गुजरात : दुकानदार के बेटे को “बेटा” कहने पर दलित व्यक्ति की बेरहमी से पीट कर हत्या

Written by sabrang india | Published on: May 26, 2025
अमरेली के लाठी तहसील के जराखिया गांव का रहने वाला 20 साल का दलित युवक नीलेश राठौड़ ने गुरुवार को भावनगर के अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।



बुरी तरह हमला करने के छह दिन बाद एक दलित युवक की मौत हो गई। उस पर इसलिए हमला किया गया था क्योंकि उसने लड़के को दुकान पर “बेटा” कह दिया था। ये घटना गुजरात के अमरेली जिले की है।

मकतूब की रिपोर्ट के अनुसार, अमरेली के लाठी तहसील के जराखिया गांव का रहने वाला 20 साल का दलित युवक नीलेश राठौड़ ने गुरुवार को भावनगर के अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।

एफआईआर के अनुसार, 16 मई को हुई मारपीट में घायल हुए 28 साल के लालजी मनसुख चौहान ने बताया कि वो नीलेश राठौड़ और कुछ और लोगों के साथ अमरेली-सावरकुंडला रोड पर एक भजिया की दुकान पर थे। उसी वक्त नीलेश पास की एक दुकान पर स्नैक्स लेने चला गया।

जब थोड़ी देर हो गई तो चौहान उसे देखने उस दुकान पर गया। वहां पहुंचने पर, दुकानदार छोटा खोडा भरवाड़ ने उस पर डंडे से हमला कर दिया।

बाद में चौहान नीलेश को देखने उस दुकान पर गया जहां दुकानदार छोटा खोडा भरवाड़ ने उस पर डंडे से हमला कर दिया।

एफआईआर में विजय आनंद टोता का भी नाम है, जिस पर आरोप है कि उसने चौहान और राठौड़ दोनों के साथ मारपीट की थी।

शिकायत में यह भी बताया गया है कि भजिया की दुकान चलाने वाले जगा दुधत ने बीच-बचाव करके चौहान और राठौड़ को बचाया।

इसके बाद नीलेश राठौड़ के चाचा सुरेश वाला उस दुकान पर बात करने पहुंचे। लेकिन तब तक दुकानदार कुछ लोगों को बुला चुका था, जिन्होंने सुरेश वाला और बाकी लोगों पर डंडों और धारदार हथियारों से हमला कर दिया और जातिसूचक गालियां भी दीं।

शिकायतकर्ता ने आगे बताया कि जब राठौड़, सुरेश वाला, दुधत और उन्होंने वहां से भागने की कोशिश की तो हमलावरों ने उनका पीछा किया और मारपीट की गई। इस दौरान वे लोग उनकी जाति का मजाक उड़ाते रहे और कहने लगे कि "इन्हें अपनी औकात से ज्यादा बोलने की आदत है।"

बताया गया कि मारपीट तब जाकर रुकी जब एक बुजुर्ग व्यक्ति वहां पहुंचे और हमलावरों से रुकने की मिन्न्तें कीं।

शुरुआत में एफआईआर में चार लोगों छोटा खोडा भरवाड़, विजय आनंद टोता, भावेश मुंधवा और जतिन मुंधवा को आरोपी बनाया गया क्योंकि पीड़ित सिर्फ इन्हीं लोगों की पहचान कर पाए थे।

इन पर भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita) की कई धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया, जिनमें धारा 118(1) गंभीर चोट पहुंचाना, धारा 115(2) जानबूझकर चोट पहुंचाना, धारा 189(2) और 189(4) जानलेवा हथियारों से लैस गैरकानूनी भीड़ इकट्ठा करना, धारा 190 गैरकानूनी भीड़ के सभी सदस्यों की जिम्मेदारी, धारा 191(2) और 191(3) हथियारों के साथ दंगा करना, धारा 131 हमला या आपराधिक बल का प्रयोग, धारा 352 शांति भंग करने की नीयत से जानबूझकर अपमान, धारा 3(5) आपराधिक कृत्य में साझा जिम्मेदारी, धारा 109 हत्या की कोशिश और धारा 103 हत्या तथा इन धाराओं में जातिगत हिंसा, गंभीर हमला और हत्या जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं।

उन पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की भी कई धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं, साथ ही गुजरात पुलिस एक्ट की धारा 135 के तहत भी केस दर्ज किया गया है।

अब तक इस मामले में शामिल 11 में से 9 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

गिरफ्तार लोगों में भरवाड़, टोता, भावेश मुंधवा, जतिन मुंधवा, कथाड अर्जन मुंधवा, देवा सांगा मुंधवा, डूदा बोगा मुंधवा और रवि डूदा मुंधवा शामिल हैं। पुलिस बाकी बचे दो लोगों की तलाश कर रही है।

कांग्रेस विधायक जिग्नेश मेवानी ने शुक्रवार को मृतक नीलेश राठौड़ के परिवार वालों के साथ धरना दिया और न्याय की मांग की।



वडगाम विधानसभा क्षेत्र के विधायक ने इस घटना की कड़ी निंदा की और कहा, “इससे पता चलता है कि आज भी गुजरात में जातिवाद की जड़ें गहरी हैं। दलित आज भी डर के माहौल में जी रहे हैं और अपनी ही जमीन पर सुरक्षित नहीं हैं।”

उन्होंने बड़े नेताओं की चुप्पी पर भी सवाल उठाए और कहा, “प्रधानमंत्री, जो खुद गुजरात से हैं, उन्होंने अभी तक अपनी संवेदना तक व्यक्त नहीं की। वहीं, राज्य के समाज कल्याण मंत्री और मुख्यमंत्री ने भी एक बार भी शोक संतप्त परिवार से मिलने या उनका दुख बांटने का ज़हमत नहीं उठाई।”

उन्होंने कहा, “सरकार का रवैया भी जातिवादी नजर आता है, दलितों को पीटा जाता है, उनके साथ भेदभाव होता है, उन्हें आम कुओं से पानी पीने से रोका जाता है, मंदिरों में प्रवेश नहीं दिया जाता, उनका यौन शोषण होता है और वे नाले के सफाई करने का काम तक करते हैं। अब एक दलित को इतनी बेरहमी से पीटा गया कि उसकी मौत हो गई, फिर भी सरकार चुप है। यह बहुत ही दुखद है।”

कांग्रेस विधायक ने पीड़ित परिवारों को सरकारी नौकरी या जमीन मुआवजे के तौर पर देने की मांग की।

सामाजिक कार्यकर्ता अमिता अम्बेडकर ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “फिर से जातिवाद का नंगा नाच शुरू है। ये गुंडे दलितों को कब तक पीटते रहेंगे?”

मानस एकता फाउंडेशन की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष गिरीजा शंकर पाल ने कहा, “सिर्फ ‘बेटा’ कहने की सजा मौत?”

उन्होंने पूछा, “क्या यही है नया भारत? जहां जाति की दीवारें इतनी ऊंची हैं कि एक शब्द बोलने की सजा मौत हो सकती है?”

पाल ने अधिकारियों की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए कहा, “गुजरात सरकार चुप है। कानून बनाने वाले चुप हैं। प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह, जो इसी धरती से हैं वे क्यों चुप हैं?” और चेतावनी दी, “अगर जातिवाद अभी भी जिंदा है, तो संविधान मर चुका है।”

उन्होंने कहा, “अब वक्त है खड़े होने का, आवाज उठाने का और हर उस आवाज के साथ खड़े होने का जो अन्याय के खिलाफ लड़ती है।”

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