लॉकडाउन के दौरान 96% प्रवासी श्रमिकों को नहीं मिला सरकार से राशन, 90% को नहीं मिली मजदूरी: सर्वे

Written by sabrang india | Published on: April 26, 2020
नई दिल्ली। विभिन्न राज्यों में फंसे 11,159 प्रवासी श्रमिकों के सर्वेक्षण में पाया गया कि 8 अप्रैल से 13 अप्रैल के बीच 90% से अधिक को सरकार से राशन नहीं मिला। सर्वेक्षण में शामिल लोगों में से 90% को उनके नियोक्ताओं द्वारा वेतन नहीं मिला। 27 मार्च से 13 अप्रैल तक सर्वेक्षण में शामिल 70% श्रमिकों के पास केवल 200 रुपये से भी कम बचा था।



सर्वेक्षण के चार्ट में उन प्रवासी श्रमिकों का प्रतिशत दिखाया गया है, जिन्हें सरकार / अन्य स्रोतों से राशन या पका हुआ भोजन नहीं मिला था औ जिन्हें 8 अप्रैल से 13 अप्रैल के बीच नियोक्ताओं द्वारा भुगतान नहीं किया गया था। इस अवधि में, सरकार / अन्य स्रोतों से पका हुआ भोजन प्राप्त करने वाले श्रमिकों के प्रतिशत में मामूली सुधार हुआ, उनमें से अधिकांश को सरकार से राशन नहीं मिला या उनके नियोक्ताओं से मजदूरी नहीं मिली।



सर्वेक्षण के मुताबिक प्रवासियों के एक बड़े हिस्से के रूप में श्रमिकों को न तो राशन मिला और न ही सरकार / गैर सरकारी संगठनों से पकाया हुआ खाना मिला और उनके वेतन का भुगतान नहीं किया गया। एक दिन से कम के राशन वाले श्रमिकों की हिस्सेदारी में लगातार वृद्धि हुई।

सबसे प्रभावित राज्य
27 मार्च से 13 अप्रैल के बीच निम्नलिखित बिंदुओं में आवश्यक वस्तुओं जैसे राशन और पका हुआ भोजन के बिना छोड़े गए प्रवासी श्रमिकों का प्रतिशत और उन लोगों का प्रतिशत है जिनके पास जीवित रहने के लिए 200 रुपये से भी कम था। उत्तर प्रदेश में फंसे मजदूर सबसे ज्यादा प्रभावित हुए।

राशन के बिना छोड़ दिया
पूरे भारत में 96% श्रमिकों ने कहा कि उन्हें सरकार से राशन नहीं मिला है।
उत्तर प्रदेश में उनमें से 100% प्रवासी श्रमिकों को राशन नहीं मिला।
महाराष्ट्र में उनमें से 99% को राशन नहीं मिला।
कर्नाटक में उनमें से 93% को राशन नहीं मिला।



बिना पका भोजन
पूरे भारत में सर्वेक्षण में शामिल 70% श्रमिकों ने कहा कि उन्हें सरकार या स्थानीय संगठनों से खाना नहीं मिला है।
उनमें से उत्तर प्रदेश में 64% प्रवासी श्रमिकों को पका हुआ भोजन नहीं मिला।
उनमें से कर्नाटक में 80% को पका हुआ भोजन नहीं मिला; महाराष्ट्र में यह 58% था और दिल्ली और हरियाणा में यह 66% था।

मौजूदा राशन की स्थिति
पूरे भारत में सर्वेक्षण में शामिल 70% श्रमिकों ने कहा कि मौजूदा राशन केवल दो दिनों तक ही रहेंगे।
उनमें से उत्तर प्रदेश में 100% प्रवासी श्रमिकों ने कहा कि उनका राशन केवल 2 दिनों तक चलेगा।
उनमें से महाराष्ट्र में 90% प्रवासी श्रमिकों ने ऐसा ही कहा।
दिल्ली और हरियाणा में 82% प्रवासी श्रमिकों ने भी यही कहा।

वित्त की स्थिति
भारत भर में सर्वेक्षण में शामिल 70% श्रमिकों ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान जीवित रहने के लिए उनके पास  200 रुपये से भी पैसा बचा है।
उनमें से उत्तर प्रदेश में 87% प्रवासी श्रमिकों के पास 200 रुपये से भी कम पैसा बचा था।
उनमें से हरियाणा में 76% के पास 300 रुपये से भी कम पैसा बचा था। 

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