लॉकडाउन में आम लोग, सरकार और मीडिया

Written by Sanjay Kumar Singh | Published on: April 13, 2020

कोरोना के कारण देश भर में चल रहे लॉक डाउन के कारण लोग क्या नहीं कर रहे हैं और क्या नहीं झेल रहे हैं। एक डॉक्टर साब अपने पिता का निधन होने पर नहीं गए (या जा सके) जबकि बड़ा बेटे होने के कारण मुखाग्नि उन्हें देनी थी। उन्होंने अपने छोटे भाई को इसके लिए राजी किया। खुद नहीं गए और कोरोना पीड़ितों की सेवा करते रहे। एक जवान 1100 किलोमीटर का दुर्गम सफर तय कर मां का अंतिम संस्कार करने पहुंचा। संक्षेप में कह सकते हैं कि एक तरह से पूरा भारत इसीलिए लॉक डाउन के दौरान अपने घर पहुंचना चाहता था। जो मीडिया से गायब हो गया और उसकी जगह मरकज, निजामुद्दीन और तबलीगी ने ले ली।



दूसरी ओर, एक परिवार ने अपने बुजुर्ग के निधन की सूचना के साथ ही लोगों से कहा कि वे अंतिम संस्कार के लिए नहीं आएं। फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन करें। कई दिन घर नहीं जाने और बच्चों या अभिभावकों से नहीं मिलने वाले स्वास्थ्य कर्मी तो हैं ही। बच्चों के साथ दफ्तर जा रही महिलाएं हैं। मातृत्व अवकाश रद्द करवाकर ड्यूटी निभा रही दुधमुंहे बच्चों की माएं हैं। क्या नहीं है और कितना लिखा जाए।

नहीं है तो भारत सरकार में भारतीयों के लिए संवेदना। मैंने लिखा था कि शौर्य चक्र विजेता कर्नल नवजोत सिंह बल का बैंगलोर में निधन हो गया तो गुड़गांव में रहने वाले 76 साल के उनके पिता लेफ्टि कर्नल केएस बल (रिटायर) को मां के साथ कार से बैंगलोर जाना पड़ा। नियमों का हवाला देकर उन्हें सेना के विमान से जाने की इजाजत नहीं दी गई। कोई दूसरी व्यवस्था नहीं की गई (हो सकी)।

इस मामले में नियम की बात उस सरकार के समय हुई जो नोटबंदी का नजीर स्थापित कर चुकी है, आधे अधूरे जीएसटी को लागू कर चुकी है, कोरोना से लड़ने के लिए प्रधानमंत्री राहत कोष के समानांतर पीएम केयर्स फंड स्थापित कर चुकी है, खुद ही लगाए प्रतिबंधों में ढील देकर अमेरिका को कोरोना से बचने वाली गोलियों का निर्यात कर चुकी है (जो वहां पहुंच भी गई)। और न जाने क्या-क्या।

ऐसा नहीं है कि उन्हें अनुमति दी जाती तो कोई पहाड़ टूट पड़ता। बार-बार तो लॉक डाउन होने से रहा और एक सैनिक पिता पुत्र के लिए ऐसा कुछ करना गलत गलत नहीं था। कहने की जरूरत नहीं है कि नेताओं के मामले में कोई नजीर नहीं है। ना उसकी जरूरत होती है। मध्य प्रदेश में सरकार गिराना और बनाना भी - लेकिन उसपर अलग से। और इस बारे में कोई खबर आपको कहीं दिखी? ऐसा नहीं है कि इस मामले में कोई कोशिश नहीं हुई। सेना के अफसर ने ट्वीट कर अफसोस जताया है और दिवंगत नवजोत से माफी मांगी है।

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