अमरेली साइबर क्राइम पुलिस में दर्ज की गई शिकायत में इंस्टाग्राम यूजर राओल वनराजसिंह चावड़ा को आरोपी के रूप में नामित किया गया है। चावड़ा पर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।

प्रतीकात्मक तस्वीर ; दे टेलीग्राफ
अमरेली जिले के एक दलित सामाजिक कार्यकर्ता नरेश वाला लठी तालुका में गांव की सड़कों के जरिए पवन टरबाइन सामग्री ले जाने वाले भारी वाहनों की आवाजाही के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के बाद इंस्टाग्राम पर कथित तौर पर जातिवादी टिप्पणियों का सामना कर रहे हैं। इस बाबत उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है।
द ऑब्जर्वर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, अमरेली साइबर क्राइम पुलिस में दर्ज की गई शिकायत में इंस्टाग्राम यूजर राओल वनराजसिंह चावड़ा को आरोपी के रूप में नामित किया गया है। चावड़ा पर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।
यह घटना दिसंबर की है, जब शेखपिपरिया गांव के सरपंच ने वाला को पंचायत द्वारा वैकल्पिक रास्ता खोजने के बार-बार अनुरोध के बावजूद भारी परिवहन वाहनों द्वारा गांव की सड़कों का लगातार इस्तेमाल करने के बारे में जानकारी दी थी। जब वाला ने इस मुद्दे को निपटाने के लिए गांव का दौरा किया तो स्थिति बिगड़ गई और पुलिस को दखल देना पड़ा।
इसके बाद, वाला ने फेसबुक लाइव सेशन में सार्वजनिक रूप से इस मामले पर चर्चा की। इसके तुरंत बाद, उन्हें अपने इंस्टाग्राम पोस्ट पर यूजर्स ने अपमानजनक और जातिवादी टिप्पणियां कीं। 25 अप्रैल को ऐसी ही एक टिप्पणी में कथित तौर पर डॉ. बी.आर. अंबेडकर और संविधान के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी थी, जिसके बारे में वाला का कहना है कि यह न केवल अपमानजनक थी बल्कि सांप्रदायिक विद्वेष को भड़काने के उद्देश्य से भी की गई थी। अमरेली साइबर क्राइम पुलिस मामले की जांच कर रही है। रिपोर्ट के अनुसार, अभी तक किसी की गिरफ्तारी की जानकारी नहीं है।
दलितों के साथ भेदभाव का यह कोई अकेला मामला नहीं है। हाल ही में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से दलित उत्पीड़न का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। चौरा-चौरी थाना क्षेत्र के दूधई गांव में एक शादी समारोह के दौरान दलित समाज के छह लोगों से केवल इसलिए मारपीट की गई कि उन्होंने भोजन करने के लिए पत्तल उठा ली। ये मामला 9 मई का है।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, दूधई गांव के रहने वाले लालजी के घर शादी में गांव के ही दलित युवक दीनानाथ अपने परिवार के साथ पहुंचे थे। दीनानाथ का कहना है कि उन्हें न्यौता दिया गया था, लेकिन जब उन्होंने खाने के लिए पत्तल उठाई तो राजभर समाज के सोनू, रामचंद्र और भीम ने उन्हें रोकते हुए अपमानित किया और गाली-गलौज करते हुए वहां से भगा दिया।
मामला केवल शादी से भगाने तक नहीं थमा। पीड़ित परिवार किसी तरह वापस अपने घर लौट आया लेकिन देर रात आरोप है कि वही आरोपी अपने दूसरे साथियों के साथ दीनानाथ के घर पर लाठी-डंडों और चाकुओं से लैस होकर पहुंचे और पूरे परिवार पर हमला कर दिया। इस हमले में महिलाओं समेत छह लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। पीड़ितों ने थाने में शिकायत दर्ज कराई। इसके आधार पर पुलिस ने 11 आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है।
चौरा-चौरी थाने की पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं और अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया है।
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प्रतीकात्मक तस्वीर ; दे टेलीग्राफ
अमरेली जिले के एक दलित सामाजिक कार्यकर्ता नरेश वाला लठी तालुका में गांव की सड़कों के जरिए पवन टरबाइन सामग्री ले जाने वाले भारी वाहनों की आवाजाही के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के बाद इंस्टाग्राम पर कथित तौर पर जातिवादी टिप्पणियों का सामना कर रहे हैं। इस बाबत उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है।
द ऑब्जर्वर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, अमरेली साइबर क्राइम पुलिस में दर्ज की गई शिकायत में इंस्टाग्राम यूजर राओल वनराजसिंह चावड़ा को आरोपी के रूप में नामित किया गया है। चावड़ा पर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।
यह घटना दिसंबर की है, जब शेखपिपरिया गांव के सरपंच ने वाला को पंचायत द्वारा वैकल्पिक रास्ता खोजने के बार-बार अनुरोध के बावजूद भारी परिवहन वाहनों द्वारा गांव की सड़कों का लगातार इस्तेमाल करने के बारे में जानकारी दी थी। जब वाला ने इस मुद्दे को निपटाने के लिए गांव का दौरा किया तो स्थिति बिगड़ गई और पुलिस को दखल देना पड़ा।
इसके बाद, वाला ने फेसबुक लाइव सेशन में सार्वजनिक रूप से इस मामले पर चर्चा की। इसके तुरंत बाद, उन्हें अपने इंस्टाग्राम पोस्ट पर यूजर्स ने अपमानजनक और जातिवादी टिप्पणियां कीं। 25 अप्रैल को ऐसी ही एक टिप्पणी में कथित तौर पर डॉ. बी.आर. अंबेडकर और संविधान के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी थी, जिसके बारे में वाला का कहना है कि यह न केवल अपमानजनक थी बल्कि सांप्रदायिक विद्वेष को भड़काने के उद्देश्य से भी की गई थी। अमरेली साइबर क्राइम पुलिस मामले की जांच कर रही है। रिपोर्ट के अनुसार, अभी तक किसी की गिरफ्तारी की जानकारी नहीं है।
दलितों के साथ भेदभाव का यह कोई अकेला मामला नहीं है। हाल ही में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से दलित उत्पीड़न का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। चौरा-चौरी थाना क्षेत्र के दूधई गांव में एक शादी समारोह के दौरान दलित समाज के छह लोगों से केवल इसलिए मारपीट की गई कि उन्होंने भोजन करने के लिए पत्तल उठा ली। ये मामला 9 मई का है।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, दूधई गांव के रहने वाले लालजी के घर शादी में गांव के ही दलित युवक दीनानाथ अपने परिवार के साथ पहुंचे थे। दीनानाथ का कहना है कि उन्हें न्यौता दिया गया था, लेकिन जब उन्होंने खाने के लिए पत्तल उठाई तो राजभर समाज के सोनू, रामचंद्र और भीम ने उन्हें रोकते हुए अपमानित किया और गाली-गलौज करते हुए वहां से भगा दिया।
मामला केवल शादी से भगाने तक नहीं थमा। पीड़ित परिवार किसी तरह वापस अपने घर लौट आया लेकिन देर रात आरोप है कि वही आरोपी अपने दूसरे साथियों के साथ दीनानाथ के घर पर लाठी-डंडों और चाकुओं से लैस होकर पहुंचे और पूरे परिवार पर हमला कर दिया। इस हमले में महिलाओं समेत छह लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। पीड़ितों ने थाने में शिकायत दर्ज कराई। इसके आधार पर पुलिस ने 11 आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है।
चौरा-चौरी थाने की पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं और अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया है।
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