गुजरात: SIMI संगठन के कार्यकर्ता के तौर पर गिरफ्तार 122 लोगों को 20 साल बाद मिला इंसाफ, आरोपों से बरी

Written by Sabrangindia Staff | Published on: March 8, 2021
20 साल पहले SIMI संगठन पर बैन लगाकर उसके 122 कार्यकर्ताओं को "आतंकवादी प्रवृत्ति" का ठप्पा लगाकर केंद्र सरकार की पुलिस ने गिरफ़्तार किया था, शनिवार को कोर्ट ने उन्हें निर्दोष मानकर रिहा कर दिया। 



नई दिल्ली। गुजरात में सूरत की एक अदालत ने शनिवार को अहम सुनवाई के दौरान 122 लोगों को प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया के सदस्य के तौर पर दिसंबर 2001 में यहां हुई एक बैठक में शामिल होने के आरोप से बरी कर दिया है। इन सभी को गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था।

मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एएन दवे की अदालत ने आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। मामले की सुनवाई के दौरान पांच आरोपियों की मौत हो गई थी। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि अभियोजन यह साबित करने के लिए कोई ठोस, विश्वसनीय और संतोषजनक साक्ष्य पेश करने में नाकाम रहा कि आरोपी सिमी से जुड़े हुए थे और प्रतिबंधित संगठन की गतिविधियों को बढ़ाने के लिए एकत्र हुए थे।

अदालत ने कहा कि आरोपियों को यूएपीए के तहत दोषी नहीं ठहराया जा सकता। सूरत की अठवालाइंस पुलिस ने 28 दिसंबर 2001 को कम से कम 127 लोगों को सिमी का सदस्य होने के आरोप में यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया था। इन पर शहर के सगरामपुरा के एक हॉल में प्रतिबंधित संगठन की गतिविधियों को विस्तार देने के लिए बैठक करने का आरोप था।

केंद्र सरकार ने 27 सितंबर 2001 को अधिसूचना जारी कर सिमी पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस मामले के आरोपी गुजरात के विभिन्न भागों के अलावा तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और बिहार के रहने वाले हैं। अपने बचाव में आरोपियों ने कहा कि उनका सिमी से कोई संबंध नहीं है और वे सभी अखिल भारतीय अल्पसंख्यक शिक्षा बोर्ड के बैनर तले हुए कार्यक्रम में शामिल हुए थे।

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