14 फरवरी को सीआरपीएफ के दस्ते पर आतंकी हमले में 44 जवानों की जान चली गई। कश्मीर में तैनात अर्धसैनिक बलों के आने-जाने के लिए 1 जनवरी 2018 को दिल्ली-श्रीनगर हवाई सेवा शुरू की गई थी। लेकिन, 31 जुलाई 2018 को इसे बंद कर दिया गया। हैरानी की बात यह है कि 1 जनवरी से हवाई सुविधा शुरू करने के आदेश की चिट्ठी 11 अप्रैल को जारी की गई थी। जम्मू कश्मीर के राज्यपाल ने भी इस हमले को लेकर चूक की बात स्वीकारी है और खुफिया इनपुट की वह चिट्ठी कई तरह के सवाल खड़े कर रही है जो कि 8 फरवरी को ही भेजी गई थी। इस हमले को लेकर मीडिया सत्तापक्ष से सवाल करने से बच रहा है। ऐसे में वरिष्ठ पत्रकार गिरीश मालवीय ने सवाल उठाए हैं पढ़िए....
ये सवाल पूछने पर राष्ट्रद्रोही कहलाने का खतरा है! पर हम पूछेंगे जरूर …….
कश्मीर में तैनात अर्धसैनिक बलों के आने-जाने के लिए 1 जनवरी 2018 को दिल्ली-श्रीनगर हवाई सेवा शुरू की गई लेकिन, सिर्फ सात महीने बाद 31 जुलाई 2018 को इसे बंद कर दिया गया।
कमाल की बात यह है कि 1 जनवरी से हवाई सुविधा शुरू करने के आदेश की चिट्ठी 11 अप्रैल को जारी की गयी यानी सिर्फ 4 महीने ही यह सेवा जारी रह पाई, अर्धसैनिक बलों के जवानों के लिए दोबारा हवाई सेवा शुरू करने का प्रस्ताव चार महीने से गृह मंत्रालय में लंबित है। इसे वित्तीय कारणों से मंजूरी नहीं मिली है।
जी हां वित्तीय कारणों से……. यानी सरकार के पास अपने जवानों को बेहद प्रतिकूल परिस्थितियों में काम करने के लिए भेजने के लिए भी पैसे का अभाव है और हमारे प्रधान सेवक इन चार सालो में लगभग 84 विदेशी दौरे कर चुके हैं जिसमें करीब 280 मिलियन डॉलर यानी 2 हजार करोड़ रुपए खर्च हुए हैं, मोदी की महत्वकांक्षी योजनाओं के प्रचार-प्रसार में वर्तमान केंद्र सरकार ने 5200 करोड़ रुपए खर्च किए हैं।
यानी दोनों खर्चों को मिला लिया जाए तो साढ़े चार साल के कार्यकाल में नरेंद्र मोदी के विदेश दौरों और योजनाओं के प्रचार में करीब 7200 करोड़ रुपए खर्च किए हैं
कोई जवाब दे कि 7200 करोड़ की इस रकम से कितने समय तक सीआरपीएफ ओर BSF जैसे अर्धसैनिक बलों के आवागमन के लिए हवाई सेवा उपलब्ध कराई जा सकती थी?
द क्विंट की ये ख़बर पढ़ें
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कश्मीर में तैनात अर्धसैनिक बलों के आने-जाने के लिए 1 जनवरी 2018 को दिल्ली-श्रीनगर हवाई सेवा शुरू की गई लेकिन, सिर्फ सात महीने बाद 31 जुलाई 2018 को इसे बंद कर दिया गया।
कमाल की बात यह है कि 1 जनवरी से हवाई सुविधा शुरू करने के आदेश की चिट्ठी 11 अप्रैल को जारी की गयी यानी सिर्फ 4 महीने ही यह सेवा जारी रह पाई, अर्धसैनिक बलों के जवानों के लिए दोबारा हवाई सेवा शुरू करने का प्रस्ताव चार महीने से गृह मंत्रालय में लंबित है। इसे वित्तीय कारणों से मंजूरी नहीं मिली है।
जी हां वित्तीय कारणों से……. यानी सरकार के पास अपने जवानों को बेहद प्रतिकूल परिस्थितियों में काम करने के लिए भेजने के लिए भी पैसे का अभाव है और हमारे प्रधान सेवक इन चार सालो में लगभग 84 विदेशी दौरे कर चुके हैं जिसमें करीब 280 मिलियन डॉलर यानी 2 हजार करोड़ रुपए खर्च हुए हैं, मोदी की महत्वकांक्षी योजनाओं के प्रचार-प्रसार में वर्तमान केंद्र सरकार ने 5200 करोड़ रुपए खर्च किए हैं।
यानी दोनों खर्चों को मिला लिया जाए तो साढ़े चार साल के कार्यकाल में नरेंद्र मोदी के विदेश दौरों और योजनाओं के प्रचार में करीब 7200 करोड़ रुपए खर्च किए हैं
कोई जवाब दे कि 7200 करोड़ की इस रकम से कितने समय तक सीआरपीएफ ओर BSF जैसे अर्धसैनिक बलों के आवागमन के लिए हवाई सेवा उपलब्ध कराई जा सकती थी?
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