विशेश्वर का अपमान हुआ तो अपमान करने वालों की नस्लें गायब हो जाएंगी”। परमहंस वाराणसी में बाबा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन के बाद ज्ञानवापी के तहखाने में विग्रहों की पूजा का दर्शन करने पहुंचे थे। दर्शन के बाद बाहर आने के बाद मुस्लिम पक्ष को अपशब्द कहे। परमहंस आचार्य वजूखाने में नमाज के पहले वजू करने पर भड़के हुए नजर आए।

वहीं, अन्य वीडियो हाल के दिनों के हैं। इनमें तहखाने में पूजा के बाद हिंदुत्ववादी लोगों की भीड़ को मस्जिद परिसर के बाहर- ''अयोध्या तो झांकी है, काशी मथुरा बाकी है, जय श्री राम'' जैसे नारे लगाते देखा गया। इस मामले में सबरंग इंडिया ने शहर मुफ्ती बातिन नोमानी से बात की। उन्होंने कहा कि आज सुबह कुछ लोगों ने मस्जिद परिसर में पूजा के समय नारे बाजी की। इसके अलावा पहले भी लोग इस तरह की नारेबाजी कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि आज दोपहर की नमाज से पहले मस्जिद समिति के सदस्य जिला प्रशासन से मिलकर इस तरह की भड़काऊ गतिविधियों की शिकायत करेंगे। 

स्वामी जितेंद्रानंद ने मस्जिद कमेटी पर लगाए गंभीर आरोप

अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने ज्ञानवापी मामले को लेकर मस्जिद कमेटी पर अशांति फैलाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम संगठनों के पदाधिकारियों के द्वारा कोर्ट, जज, पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों को व्यक्तिगत तौर पर निशाना बनाया जा रहा है। यह भी कहा कि व्यास जी के तहखाने में हो रही पूजा को रुकवाने की साजिश चल रही है। उन्होंने कहा, यदि पूजा रोकी गई तो फिर वहां पर नमाज को भी रोकना होगा। 

गुरूवार को सिद्धगिरीबाग स्थित ब्रह्मर्षि निवास पर पत्रकारों से बात करते हुए स्वामी ने आरोप लगाया कि पिछले दिनों केरल में जमाते इस्लामी हिंद के लोगों ने पीएफआई और आईएसआईएस के लोगों के साथ बैठक कर षड्यंत्र की रूपरेखा तैयार की। बैठक में इंतेजामिया कमेटी के सचिव मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी भी शामिल थे। स्वामी जितेंद्रानंद के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि ये बेकार की बातें हैं, हकीकत का इनसे कोई लेना देना नहीं है। 
 
तहखाने में हिंदुओं को प्रार्थना करने की अनुमति को चुनौती वाली याचिका पर इलाहाबाद HC ने फैसला सुरक्षित रखा

तहखाने में हिंदुओं को प्रार्थना करने की अनुमति को चुनौती वाली याचिका पर इलाहाबाद HC ने गुरूवार (15 फरवरी) को फैसला सुरक्षित रख लिया है। यह याचिका अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी द्वारा दायर की गई थी, जिसमें 31 जनवरी के जिला अदालत के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें हिंदुओं को ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में प्रार्थना करने की अनुमति दी गई थी।
 
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गुरुवार को वाराणसी अदालत के उस आदेश को चुनौती देने वाली मुस्लिम पक्षों की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसमें हिंदू पक्षों को ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में प्रार्थना और पूजा करने की अनुमति दी गई थी।

न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने दलीलें सुनना समाप्त कर दिया और फैसला सुरक्षित रख लिया।
 
यह याचिका अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी द्वारा दायर की गई थी, जिसमें 31 जनवरी के जिला अदालत के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी तहखाने  में हिंदू प्रार्थना की अनुमति दी गई थी।
 
उक्त आदेश ज्ञानवापी परिसर के धार्मिक चरित्र पर परस्पर विरोधी दावों से जुड़े एक सिविल अदालत में चल रहे मामले के बीच पारित किया गया था।
 
अन्य दावों के बीच, हिंदू पक्ष ने कहा है कि 1993 तक सोमनाथ व्यास और उनके परिवार द्वारा मस्जिद के तहखाने में हिंदू प्रार्थनाएं की जाती थीं, जब मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाली सरकार ने कथित तौर पर इसे समाप्त कर दिया था।
 
मुस्लिम पक्ष ने इस दावे का विरोध किया है और कहा है कि मस्जिद की इमारत पर हमेशा मुसलमानों का कब्ज़ा रहा है।
 
गुरुवार (15 फरवरी) को सुनवाई के दौरान, ज्ञानवापी मस्जिद समिति की ओर से पेश वरिष्ठ वकील SFA नकवी ने तर्क दिया कि जिला न्यायाधीश ने जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) को रिसीवर नियुक्त करते समय एक महत्वपूर्ण त्रुटि की।
 
उन्होंने कहा, "जिला न्यायाधीश ने एक महत्वपूर्ण गलती की है... वह एक निश्चित परिणाम चाहते थे और इसलिए आदेश पारित किया गया..."
 
नकवी ने इस बात पर भी जोर दिया कि डीएम को रिसीवर नियुक्त करने से हितों का टकराव हुआ है।
 
"डीएम को रिसीवर नियुक्त करने से हितों का टकराव होता है क्योंकि अधिनियम के अनुसार, डीएम पदेन सदस्य होता है। उसे कर्तव्यों का पालन करना होता है। क्या डीएम ये सभी चीजें कर सकता है? यदि अनुमति है तो क्या हितों का टकराव है?" प्रतिवादी नंबर 2 के मार्गदर्शन में डीएम को पूजा करनी होती है। सीधा टकराव इस बात को लेकर है कि डीएम को कैसा व्यवहार करना है। रिसीवर के तौर पर उन्हें कैसे और फिर ट्रस्टी के तौर पर कैसा व्यवहार करना है। ये तीनों बातें एक-दूसरे से टकरा रही हैं..." उन्होंने कहा।
 
हिंदू पक्ष की ओर से पेश वकील विष्णु जैन ने कहा कि उनके द्वारा दायर दस्तावेज से पता चलता है कि दक्षिणी तहखाना हमेशा उनके कब्जे में था।
 
उन्होंने कहा, "कोई लिखित बयान दाखिल नहीं किया गया है और समय विस्तार के लिए कोई आवेदन दायर नहीं किया गया है...जो दस्तावेज दाखिल किए गए हैं, उनमें प्रथम दृष्टया पता चलता है कि हमारे पास तहखाना था...उन (मस्जिद समिति) के कब्जे में नहीं।"
 
बंद तहखानों के सर्वेक्षण की मांग वाली याचिका: कोर्ट ने AIMC को आपत्ति दर्ज करने का समय दिया, अगली सुनवाई 28 फरवरी को

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, वाराणसी की एक अदालत ने गुरुवार को ज्ञानवापी मस्जिद की देखभाल करने वाली अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी (एआईएमसी) को सर्वेक्षण करने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को आदेश देने की मांग वाली याचिका के खिलाफ अपनी आपत्ति दर्ज करने के लिए 28 फरवरी तक का समय दिया। ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) और अन्य आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके मस्जिद परिसर में बंद तहखानों की निगरानी की गई। अदालत ने याचिका पर सुनवाई की अगली तारीख 28 फरवरी तय की है।
 
'राखी सिंह और अन्य बनाम यूपी राज्य और अन्य' मुकदमे में मुख्य वादी राखी सिंह ने वकील सौरभ तिवारी, मानबहादुर सिंह और वकील अनुपम द्विवेदी के माध्यम से याचिका दायर की थी। एआईएमसी का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील अखलाक अहमद ने कहा, “हमने याचिका का विरोध किया और अदालत से प्रार्थना की कि हमें इसके खिलाफ आपत्ति दर्ज करने के लिए समय दिया जाए। अदालत ने हमें समय दिया और सुनवाई की अगली तारीख 28 फरवरी तय की।”

Related:

बाकी ख़बरें