'अपने मेहुल भाई' ने एंटीगुआ की नागरिकता ले ली है लेकिन अब तो ये बासी खबर हो गयी हैं. ताजी खबर यह है मोदी सरकार ने अब तक मेहुल चौकसी के प्रत्यर्पण के लिए कोई कोशिश तक नही की है. कल एंटीगुआ सरकार के विदेश मंत्री ईपी चेत ग्रीन ने कहा कि इस संबंध में उन्हें भारत सरकार से किसी भी तरह का आवेदन नहीं मिला है। हालांकि एंटीगुआ सरकार ने ये साफ कर दिया कि प्रत्यर्पण किसी संधि के बाद ही हो पाएगा.
यह सच है कि प्रत्यर्पण संधि के बिना 'अपने मेहुल भाई' को भारत लाया नही जा सकता लेकिन उसे वापस लाने के संबंध में अब तक कोई अनऑफिशियल संवाद नही किया जाना बताता है कि सरकार इस मामले कितनी गंभीर है.
और न कोई यह पहला ऐसा मामला है 5 साल पहले हीरा कारोबार से संबंध रखने वाले जतिन मेहता के विनसम ग्रुप ने भी भारतीय बैंकों को कुछ इसी तरह का झटका दिया था. उस वक्त फेमस डायमंड हाउस दर्जन भर बैंकों का बकाया नहीं चुका पाया था. इस घोटाले का सबसे ज्यादा असर उस वक्त भी पीएनबी को हुआ था.
जतिन मेहता विनसम डायमंड्स एंड ज्वैलरी लिमिटेड के चीफ प्रमोटर थे. मेहता का संबंध देश के बड़े कारोबारियों में से एक अडाणी परिवार से भी है. रिश्ते में जतिन मेहता उनके समधी लगते हैं. जतिन मेहता पर 7 हजार करोड़ लेकर फरार होने का आरोप है मेहता ने 2012 में भारत छोड़ दिया और 2016 में सेंट किट्स एंड नेविस की नागरिकता ले ली. बता दें कि सेंट किट्स और नेविस के साथ भारत का कोई प्रत्यर्पण समझौता नहीं है.
यानी खेल बिलकुल साफ है कोई नयी बात नही हुई है लूटने वाले बैंक भी वही है ओर बिजनेस भी वही, आखिर 'हमारे मेहुल भाई' का भी कुछ हक बनता हैं या नही, बाकि नुकसान भरने को जनता है ही........
यह सच है कि प्रत्यर्पण संधि के बिना 'अपने मेहुल भाई' को भारत लाया नही जा सकता लेकिन उसे वापस लाने के संबंध में अब तक कोई अनऑफिशियल संवाद नही किया जाना बताता है कि सरकार इस मामले कितनी गंभीर है.
और न कोई यह पहला ऐसा मामला है 5 साल पहले हीरा कारोबार से संबंध रखने वाले जतिन मेहता के विनसम ग्रुप ने भी भारतीय बैंकों को कुछ इसी तरह का झटका दिया था. उस वक्त फेमस डायमंड हाउस दर्जन भर बैंकों का बकाया नहीं चुका पाया था. इस घोटाले का सबसे ज्यादा असर उस वक्त भी पीएनबी को हुआ था.
जतिन मेहता विनसम डायमंड्स एंड ज्वैलरी लिमिटेड के चीफ प्रमोटर थे. मेहता का संबंध देश के बड़े कारोबारियों में से एक अडाणी परिवार से भी है. रिश्ते में जतिन मेहता उनके समधी लगते हैं. जतिन मेहता पर 7 हजार करोड़ लेकर फरार होने का आरोप है मेहता ने 2012 में भारत छोड़ दिया और 2016 में सेंट किट्स एंड नेविस की नागरिकता ले ली. बता दें कि सेंट किट्स और नेविस के साथ भारत का कोई प्रत्यर्पण समझौता नहीं है.
यानी खेल बिलकुल साफ है कोई नयी बात नही हुई है लूटने वाले बैंक भी वही है ओर बिजनेस भी वही, आखिर 'हमारे मेहुल भाई' का भी कुछ हक बनता हैं या नही, बाकि नुकसान भरने को जनता है ही........