रिटायरमेंट के दिन वाराणसी ज़िला जज ने ज्ञानवापी के व्यास तहख़ाने में हिंदुओं को पूजा का अधिकार दिया

Written by sabrang india | Published on: February 1, 2024
ज़िला जज अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने व्यास जी के नाती शैलेन्द्र पाठक को ज्ञानवापी के तहख़ाने में पूजा-पाठ करने का अधिकार दे दिया है।


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वाराणसी के ज्ञानवापी केस में सुनवाई कर रहे जिला जज डॉ। अजय कृष्ण विश्वेश ने अपने रिटायरमेंट के दिन ज्ञानवापी मामले में फैसला दिया। ज्ञानवापी के व्यासजी तहखाने में पूजा-पाठ के अधिकारी को लेकर जिला जज की अदालत में 2016 में याचिका डाली गई थी। इसी याचिका पर जिला जज डॉ। अजय कृष्ण विश्वेश की कोर्ट में 30 जनवरी को इस केस में दोनों पक्षों की बहस पूरी हुई थी। 31 जनवरी को जिला जज डॉ। अजय कृष्ण विश्वेश ने हिंदू पक्ष को व्यासजी के तहखाने में पूजा-पाठ का अधिकार हिंदू पक्ष को दे दिया। 

हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने तहखाने में पूजा पाठ करने का अधिकार व्यास जी के नाती शैलेन्द्र पाठक को दे दिया है। उन्होंने बताया कि प्रशासन सात दिन के अंदर पूजा—पाठ कराने की व्यवस्था करेगा। पूजा कराने का कार्य काशी विश्वनाथ ट्रस्ट करेगा।

यादव ने कहा कि ज्ञानवापी के सामने बैठे नंदी महाराज के सामने से रास्ता खोला जाएगा। उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यासजी के तहखाने में पूजा-पाठ किये जाने संबंधी आवेदन पर जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में दोनों पक्ष की तरफ से मंगलवार को बहस पूरी कर ली थी।

हिन्दू पक्ष का कहना था कि नवंबर 1993 तक सोमनाथ व्यास जी का परिवार उस तहखाने में पूजा पाठ करता था, जिसे तत्कालीन मुलायम सिंह यादव सरकार के शासनकाल में बंद करा दिया गया था। अब वहां फिर से हिंदुओं को पूजा का अधिकार मिलना चाहिये। मुस्लिम पक्ष ने इस दावे का विरोध करते हुए कहा था कि इसके खिलाफ भी जिला जज की अदालत में एक अपील दाखिल की जा चुकी है।

पूजा के आदेश के बाद हाई लेवल मीटिंग

व्‍यास जी के तहखाने में जिला अदालत द्वारा पूजा-पाठ करने की इजाजत देने के फैसले को लेकर बुधवार को हाई लेवल मीटिंग हुई। कोर्ट के आदेश के बाद डीएम की अगुवाई में अधिकारियों की बैठक हुई। इस बैठक में काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील वर्मा भी मौजूद रहे। बताया जा रहा है कि इसमें तहखाने में पूजा पाठ की तैयारियों पर चर्चा हुई। अदालत ने आदेश में कहा था कि हिंदू श्रद्धालु अब ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर एक सील क्षेत्र ‘व्यास का तहखाना’ में प्रार्थना कर सकते हैं। ‘व्यास का तहखाना’ ठीक नंदी के सामने है। इस पर अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने कहा कि यह फैसला हिन्दू समाज की बड़ी जीत है। ये हमारी विजय का पहला चरण है।

पूजा का आदेश आते ही आरती शुरू

बता दें कि ज्ञानवापी मामले पर कोर्ट का आदेश आते ही तहखाने में आरती शुरू करा दी गई। ज्ञानवापी मामले में हिन्दू पक्ष की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील विष्णु शंकर जैन ने मीडिया को बताया कि कोर्ट के आदेश के मुताबिक काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट के पुजारी ने व्यास जी के तहखाने में मूर्तियां रखवाई, शयन आरती कराई और फिर वहां अखंड ज्योति प्रचंड की गई है। उन्होंने कहा कि अब यहां सभी देवताओं की दैनिक आरती होगी। यह आरती एक बार नहीं बल्कि, सुबह मंगला आरती फिर भोग आरती तो शाम को संध्या आरती फिर सूर्यास्त आरती के बाद शयन आरती कराई जाएगी। 

सर्वे रिपोर्ट के बाद से ही था गहमागहमी का माहौल

बता दें कि ज्ञानवापी मस्जिद में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की ओर से किए गए सर्वे की रिपोर्ट गुरुवार (25 जनवरी) को डिस्ट्रिक कोर्ट में खोली गयी थी। इसे जारी होने के बाद मीडिया भी काफी उत्साहित नजर आया था। 

इस मामले को लेकर सबरंग इंडिया ने मुफ्ती बनारस बातिन साब से बात की थी। उन्होंने कहा था कि हमारे वकील सर्वे रिपोर्ट का अध्ययन कर रहे हैं। समय आने पर कोर्ट में जवाब दाखिल किया जाएगा। सर्वे की रिपोर्ट जारी होने के बाद पहले जुम्मे को ज्ञानवापी से आईं अफरा तफरी की खबरों को लेकर उन्होंने कहा कि यहां हर बार की तरह नियमित तौर पर नमाज अदा की गई थी लेकिन सर्वे रिपोर्ट को लेकर मीडिया के पचासों लोग वहां पहुंच गए व मस्जिद से निकलने वाले लोगों को जबरन रोककर प्रतिक्रिया जानने लगे। इस दौरान उन्होंने ऐसा सीन क्रिएट कर दिया जैसे कि कोई झगड़ा हुआ हो। लेकिन सभी नमाजी उनसे बात न करने की बात कहकर उनसे रास्ता छोड़ने की बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मीडिया रिपोर्ट को ही फैसले की तरह प्रस्तुत कर रहा है जो कि पत्रकारिता के उसूलों और मानकों के हिसाब से भी गलत है।  

बातिन साब ने आगे कहा कि यह सिर्फ एएसआई की रिपोर्ट जारी हुई है, हमारे वकील इसका अध्ययन कर रहे हैं जबकि हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन मीडिया के सामने प्रेस कांफ्रेंस कर माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहे है। जुमे की नमाज को लेकर उन्होंने कहा कि मीडिया के लोगों ने ही हमारे साथ धक्का मुक्की की और यदि पुलिस प्रशासन मौजूद न होता तो वे हमें गिरा ही देते।

अजय कृष्ण विश्वेश ने ही दिया था ASI सर्वे पर आपत्ति के लिए छह फरवरी तक का मौका

बनारस के डिस्ट्रिक जज डॉ।अजय कृष्ण विश्वेश ने कहा था कि सर्वे रिपोर्ट में किसी तरह की आपत्ति होने पर दोनों पक्ष छह फरवरी 2024 तक इसे कोर्ट में दर्ज करा सकता है। पिछले साल 18 दिसंबर 2023 को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने डिस्ट्रिक कोर्ट में सीलबंद लिफाफे में सर्वे रिपोर्ट सौंपी थी। ज्ञानवापी मस्जिद में मई 2022 में कमिश्नर सर्वे हुआ था। पिछले साल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की ओर से सर्वे किया गया। हिंदू पक्ष ने कोर्ट से सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग की थी, लेकिन मुस्लिम पक्ष ने इस पर आपत्ति जताई थी। हालांकि मुस्लिम पक्ष ने भी सर्वे रिपोर्ट की सत्यापित प्रतिलिपि की डिमांड की थी। इस मामले में 24 जनवरी 2024 को वाराणसी डिस्ट्रिक कोर्ट में सुनवाई हुई तो जिला जज ने सभी पक्षों को सर्वे रिपोर्ट की हार्ड कॉपी देने का फैसला सुनाया।

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