पिछले साल 19 दिसंबर को लखनऊ में हुए नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) विरोधी प्रदर्शन के मामले में पुलिस ने 297 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की है। पुलिस 18 पर राषट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई करने की योजना बना रही है।
बीते साल 19 दिसंबर को लखनऊ में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हुए विरोध-प्रदर्शन के मामले में पुलिस ने 297 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की है। इस मामले में राजधानी लखनऊ के 12 पुलिस थानों में बलवा, तोड़फोड़, आगजनी, मारपीट, लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम और सरकारी कार्य में बाधा समेत अन्य धाराओं में कुल 63 मुकदमे दर्ज किए गए थे। इनमें से 18 पर सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई पर विचार कर रही है।
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पुलिस ने फोटो और वीडियो की मदद से दंगाइयों की पहचान की थी। करीब पांच महीने तक गिरफ्तारी का दौर चला। इसमें सैकड़ों लोग जेल भेजे गए थे।
खबरों के मुताबिक पुलिस कमिश्नर सुजीत पाण्डेय ने बताया कि सीएए के विरोध में हजरतगंज, कैसरबाग, खदरा और ठाकुरगंज समेत अन्य इलाकों में हिंसक प्रदर्शन हुआ था।
इसमें उपद्रवियों ने पुलिस चौकी समेत कई सरकारी और निजी वाहनों में आगजनी और तोड़फोड़ की थी। हमलावरों ने जमकर पथराव भी किया था। इसमें पुलिस और मीडियाकर्मी समेत कई राहगीर घायल हुए थे। बवाल में लोक संपत्ति का भारी नुकसान हुआ था। इस मामले में 12 थानों में कुल 63 मुकदमे दर्ज किए गए थे।
पुलिस कमिश्नर ने बताया कि प्रकरण में गिरफ्तार किए गए 297 लोगों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट लगाई गई है। इनमें से 68 आरोपियों के खिलाफ गैंगेस्टर एक्ट और 28 के खिलाफ गुण्डा एक्ट के तहत कार्रवाई की गई है। इसी के साथ सम्बंधित प्रकरण में 43 आरोपियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया है।
पुलिस कमिश्नर ने बताया कि हिंसक प्रदर्शन के पीछे पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) समेत कुछ अन्य संगठनों की साजिश का पता चला था। इन संगठनों के पदाधिकारियों को भी गिरफ्तार करके जेल भेजा गया था। पुलिस कमिश्नर के मुताबिक इसमें 18 आरोपियों पर रासुका लगाने की तैयारी की जा रही है।
बीते साल 19 दिसंबर को लखनऊ में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हुए विरोध-प्रदर्शन के मामले में पुलिस ने 297 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की है। इस मामले में राजधानी लखनऊ के 12 पुलिस थानों में बलवा, तोड़फोड़, आगजनी, मारपीट, लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम और सरकारी कार्य में बाधा समेत अन्य धाराओं में कुल 63 मुकदमे दर्ज किए गए थे। इनमें से 18 पर सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई पर विचार कर रही है।
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पुलिस ने फोटो और वीडियो की मदद से दंगाइयों की पहचान की थी। करीब पांच महीने तक गिरफ्तारी का दौर चला। इसमें सैकड़ों लोग जेल भेजे गए थे।
खबरों के मुताबिक पुलिस कमिश्नर सुजीत पाण्डेय ने बताया कि सीएए के विरोध में हजरतगंज, कैसरबाग, खदरा और ठाकुरगंज समेत अन्य इलाकों में हिंसक प्रदर्शन हुआ था।
इसमें उपद्रवियों ने पुलिस चौकी समेत कई सरकारी और निजी वाहनों में आगजनी और तोड़फोड़ की थी। हमलावरों ने जमकर पथराव भी किया था। इसमें पुलिस और मीडियाकर्मी समेत कई राहगीर घायल हुए थे। बवाल में लोक संपत्ति का भारी नुकसान हुआ था। इस मामले में 12 थानों में कुल 63 मुकदमे दर्ज किए गए थे।
पुलिस कमिश्नर ने बताया कि प्रकरण में गिरफ्तार किए गए 297 लोगों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट लगाई गई है। इनमें से 68 आरोपियों के खिलाफ गैंगेस्टर एक्ट और 28 के खिलाफ गुण्डा एक्ट के तहत कार्रवाई की गई है। इसी के साथ सम्बंधित प्रकरण में 43 आरोपियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया है।
पुलिस कमिश्नर ने बताया कि हिंसक प्रदर्शन के पीछे पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) समेत कुछ अन्य संगठनों की साजिश का पता चला था। इन संगठनों के पदाधिकारियों को भी गिरफ्तार करके जेल भेजा गया था। पुलिस कमिश्नर के मुताबिक इसमें 18 आरोपियों पर रासुका लगाने की तैयारी की जा रही है।