नोटिसों से डराकर किसान आंदोलन खत्म कराना चाहती है सरकार, हम डटे रहेंगे: संयुक्त किसान मोर्चा

Written by Sabrangindia Staff | Published on: January 29, 2021
नई दिल्ली। संयुक्त किसान मोर्चा ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह दिल्ली पुलिस द्वारा उसके नेताओं को भेजे गए नोटिसों से डरेंगे नहीं। साथ ही मोर्चा ने आरोप लगाया कि सरकार 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के लिए उसे दोषी ठहराकर कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन को खत्म करने का प्रयास कर रही है।



संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर विभिन्न किसान संगठन प्रदर्शन कर रहे हैं। मोर्चा ने एक बयान में आरोप लगाया, ''हम दिल्ली पुलिस द्वारा भेजे जा रहे नोटिसों से डरेंगे नहीं और इनका जवाब देंगे। भाजपा सरकार (केंद्र की) राज्यों की अपनी सरकारों के साथ मिलकर 26 जनवरी की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा का दोष संयुक्त किसान मोर्चा पर मढ़ कर आंदोलन को समाप्त करने का प्रयास कर रही है और यह अस्वीकार्य है। पुलिस विभिन्न धरनास्थलों को खाली कराने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है।''

संयुक्त किसान मोर्चा ने आरोप लगाया, ''असली दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय पुलिस उन किसानों को गिरफ्तार कर रही है जो कि शांतिपूर्वक विरोध-प्रदर्शन कर रहे थे। पुलिस ने इनके वाहनों को भी जब्त किया। हम पलवल से प्रदर्शनकारियों को हटाए जाने की निंदा करते हैं जहां पुलिस ने स्थानीय लोगों को उकसाया और विभाजनकारी भावनाओं को भड़काया।''

बता दें कि इससे पहले संयुक्त किसान मोर्चा ने गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली के लाल किले पर झंडा फहराने वाले कथित किसान नेता दीप सिद्धू के सामाजिक बहिष्कार की अपील की थी। संयुक्त ‌किसान मोर्चा के नेताओं ने एक सुर में पूरी घटना की निंदा करते हुए कहा था कि पिछले कई दिनों से चल रहे शांतिपूर्ण आंदोलन को बदनाम करने की साजिश अब जनता के सामने उजागर हो चुकी है।
संयुक्त ‌किसान मोर्चा ने आरोप लगाया कि कुछ व्यक्तियों और संगठनों को मुख्य तौर पर दीप सिद्धू और सतनाम सिंह पन्नू की अगुवाई में किसान मजदूर संघर्ष कमेटी‌ के सहारे, सरकार ने आंदोलन को हिंसक बनाया है। ‌इसके साथ ही पुलिस और अन्य एजेंसियों का उपयोग करके किसान आंदोलन को खत्म के लिए सरकार द्वारा किए गए प्रयास अब उजागर हो गए हैं।

संयुक्त ‌किसान मोर्चा ने‌ एक बयान जारी कर कहा कि हम फिर से स्पष्ट करते हैं कि लाल किले और दिल्ली के अन्य हिस्सों में हुई हिंसक कार्रवाइयों से हमारा कोई संबंध नहीं है। किसानों की परेड मुख्य रूप से शांतिपूर्ण और मार्ग पर सहमत होने पर हुई थी।

इसके साथ ही गुरुवार रात को गाजीपुर बॉर्डर पर किसान नेता राकेश टिकैत के आंसू छलक पड़े। इन आंसुओं ने आंदोलन को नई धार दे दी है। राकेश के आंसुओं का असर यह हुआ कि रातोंरात वहां अन्य जगहों से किसान पहुंचने लगे। यूपी सरकार द्वारा यहां बिजली पानी की सप्लाई बंद करने के बाद यहां से किसान जा ही रहे थे कि टिकैत के आंसुओं ने फिजा बदल दी। उन्होंने कहा कि मैं आत्महत्या कर लूंगा लेकिन यहां से नहीं जाउंगा। इसी का असर था कि उनके बड़े भाई और भाकियू अध्यक्ष नरेश टिकैत ने आज अपने गांव में महापंचायत बुलाकर आगे की रणनीति तय करने का ऐलान कर दिया है। हालांकि, राकेश टिकैत के भावुक होने की खबर देखते ही उनके सिसौली गांव स्थित घर पर रात में ही लोगों का जमावड़ा लगना शुरू हो गया था। 

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