"हम बांग्लादेशी नहीं हैं, हम भारतीय हैं" : अहमदाबाद में 7,000 से ज्यादा घर तोड़े गए जिससे हजारों परिवार बेघर हो गए

Written by sabrang india | Published on: May 21, 2025
गुजरात की माइनॉरिटी वेलफेयर कमेटी ने भी इस कार्रवाई को "अमानवीय" बताते हुए कड़ी निंदा की और सरकार से इन लोगों का पुनर्वास करने की मांग की।


फोटो साभार : अमर उजाला

अहमदाबाद नगर निगम ने मंगलवार को एक तोड़फोड़ अभियान चलाया जिसमें चंदोला तालाब के पास करीब 7,000 से ज्यादा घरों को गिरा दिया गया। इस वजह से हजारों लोग बेघर हो गए और अब उनके पास रहने की जगह नहीं है। यह तोड़फोड़ करीब ढाई लाख वर्ग मीटर इलाके में की गई। इससे लोगों की जिदगी और रोजी-रोटी दोनों पर बुरा असर पड़ा। बहुत से लोगों का कहना है, "हम बांग्लादेशी नहीं हैं, हम भारतीय हैं। फिर भी हमारे साथ ऐसा बर्ताव क्यों हो रहा है?"

29 अप्रैल को गुजरात हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की तोड़फोड़ की कार्रवाई को सही ठहराया। कोर्ट ने कहा कि जिस जगह ये निर्माण हुए हैं, वो सरकारी जमीन है और वहां बने ढांचे गैरकानूनी हैं।

एक दिन पहले, 28 अप्रैल को सियासतनगर और बंगाली वास इलाकों में 4,000 से ज्यादा झुग्गियों को गिरा दिया गया, जिससे हजारों मुस्लिम परिवारों को सड़क पर आना पड़ा। ये परिवार ज्यादातर मज़दूरी करते हैं, कबाड़ बीनने का काम करते हैं और बंगाल व राजस्थान से आए हैं। अब इनके पास रहने की कोई जगह नहीं बची और नए मकान किराए पर लेना इनके लिए नामुमकिन हो गया है। किराए और एडवांस (डिपॉजिट) की रकम इतनी बढ़ गई है कि ये उसे चुका नहीं पा रहे हैं।

पहलगाम हमले के बाद सरकार ने ये फैसला लिया और कहा कि ये इलाका "बांग्लादेशी घुसपैठियों" ने घेर रखा है, जिससे देश की सुरक्षा को खतरा है। इस हमले के बाद, पुलिस ने 6500 से ज्यादा लोगों को पकड़ा, इनमें ज़्यादातर मुस्लिम थे। इन सबकी नागरिकता की जांच की गई। उसी हफ्ते, हजार से ज्यादा लोगों को बिना कागजों के प्रवासी बताकर गिरफ्तार कर लिया गया। पकड़े गए लोगों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। 2-3 दिन की जांच के बाद 850 लोगों को छोड़ दिया गया, क्योंकि पता चला कि वो तो भारतीय ही हैं।

गुजरात माइनॉरिटी कोऑर्डिनेशन कमेटी के संयोजक नफीस के हवाले से मकतूब की रिपोर्ट के अनुसार, "अपनी नाकामी छुपाने के लिए प्रशासन ने पहले करीब 2000 घर गिरा दिए और अब 6500 और घरों को तोड़ने की प्रक्रिया चल रही है। सरकार की ये कार्रवाई पूरी तरह से मुसलमानों को बेघर करके उन्हें परेशान करने के लिए है।"

हजारों परिवार ऐसे ही सड़क पर हैं, जिनके पास न कोई ठिकाना है और न ही आगे का कोई रास्ता। औरतों और बच्चों को सबसे ज्यादा दिक्कतें हो रही हैं, चाहे वो सुरक्षा की बात हो या रोज़ी-रोटी की।

लोगों में सरकार के इस कदम को लेकर ग़ुस्सा और बेबसी दोनों है। उन्हें "गैरकानूनी बांग्लादेशी प्रवासी" कहकर पेश किया जा रहा है, जबकि परिवारों का कहना है कि वो यहीं पैदा हुए हैं और पिछले 50 सालों से वहीं रह रहे हैं। उनके पास सारे जरूरी कागजात भी मौजूद हैं।

जब उन्हें बांग्लादेशी कहा गया, तो एक स्थानीय व्यक्ति ने कहा, "हम बांग्लादेशी नहीं हैं, तो हम बांग्लादेश क्यों जाएंगे? मैं यहीं पैदा हुआ हूं और तब से यहीं रह रहा हूं।"

गुजरात की माइनॉरिटी वेलफेयर कमेटी ने भी इस कार्रवाई को "अमानवीय" बताते हुए कड़ी निंदा की और सरकार से इन लोगों का पुनर्वास करने की मांग की।

मुस्लिम संगठनों ने सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि ये बुलडोजर कार्रवाई बेहद क्रूर है, खासकर तब जब हजारों परिवार गर्मी में खुली सड़क पर बाहर कर दिए गए हैं। उन्होंने ये भी दोहराया कि वो सभी भारतीय नागरिक हैं, सालों से यहां रह रहे हैं और उनके पास आधार कार्ड, राशन कार्ड और अन्य जरूरी दस्तावेज भी हैं। 

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